NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एमपी: रिपोर्ट दर्शाती है कि 1.37 लाख कोवैक्सीन लाभार्थियों के पास एक ही मोबाइल नंबर था, जबकि 9000 ग़लत पते पाए गए हैं
गलत मोबाइल नंबरों के चलते लाखों लोग संभवतया दूसरी कोवैक्सीन की खुराक लेने से चूक गए होंगे 
काशिफ़ काकवी
20 Feb 2021
एमपी: रिपोर्ट दर्शाती है कि 1.37 लाख कोवैक्सीन लाभार्थियों के पास एक ही मोबाइल नंबर था, जबकि 9000 ग़लत पते पाए गए हैं
मात्र प्रतिनिधित्व हेतु। चित्र साभार: द फाइनेंशियल एक्सप्रेस 

भोपाल: जैसा कि भारत सरकार स्वदेशी कोविड-19 टीके पर आम लोगों का विश्वास अर्जित करने के लिए संघर्ष कर रही है, ऐसे में आंकड़ों में दोहराव और त्रुटियों के सामने आने से एक नई बड़ी बाधा उभर कर सामने आ रही है। मध्य प्रदेश के आगर जिले की अनीता, अंकिता, अन्तिया बाई छजलानी अशोक, अविनाश शंकर सिंह, बनवर लाल, राजेश परमार और पिंका बाई जो राज्य के राजस्व एवं शहरी विकास विभाग और आवास विभाग के फ्रंट लाइन वर्कर्स (एफएलडब्ल्यू) हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश (एनएचएमएमपी) की रिपोर्ट के मुताबिक 16 जनवरी से शुरू होने वाले कोविड-19 प्रतिरक्षण अभियान में इन सभी की प्रविष्टियों में एक ही मोबाइल नंबर दर्ज पाया गया था। 

ऐसा मामला सिर्फ इन्हीं लोगों के साथ नहीं पाया गया है। 3 फरवरी तक मध्य प्रदेश में कोविड-19 टीकाकरण अभियान को जिस सीओडब्ल्यूआईएन (coWIN) ऐप पर तैयार किया गया था, उसकी 23 पेज की एनएचएमएमपी रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि कोवैक्सीन खुराक लेने वाले 1,37,454 एफएलडब्ल्यू और स्वास्थ्य कर्मियों (एचसीडब्ल्यू) के मोबाइल नंबर एक ही हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ मोबाइल नंबर ही नहीं बल्कि 9,280 लाभार्थियों के पिन कोड में भी मिलान में गड़बड़ी है।

रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि कुल 7,10,888 एफएलडब्ल्यू एवं एचसीडब्ल्यू में से, जिन्हें 3 फरवरी तक राज्य में कोवैक्सीन की खुराक दी गई थी, उनमें से 19% लोगों के मोबाइल नंबर एक समान पाए गए हैं। मोबाइल नंबर में गड़बड़ी के सर्वाधिक मामले राज्य के चार बड़े शहरों में पाए गए हैं। आंकड़ों में धांधली के मामले में 17,644 मामलों के साथ इंदौर शीर्ष पर है, जिसके बाद जबलपुर में 11,703, भोपाल में 8,349 और ग्वालियर में 7,786 मामले एक ही मोबाइल नंबरों के पाए गए हैं।

राज्य के कुल 1,37,454 मामलों में एक ही फोन नंबर के इस्तेमाल के सर्वाधिक मामले स्वास्थ्य विभाग के एचसीडब्ल्यू में कुल 83,598 पाए गए हैं, जिसके बाद शहरी विकास एवं आवास विभाग के 39,422, राजस्व के 6,977, गृह विभाग के 7,338 और पंचायती राज के 119 लाभार्थी शामिल हैं।

न्यूज़क्लिक ने उन लोगों से बात करने की कोशिश की जिनके मोबाइल नंबर का उल्लेख रिपोर्ट में प्रतिरक्षण अभियान की खामियों को उजागर करने के लिए उदाहरण के तौर पर किया गया था, ताकि मोबाइल नंबरों के दोहराव के पीछे की वास्तविकता का पता लगाया जा सके। 

फोन पर बातचीत के दौरान उत्तरदाताओं में से एक ने बताया कि वह आगर नगर निगम का कर्मचारी है और जब टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई थी तो वह वहां का स्वच्छता अधिकारी था। उनका कहना था कि “चूँकि मैं स्वच्छता अधिकारी था और अधिकांश सफाई कर्मियों के पास अपना खुद का मोबाइल नहीं था, और चूँकि खुराक लेने के लिए ऐसा होना अनिवार्य था, इसलिए मैंने अपना खुद का नंबर दर्ज करा दिया था।”

उनका दावा था कि उन्होंने अपने स्वयं के मोबाइल नंबर को तकरीबन 40 सफाई कर्मियों के लिए डाला था।

रिपोर्ट में शामिल कुछ फोन नंबरों से जब बात करने की कोशिश की गई तो वे अनुपलब्ध थे जबकि कुछ ने काल का जवाब नहीं दिया।

हालाँकि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार कोविड-19 प्रतिरक्षण अभियान में वैक्सीन हासिल करने के लिए लाभार्थी के वर्तमान मोबाइल नंबर से आधार को लिंक करना अनिवार्य है। लेकिन एनएचएमएमपी की रिपोर्ट से कुछ और ही खुलासा करती है।

