NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
भारत
राजनीति
छुपाने भी दो यारो!
कोविड के मरीजों को बचा नहीं सकते, तो उनकी मौतों को छुपा तो सकते हैं। छुपाना वैसे भी राष्ट्रभक्ति की मांग है, वर्ना देश-दुनिया में लोग देखेंगे तो क्या-क्या कहेंगे? सो छुपाने भी दो यारो!
राजेंद्र शर्मा
17 Apr 2021
छुपाने भी दो यारो!
लखनऊ में भैंसाकुंड स्थित बैकुंठ धाम श्मशान घाट के चारों ओर टीन की दीवार खड़ी कर दी गई है। ताकि बाहर से कुछ दिखाई ना दे।

कटाक्ष

डबल इंजन की सरकारों के काम न करने की झूठी शिकायतें करने वाले अब क्या कहेंगे? डबल इंजन की सरकारें पूरी तरह से काम कर रही हैं, शब्दश: पूरी तरह से। यूपी में योगीजी-मोदीजी उर्फ योमो की डबल इंजन सरकार ने कोविड के इस टैम में अस्पताल से श्मशान तक बल्कि श्मशान की बाउंड्री के बाहर तक काम कर के दिखाया है। दूर क्यों जाएं, राजधानी लखनऊ के भैंसाकुंड की ही मिसाल ले लीजिए। जब कोरोना माता के कोप से जलाने के लिए शवों का तांता लग गया और एक साथ जलती दर्जनों चिताएं दूर तक सडक़ से न सिर्फ दिखाई देनी लगीं बल्कि उनकी तस्वीरें भी उतारीं और दिखाई जाने लगीं, तब भी योमो सरकार ने हार नहीं मानी। अस्पतालों में इलाज, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर वगैरह की अगर कोई कमी रह भी गयी थी तो उसकी भरपाई उसने श्मशानों में टॉप क्लास इंतजामों से कर दी। और अगर मरने वालों की भीड़ के चलते, श्मशानों में इंतजाम में कोई कसर रह भी गयी थी, तो उसकी भरपाई योमो सरकार ने श्मशान में जलती चिताओं को आम पब्लिक की नजर से बचाने के इंतजाम कर के कर दी। अब टीन की चादरों का एकदम नया निकोर पर्दा भैंसाकुंड में जलने वाली चिताओं की आती-जाती पब्लिक की निगाहों से रखवाली करेगा।

फिर भी कोई कसर रह जाए तो फालतू ताक-झांक करने वालों के लिए, आपदा प्रबंधन कानून में कारवाई की चेतावनी और है! जिंदों का ख्याल तो कोई भी रख लेगा, पर मुर्दों का इतना ख्याल इससे पहले किसी सरकार ने नहीं रखा होगा।

बेशक, मोदी जी की दूरदृष्टि के बिना यह नहीं हो सकता था। ईमानदारी की बात तो यह है कि योगी जी तो बाद में यूपी की गद्दी पर आए, मोदी जी की नजर उससे पहले से श्मशानों की स्थिति बेहतर बनाने पर थी। 2017 के एसेंबली चुनाव में मोदी जी ने खासतौर पर श्मशानों का सवाल उठाया था और श्मशानों की जरूरत हर हाल में पूरी करने का भरोसा दिलाया था। मोदी जी की पैनी नजरों से यह छुपा नहीं रह सकता था कि यूपी में बुआ-बबुआ के राज में जिंदा तो जिंदा, मुर्दों का भी तुष्टीकरण होता था और कब्रिस्तानों के मुकाबले श्मशानों पर कम कम खर्चा हुआ था। मोदी जी ने जोर देकर कहा कि सवाल श्मशानों की कमी होने न होने का नहीं है। सवाल न्याय का है। श्मशानों को न्याय दिलाना है और कब्रिस्तानों का तुष्टीकरण मिटाना है, तो हमारी डबल इंजन सरकार बनाओ। पब्लिक ने अगर उनकी बात मानकर डबल इंजन सरकार बना दी, तो योमो सरकार ने भी श्मशानों को पूरा न्याय दिलाया है। तभी तो एक साथ इतने शव जलते देखना पब्लिक के स्वास्थ्य के लिए भले हानिकारक हो, पर मुर्दों को जलने में कोई कष्ट नहीं हो रहा है। योमो सरकार सभी का ख्याल रख रही है, मुर्दों के लिए चिता की जगह है और पब्लिक के टीन का पर्दा।

