NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मतदाता पहचान कार्ड, सूची को आधार से जोड़ने सहित चुनाव सुधार संबंधी विधेयक को लोकसभा की मंजूरी
विधेयक के मुताबिक, चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाया जाएगा। वर्तमान चुनावी कानून के प्रावधानों के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका पात्र नहीं है। प्रस्तावित विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने पर स्थितियां बदल जाएंगी।
भाषा
20 Dec 2021
loksabha

नयी दिल्ली: लोकसभा ने सोमवार को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक के मसौदे को अपनी मंजूरी दी थी। इस विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा।


विधेयक के मुताबिक, चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाया जाएगा। वर्तमान चुनावी कानून के प्रावधानों के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका पात्र नहीं है। प्रस्तावित विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने पर स्थितियां बदल जाएंगी।

विधेयक के उद्दश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि निर्वाचन सुधार एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है । केंद्र सरकार समय समय पर विभिन्न क्षेत्रों से चुनाव सुधार हेतु प्रस्ताव प्राप्त कर रही है जिसमें भारत का निर्वाचन आयोग भी शामिल है। निर्वाचन आयोग के प्रस्तवों के आधार पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के उपबंधों में संशोधन करने का प्रस्ताव है ।

इसी के अनुरूप, निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक 2021 प्रस्तावित किया गया है।

इसमें प्रस्ताव किया गया है कि एक ही व्यक्ति के विभिन्न स्थानों पर बहु नामांकन की बुराई को नियंत्रित करने के लिये आधार प्रणाली के साथ निर्वाचक नामावली डाटा को संबंद्ध करने के उद्देश्य से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 23 का संशोधन करने का उपबंध किया गया है।

इसके साथ ही निर्वाचक नामावलियों को तैयार करने या उनकी पुनरीक्षण करने के संबंध में कट आफ तारीखों के रूप में किसी कैलेंडर वर्ष में एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर को शामिल करने के लिये लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 14 के खंड (ख) का संशोधन करने की बात कही गई है।

निर्वाचन आयोग पात्र लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति देने के लिए कई ‘कट ऑफ तारीख’ की वकालत करता रहा है। आयोग ने सरकार से कहा था कि एक जनवरी की ‘कट ऑफ तिथि’ के कारण मतदाता सूची की कवायद से अनेक युवा वंचित रह जाते हैं। केवल एक ‘कट ऑफ तिथि’ होने के कारण दो जनवरी या इसके बाद 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति पंजीकरण नहीं करा पाते थे और उन्हें पंजीकरण कराने के लिए अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था।

विधि एवं न्याय संबंधी संसदीय समिति द्वारा संसद के जारी शीतकालीन सत्र में हाल में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि विधि मंत्रालय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 14-ख में संशोधन करना चाहता है। इस संशोधन में मतदाता पंजीकरण के लिए हर वर्ष चार ‘कट ऑफ तिथियों का प्रस्ताव किया गया था ।

विधेयक के दस्तावेज के अनुसार, कानूनों को लिंग निरपेक्ष बनाने के लिये ‘पत्नी’ शब्द को पति या पत्नी से प्रतिस्थापित करने के लिये लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 20 तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 60 का संशोधन करने का प्रावधान किया गया है।

इसमें कहा गया है कि मतदान केंद्र के रूप में प्रयोग होने वाले, मतदान के बाद गणना, मतपेटियों, वोटिंग मशीनों एवं मतदान संबंधी सामग्रियों के भंडारण के लिये प्रयोग में आने वाले परिसरों को समर्थ बनाने के संबंध में प्रावधान किया गया है।

गौरतलब है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 अन्य बातों के साथ लोकसभा और राज्यों के विधान मंडलों में स्थानों के आवंटन और उनके लिये निर्वाचनों के प्रयोजनार्थ निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन, मतदाताओं के अर्हताओं, निर्वाचक नामावलियों की तैयारी आदि का उपबंध करता है।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 अन्य बातों के साथ संसद के सदनों और हर एक राज्य के विधान मंडल के सदनों के लिये निर्वाचनों के संचालन के लिये सदनों की सदस्यता पात्रता एवं अयोग्यता एवं भ्रष्ट आचरणों, अपराधों आदि का उपबंध करता है।

loksabha
modi sarkar
election commission

Related Stories

विज्ञापन में फ़ायदा पहुंचाने का एल्गोरिदम : फ़ेसबुक ने विपक्षियों की तुलना में "बीजेपी से लिए कम पैसे"  

ख़बरों के आगे-पीछे: विपक्ष को पोस्टल बैलेट में खेल होने का डर

ख़बरों के आगे-पीछे: चुनाव आयोग की साख पर इतना गंभीर सवाल!

निर्वाचन आयोग ने गौतमबुद्ध नगर में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 10 प्रत्याशियों को नोटिस जारी किए

चुनावों के ‘ऑनलाइन प्रचार अभियान’ में कहीं पीछे न छूट जाएं छोटे दल! 

चुनाव आयोग की विश्वसनीयता ख़त्म होती जा रही है

यूपी: क्या चुनावी रैलियों पर रोक से बीजेपी को हो सकता है बड़ा फ़ायदा?

यूपी: आचार संहिता लगते ही प्रशासन ने हटाने शुरू किए पोस्टर, बैनर, होर्डिंग

टाइमलाइन : संसद के शीतकालीन सत्र में क्या कुछ हुआ, विपक्षी सांसदों को क्यों रहना पड़ा संसद से बाहर?

वोटर-आईडी को आधार से जोड़ना निराधार, चुनाव-बिगाड़ को मत कहें सुधार


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License