मोबाइल नंबरों के दोहराव से टीकाकरण अभियान पर ही सवाल खड़े हो गए हैं क्योंकि राज्य में लाखों की संख्या में लाभार्थी कोवैक्सीन की दूसरी खुराक से वंचित रह गए हैं।

इस अभियान पर सवाल खड़े करते हुए जन स्वास्थ्य अभियान, मध्य प्रदेश के अमूल्य निधि का कहना था “रिपोर्ट में टीकाकरण अभियान की खामियों पर रोशनी डाली गई है। स्वास्थ्य विभाग कैसे उन लोगों के स्वास्थ्य के बारे में निगरानी रख सकता है जिन्होंने कोवैक्सीन की खुराक तो ली थी, लेकिन उनके फोन नंबर गलत या झूठे थे? ऐसे में वे स्वास्थ्य अपडेट और दूसरे टीकाकरण की तिथि के बारे में सूचना कैसे हासिल कर सकते थे?

गलत मोबाइल नंबरों के चलते ऐसे में लाखों लोग दूसरे कोवैक्सीन की डोज को लेने से वंचित रह गए होंगे और एनएचएमएमपी की रिपोर्ट भी इसी बात की ओर इशारा करती है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 26 जिलों में 36% से कम एफएलडब्ल्यू और एचसीडब्ल्यू का टीकाकरण हो सका था और 11 फरवरी तक राज्य में औसत टीकाकरण 36% तक आंका गया है।

इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, उज्जैन, रीवा, सतना, गुना जैसे शहरों से 31% से भी कम टीकाकरण की सूचना है। खुद की पहचान को जाहिर न करने का अनुरोध करते हुए एमपी स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था “मध्य प्रदेश में टीकाकरण अभियान में भारी कमी दर्ज हुई है। 16-17 फरवरी को भोपाल में मात्र 12% लोगों का ही टीकाकरण संभव हो सका है।”

इसके अलावा रिपोर्ट के मुताबिक 9,280 लाभार्थियों के पिन कोड के मिलान में भी गड़बड़ी पाई गई है। सबसे ज्यादा बेमेल पिन कोड दतिया जिले में पाए गए हैं, जहाँ 4,523 लाभार्थियों के पिन कोड में मिलान नहीं हो पा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “दतिया के ये 4,523 लाभार्थी 40 से अधिक जिलों में फैले हुए हैं।” 

जब इस बारे में राज्य कोवैक्सीन प्रतिरक्षण अभियान के फील्ड इंचार्ज संतोष शुक्ला से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

इसी प्रकार एमपी स्वास्थ्य विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव, मोहम्मद सुलेमान से लगातार फोन पर सम्पर्क साधने की कोशिशों के बावजूद कोई रिस्पांस नहीं मिल सका है।

जबकि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री, प्रभु राम चौधरी से संपर्क स्थापित नहीं हो सका है।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

MP: 1.37 Lakh Covaxin Beneficiaries With Same Mobile Number, 9000 Wrong Addresses, Shows Report

Covaxin
Madhya Pradesh
India Vaccine
COVID19 Vaccines

Related Stories

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

एमपी ग़ज़ब है: अब दहेज ग़ैर क़ानूनी और वर्जित शब्द नहीं रह गया

मध्यप्रदेशः सागर की एग्रो प्रोडक्ट कंपनी से कई गांव प्रभावित, बीमारी और ज़मीन बंजर होने की शिकायत

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग


बाकी खबरें

  • शलका चौहान
    कैसे जहांगीरपुरी हिंसा ने मुस्लिम रेहड़ी वालों को प्रभावित किया
    04 May 2022
    महामारी और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन ने मुस्लिम रेहड़ी वालों की आर्थिक गतिविधियों का काफ़ी कम कर दिया है, अब सांप्रदायिक नफ़रत ने उनके ख़िलाफ़ हमले और भेदभाव की घटनाओं में भी इज़ाफ़ा किया है।
  • loudspeaker
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े
    04 May 2022
    हिजाब, बुलडोज़र की राजनीति के बाद एक बार फिर देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने के लिए लाउडस्पीकर का हथकंडा अपनाया जा रहा है। जिन राज्यों में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उन्हें…
  • NEP
    न्यूज़क्लिक टीम
    स्कूलों की तरह ही न हो जाए सरकारी विश्वविद्यालयों का हश्र, यही डर है !- सतीश देशपांडे
    04 May 2022
    नई शिक्षा नीति देश में हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय जैसे संस्थान स्थापित करने की वकालत करती है लेकिन शिक्षाविद ऐसे प्रस्तावों को लेकर आश्वस्त नहीं है. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर सतीश देशपांडे मानते…
  • unemployment
    मुरली कृष्णन
    क्या भारत महामारी के बाद के रोज़गार संकट का सामना कर रहा है?
    04 May 2022
    भारत का रोजगार बाजार लगातार संकुचित होता जा रहा है, और कुशल कामगारों के लिए कार्यबल में प्रवेश कर पाना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। सरकार की ओर से की जाने वाली नौकरी की मुहिम और अनौपचारिक…
  • Cuba
    पीपल्स डिस्पैच
    क्यूबा में नाकाबंदी ख़त्म करने की मांग को लेकर उत्तरी अमेरिका के 100 युवाओं का मार्च
    04 May 2022
    "भविष्य निर्माण करो, नाकाबंदी खत्म करो!"
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License