माना कि टीन का पर्दा योमो सरकार का ऑरीजिनल आइडिया नहीं है। बेशक, योमो सरकार के इस टीन के पर्दे के पीछे कुछ न कुछ प्रेरणा अहमदाबाद की उस दीवार की भी है, जो गरीबों की बस्तियों को सडक़ पर चलने वालों की नजरों से बचाने के लिए बनायी गयी थी। चाहें तो इसे गुजरात से सीखने का मामला कह सकते हैं। लेकिन, गुजरात से सीखने में बुराई क्या है? आखिरकार, गुजरात में भी तो भगवा सरकार है। बल्कि हम तो कहेंगे कि योमो सरकार की तो खासियत ही यह है कि उसके पीछे गुजरात की सीखें हैं। फिर भी, योगी जी कोई आंख मूंदकर गुजरात को फॉलो नहीं कर रहे हैं। गुजरात वाले आइडिया की उन्होंने कोई नकल नहीं की है बल्कि उसका लखनौआ रूपांतरण किया है। इसीलिए तो, अहमदाबाद की दीवार, योगी जी के हाथों में टीन का पर्दा बन गयी, सस्ता भी और टिकाऊ भी। अहमदाबाद की दीवार, गरीबों पर ट्रम्प की नजर पडऩे से बचाने के लिए थी, तो लखनऊ का पर्दा भैंसाकुंड की जलती चिताओं पर पब्लिक की और खासतौर पर मीडिया की नजर पडऩे से बचाने के लिए है। जो गुजरात आज सोचता है, यूपी भी अगले साल तक सोच ही लेती है। रही ऑरीजिनेलिटी की बात तो, न गुजरात और न यूपी, सडक़ों पर पर्दे खींचकर सच को छुपाने की परंपरा, कम से कम ब्रिटिश राज के जमाने से तो चली ही आ रही है। भगवाई उसकी शुरूआत और भी प्राचीन मानते हों तो कह नहीं सकते। जो भी हो, यह परंपरा उतनी ही यूपी के भगवाइयों की विरासत है, जितनी गुजरात वालों की।

रही बात पर्दे खींचकर सच को छुपाने की तो स्वच्छता वाली झाडू के अलावा एक यही तो काम की चीज है जो बापू से हमें मिली है। बापू के तीन बंदर याद हैं? एक ने दोनों हाथों से आंखें बंद कर रखीं थीं, दूसरे ने दोनों हाथों से कान और तीसरे ने दोनों हाथों से कस कर मुंह बंद कर रखा था। बुरा न देखने, बुरा न सुनने, बुरा न बोलने का अर्थ हम समझ कर भी कभी नहीं समझ पाए। जब आंख, कान, मुंह परमानेंटली बंद थे, तो यह सिर्फ बुरा न देखने, बुरा न सुनने और बुरा न बोलने का संदेश कैसे हो सकता है? संदेश एकदम साफ था--देखना, सुनना, बोलना बंद ही कर दो; बुरे का झंझट ही खत्म हो जाएगा; सब हरा ही हरा नजर आएगा। मीडिया से योमो की सरकार गांधी जी के बंदरों के धर्म का ही तो पालन करा रही है। फिर भी कोई तस्वीर-वस्वीर निकल जाए, तो उसके लिए श्मशानों पर टीन के पर्दे लगवा रही है। कोविड के मरीजों को बचा नहीं सकते, तो उनकी मौतों को छुपा तो सकते हैं। छुपाना वैसे भी राष्ट्रभक्ति की मांग है, वर्ना देश-दुनिया में लोग देखेंगे तो क्या-क्या कहेंगे? सो छुपाने भी दो यारो!

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)

sarcasm
Lucknow
COVID-19
Baikunth Dham
Coronavirus Pandemic

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत
    14 May 2022
    देश में आज चौथे दिन भी कोरोना के 2,800 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। आईआईटी कानपूर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल कहा है कि फिलहाल देश में कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना नहीं है।
  • afghanistan
    पीपल्स डिस्पैच
    भोजन की भारी क़िल्लत का सामना कर रहे दो करोड़ अफ़ग़ानी : आईपीसी
    14 May 2022
    आईपीसी की पड़ताल में कहा गया है, "लक्ष्य है कि मानवीय खाद्य सहायता 38% आबादी तक पहुंचाई जाये, लेकिन अब भी तक़रीबन दो करोड़ लोग उच्च स्तर की ज़बरदस्त खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। यह संख्या देश…
  • mundka
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?
    14 May 2022
    मुंडका स्थित इमारत में लगी आग तो बुझ गई है। लेकिन सवाल बरकरार है कि इन बढ़ती घटनाओं की ज़िम्मेदारी कब तय होगी? दिल्ली में बीते दिनों कई फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों में आग लग रही है, जिसमें कई मज़दूरों ने…
  • राज कुमार
    ऑनलाइन सेवाओं में धोखाधड़ी से कैसे बचें?
    14 May 2022
    कंपनियां आपको लालच देती हैं और फंसाने की कोशिश करती हैं। उदाहरण के तौर पर कहेंगी कि आपके लिए ऑफर है, आपको कैशबैक मिलेगा, रेट बहुत कम बताए जाएंगे और आपको बार-बार फोन करके प्रेरित किया जाएगा और दबाव…
  • India ki Baat
    बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून
    13 May 2022
    न्यूज़क्लिक के नए प्रोग्राम इंडिया की बात के पहले एपिसोड में अभिसार शर्मा, भाषा सिंह और उर्मिलेश चर्चा कर रहे हैं बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून की। आखिर क्यों सरकार अड़ी हुई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License