NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
लॉकडाउन सर्वे : ग्रामीण भारत में 50 फीसदी परिवारों को नहीं मिल रहा पेटभर खाना
प्रवासी मज़दूर बड़े शहरों को छोड़कर गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं लेकिन गांवों की हालत भी कुछ बहुत बेहतर नहीं है। एक सर्वे के मुताबिक ग्रामीण भारत में 50 फीसदी परिवार कम खाना खा रहे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
14 May 2020
  survey: 50% of households in rural India are not getting enough food

प्रवासी मज़दूरों के लिए ये कोरोना संकट बड़ी 'त्रासदी' लेकर आया है। शहरों में फंसे प्रवासी मज़दूरों के सामने रहने और खाने-पीने का संकट है। कोरोना से बच भी जाएं तो कहीं भूख से न मर जाएं, यही सोचकर मज़दूर पैदल ही सैकड़ों-हजारों किलोमीटर के सफर पर अपने घरों के लिए निकलते जा रहे हैं। लेकिन जिस ग्रामीण भारत में ये लौट रहे हैं वहां भी संकट कम नहीं। एक सर्वे के मुताबिक 50 फीसदी परिवार कम खाना खा रहे हैं।

देश के 12 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में 5,000 घरों को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लागू बंद के बीच इनमें से आधे परिवार कम खाना खा रहे हैं।

 इस सर्वेक्षण का नाम ‘कोविड-19 इंड्यूस्ड लॉकडाउन-हाउ इज हिंटरलैंड कोपिंग’ यानी कोविड-19 की वजह से लागू बंद में दूरदराज के इलाके कैसे जीवनयापन कर रहे हैं।

यह सर्वेक्षण 47 जिलों में किया गया है। बंद लागू होने के बाद ग्रामीण इलाकों में 50 फीसदी ऐसे परिवार हैं जो पहले जितनी बार भोजन करते थे उसमें कटौती कर दी है ताकि जितनी भी चीजें उपलब्ध हैं, उसी में किसी तरह से काम चलाया जा सके।

 वहीं 68 फीसदी परिवार ऐसे हैं जिनके खाने की विविधता में कमी आई है यानी उनकी थाली में पहले के मुकाबले कम प्रकार के भोजन होते हैं।

 अध्ययन के अनुसार इनमें से 84 फीसदी ऐसे परिवार हैं जिन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए खाद्य पदार्थ हासिल किया और 37 फीसदी ऐसे परिवार हैं जिन्हें राशन मिला।

वहीं, 24 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने गांवों में अनाज उधार लिया और 12 फीसदी लोगों को मुफ्त में खाद्य पदार्थ मिला। बुधवार को वेबिनार में यह सर्वेक्षण जारी किया गया। अध्ययन में यह खुलासा हुआ कि ये परिवार रबी की तुलना में खरीफ भंडार पर ज्यादा निर्भर हैं, लेकिन यह भंडार भी अब तेजी से समाप्त हो रहा है।

अध्ययन में कहा गया कि ये परिवार अब कम खाना खा रहे हैं और पहले की तुलना में कम बार खाना खा रहे हैं तथा इनकी निर्भरता पीडीएस के जरिए हासिल किए गए अनाज पर बढ़ गई है। सर्वेक्षण में यह निकलकर सामने आया है कि खरीफ फसल 2020 के लिए तैयारी अच्छी नहीं है और बीज तथा नकदी राशि के लिए मदद की जरूरत है।

अध्ययन में कहा गया है कि बंद और अफवाह की वजह से डेयरी और पॉल्ट्री क्षेत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। लोग अपने खाने की आदतों में बदलाव कर रहे हैं और खर्चे कम कर रहे हैं।

यह अध्ययन असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में किया गया है। यह अध्ययन नागरिक संगठन प्रदान, ऐक्शन फॉर सोशल एडवांसमेंट, बीएआईएफ, ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन, ग्रामीण सहारा, साथी-उप्र और आगा खां रूरल सपोर्ट प्रोग्राम ने किया है।

गौरतलब है कि सरकार ने एक बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है लेकिन दुर्भाग्य से  सड़कों पर पैदल जा रहे लोगों और दूसरे जरूरतमंद लोगों को तत्काल मदद की जरूरत है लेकिन सरकार उनकी तकलीफों के लेकर संवेदनशील नहीं है। उम्मीद थी कि कामकाजी वर्ग और प्रवासी मज़दूरों को तत्काल राहत दी जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। ऐसे में यह संकट और भी गहराता जा रहा है।

 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

 

 

Coronavirus lockdown
India
Food Shortage
Rural india
Rural India Covid
COVID Impact in Rural India
lockdown impact on rural india

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध

वर्ष 2030 तक हार्ट अटैक से सबसे ज़्यादा मौत भारत में होगी

लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार

वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ

प्रेस फ्रीडम सूचकांक में भारत 150वे स्थान पर क्यों पहुंचा

‘जलवायु परिवर्तन’ के चलते दुनियाभर में बढ़ रही प्रचंड गर्मी, भारत में भी बढ़ेगा तापमान


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License