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भारत
राजनीति
लखनऊ: बेरोज़गारी को लेकर सीएम आवास पर प्रदर्शन से पहले ही महिला कार्यकर्ता घर में नज़रबंद!
7-8 सितंबर की आधी रात से अपने आवास पर नज़रबंद इन दोनों महिलाओं का कहना है, कि सरकार धारा 144 का दुरुपयोग कर नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है।
असद रिज़वी
08 Sep 2020
लखनऊ: बेरोज़गारी को लेकर सीएम आवास पर प्रदर्शन से पहले ही महिला कार्यकर्ता घर में नज़रबंद!
अपने घर की छत पर महिला कार्यकर्ता सुमैया राना और घर के बाहर तैनात पुलिस

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आवास के बाहर, बढ़ती बेरोज़गारी को लेकर प्रदर्शन करने जा रही महिला सामाजिक कार्यकर्ता उज़्मा परवीन और सुमैया राना को उत्तर प्रदेश पुलिस ने नज़रबंद कर दिया है।

7-8 सितंबर की आधी रात से अपने आवास पर नज़रबंद इन दोनों महिलाओं का कहना है, कि सरकार धारा 144 का दुरुपयोग कर नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है।

दरअसल जिस तरह अभी 5 सितंबर को देश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में बेरोज़गारों ने ताली-थाली बजाकर सरकार को उसी के तरीके से चेताने की कोशिश की थी ऐसे ही आज, मंगलवार, 8 सितंबर को प्रदेश की महिलाओं ने राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में आवास, 05 कालिदास मार्ग, के बाहर बढ़ती बेरोज़गारी, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा आदि के ख़िलाफ़ ताली-थाली बजाकर प्रदर्शन करने की घोषणा की थी। इस प्रदर्शन का नेतृत्व नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) की मुखर विरोधी उज़्मा परवीन और सुमैया राना को करना था।

लेकिन सोमवार, 7 सितंबर की देर रात इन दोनों के आवास पर पुलिस पहुँची और इनको घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी। पुलिसकर्मी जिनमें महिला पुलिस भी थी, हिदायत देने के बाद इसके अपार्टमेंट की पार्किंग में बैठ गए। क़ैसरबाग़ में सुमैया राना और बाज़ारख़ाला में उज़्मा परवीन के आवास के बाहर बैठी पुलिस न इनको घर से बाहर निकलने दे रही है और न इनसे मिलने किसी को जाने दे रही है।

ऐसे में उज़्मा परवीन से फ़ोन पर सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया की उनसे पुलिस ने कहा है कि वह नज़रबंद हैं। उज़्मा परवीन के अनुसार पुलिस का कहना है कोविड-19 की वजह से शहर में धारा 144 लगी है, इसलिए धरना-प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है। पुलिस ने कहा की अदालत के यह आदेश हैं कि हज़रतगंज और गौतमपल्ली (कालीदास मार्ग के सामने की मुख्य सड़क) पर प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है।

उज़्मा परवीन के अनुसार बेरोज़गारी से परेशान बहुत अधिक महिलाओं का फ़ोन उनके पास आये थे। किसी की नौकरी चली गई तो किसी का कारोबार बंद हो गया है। लेकिन सरकार द्वारा किसी की कोई मदद नहीं की गई। इसके अलवा प्रदेश में महिला हिंसा का ग्राफ़ भी ऊपर जा रहा और सरकार कोरोना की रोकथाम में विफ़ल है। इन्ही समस्याओं की तरफ़ सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए मंगलवार को ताली-थाली बजाकर प्रदर्शन होना था।

सामाजिक कार्यकर्ता उज़्मा परवीन जिनपर सीएए के विरुद्ध प्रदर्शन में कई मुक़दमे लिखे गए कहती है, कि धारा 144 का सहारा लेकर उत्तर प्रदेश सरकार संवैधानिक तरीक़े से होने वाले प्रदर्शनों पर भी रोक लगा देती है। वे कहती हैं की किसी महिला को घर में बंद करने से इंक़लाब को नहीं दबाया जा सकता है। बेरोज़गारी, ग़रीबी, बढ़ते अपराध से प्रदेश की जनता त्रस्त हो चुकी है और अब विरोध की आवाज़ों को ज़्यादा दिन तक सत्ता के बल पर ख़ामोश नहीं किया जा सकता है।

मशहूर उर्दू शायर मुन्नवर राना की बेटी सुमैया राना ने भी बताया की उनको सोमवार-मंगलवार की रात से नज़रबंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह चारदीवारी में एक महिला को क़ैद किया गया उस से लगता है कि “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” सिर्फ़ चुनाव प्रचार का एक नारा मात्र है। उन्होंने कहा कि लोग बेरोज़गारी की वजह से बच्चों की फ़ीस नहीं दे पा रहे हैं। लोगों के क़र्ज़ों की किस्तें अदा नहीं हो रही हैं। जिसकी वजह से क़र्ज़े बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन ऐसी हालत से निपटने के लिए सरकार में पास कोई ठोस नीति नहीं है।

सुमैया राना ने कहा “जिस थाली को बजवाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों में कोरोनो ख़त्म कारने का वादा किया था, वह थाली अब ख़ाली हैं”। लगातार देश आर्थिक तंगी का शिकार होता जा रहा है। लेकिन सरकार को इसकी कोई फ़िक्र नहीं है और जब कोई आवाज़ उठता है तो बलपूर्वक उसको ख़ामोश करने का हर संभव कोसिश की जाती है।

उन्होंने कहा सरकार पहले भी कोशिश कर के देख चुकी है, लेकिन पुलिस बल से अन्याय के ख़िलाफ़ बुलंद होने वाली आवाज़ो को दबाया नहीं जा सकता है। अपनी बात आख़िर में उन्होंने कहा बेरोज़गारी के अलवा प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों के विरुद्ध बढ़ते अपराध भी एक प्रमुख मुद्दा था, जिस के लिए आज वह प्रदर्शन करना चाहती थीं।

महिला अधिकारों के लिए सक्रिय रहने वाले संगठन अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) का कहना है कि धारा 144 के नाम पर जनतंत्र की हत्या हो रही है। समिति की वरिष्ठ सदस्य मधु गर्ग कहती हैं कि प्रदेश में अपराध रोकने में नाकाम सरकार धारा 144 के नाम पर नागरिक संगठनों के विरोधी स्वर दबाना चाहती है। मधु गर्ग कहती है सामाजिक कार्यकर्ता उज़्मा परवीन और सुमैया राना को प्रदर्शन से रोकना निंदनीय है। वह कहती हैं कि सत्ता पक्ष की रैलियों और कार्यक्रमों में धारा 144 हट जाती है और विपक्ष के प्रदर्शन में दोबारा लग जाती है। इस से स्पष्ट होता है धारा 144 का नाम लेकर जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।

क़ानून के जानकार भी कहते हैं कि धारा 144 का दुरुपयोग हो रहा है। प्रसिद्ध अधिवक्ता मोहम्मद हैदर रिज़वी कहते हैं कि धारा 144 का उद्देश्य केवल अपराध को रोकना है, लेकिन मौजूदा दौर में इसको सज़ा की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। इस धारा के अंतर्गत किसी को गिरफ़्तार करना, नज़रबंद करना या किसी के घर के बाहर पुलिस बैठाना उचित नहीं है।

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