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राजनीति
मध्य प्रदेश : सेंचुरी मिल के प्रदर्शनकर्मियों पर पुलिस कार्रवाई, 800 से अधिक की गिरफ़्तारी
मिलों के कामगारों के साथ-साथ मजदूरों की यूनियनें भी पर्याप्त क्षतिपूर्ति राशि पाने के अपने अधिकारों एवं कारखाने को खोलने की मांगों को लेकर पिछले चार सालों से संघर्ष करते आ रहे हैं।
सुमेधा पाल
05 Aug 2021
मध्य प्रदेश : सेंचुरी मिल के प्रदर्शनकर्मियों पर पुलिस कार्रवाई, 800 से अधिक की गिरफ़्तारी

मध्य प्रदेश के खरगौन में स्थित सेंचुरी यार्न एवं सेंचुरी डेनिम मिलों के कामगार पिछले 12 जुलाई से ही अनशन करते रहे हैं। ये दोनों कंपनियां बिड़ला समूह की सेंचुरी टेक्सटाइल्स एवं इंडस्ट्रीज लिमिटेड की हैं और उन्हीं द्वारा संचालित की जाती हैं। विगत चार सालों से इन दोनों कंपनियों के कामगार काम के अपने अधिकार एवं क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर संघर्षरत हैं, जिन पर मंगलवार को पुलिस निर्ममता के साथ पेश आई। 

मुंबई-इंदौर हाईवे पर स्थित कंपनी के परिसर के बाहर टेंट में एकत्रित कामगारों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया। इस कार्रवाई में अनेक महिलाओं के साथ धक्का-मुक्की की गई और उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया। इस घटना के एक वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि किस तरह पुलिस महिला प्रदर्शनकारियों एवं उनके समर्थन में अनशन पर बैठीं देश की प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को उनके टेंट से घसीट कर ले जा रही है। 

पुलिस ने 800 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया था। 

कामगारों का यह ताजा प्रदर्शन फैक्टरी को महाराष्ट्र के मनजीत ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को 15 जुलाई को 62 करोड़ में बेचे जाने के विरोध में था।

हालांकि पुलिस ने कोविड-19 महामारी के फैलने की आशंका के मद्देनजर प्रदर्शन क्षेत्र में भीड़-भाड़ से बचाव के लिए धारा-144 लगा दिया था, पर कामगारों ने आरोप लगाया कि कोविड तो बहाना है, दरअसल इसकी आड़ में उनके अभियान को कुचलना एवं प्रदर्शनकारियों को चुप कराना है। 

इसके पहले, प्रदर्शनकारियों को धरना-प्रदर्शन न करने की चेतावनी जारी की गई थी जबकि कंपनी के मुंबई स्थित मुख्यालय पर प्रदर्शन करते कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया था।

अभियान से जुड़े कार्यकर्ता संजय चौहान ने मंगलवार की घटना के बारे में न्यूजक्लिक से कहा,“हम लोग विगत चार वर्षों से कंपनी के बाहर प्रदर्शन करते आ रहे हैं। मनजीत ग्लोबल को हस्तांतरित किया गया अधिकार अवैध है। प्रदर्शनस्थल से प्रदर्शनकारियों को सुनियोजित तरीके से हटाया गया है और उसका मकसद प्रदर्शन को रोकना है। हमसे कहा जा रहा है कि यहां धारा 144 लागू की गई थी।”  उन्होंने दावा किया कि प्रदर्शन को कुचलने के लिए चार जिलों की पुलिस बुलाई गई थी,“हम लगातार इस बात पर जोर देते आ रहे हैं कि धारा 144 के प्रावधान का उपयोग आपराधिक कृत्यों की रोकथाम के लिए किया जाता है। हम तो शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी हैं, लेकिन हमें प्रदर्शन की एवज में अब भूमि का अतिक्रमण करने का दोषी ठहराया जा रहा है।”

प्रदर्शनस्थल पर मौजूद एक महिला प्रदर्शनकारी अंजलि ने कहा,“हमें निर्दयता से घसीटते हुए टेंट से बाहर कर दिया गया। हम लोग भौचक्के थे और चारों ओर से घिर गए थे। इस वजह से कुछ महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, चार महिलाएं जख्मी हुई हैं, जबकि कुछ मूर्छित हो गईं थीं।” कामगारों की आजीविका के अधिकारों के लिए सेंचुरी मिल का प्रदर्शन कॉरपोरेट के खिलाफ उनकी एकजुट ताकत के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण हो गया
है।

प्रदर्शनस्थल पर मौजूद एक महिला प्रदर्शनकारी अंजलि ने कहा, “हमें निर्दयता से घसीटते हुए टेंट से बाहर कर दिया गया। हम लोग भौचक्के थे और चारों ओर से घिर गए थे। इस वजह से कुछ महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, चार महिलाएं जख्मी हुई हैं, जबकि कुछ मूर्छित हो गईं थीं।”

कामगारों की आजीविका के अधिकारों के लिए सेंचुरी मिल का प्रदर्शन कॉरपोरेट के खिलाफ उनकी एकजुट ताकत के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण हो गया है।

कामगारों एवं कार्यकर्ता दावा करते हैं कि आदित्य बिड़ला ग्रुप कथित रूप से फैक्टरी की 84 एकड़ जमीन, उसकी इमारत, मशीनरी इत्यादि सब कुछ कोलकाता स्थित कंपनी वेयरिट ग्लोबल लिमिटेड के हाथों 2017 में 2.5 करोड़ रुपये में बेच दिया है। इसके बाद से नई कंपनी इस फैक्टरी को बंद कर दिया, जिससे कि फैक्टरी के 900 मजदूर एवं एक्जिक्यूटिव रातोंरात बेरोजगार हो गए। जब कामगारों ने इस बिक्री को “अवैध” बताते हुए इसके खिलाफ  पहले औद्योगिक प्राधिकरण न्यायालय में अपील की और फिर, मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में अपील की।

प्रदर्शनकारी कामगार आरोप लगाते हैं कि दिग्गज कॉरपोरेट कामगारों की आजीविका के बारे में बिना सोचे हुए अपने फायदे के लिए जमीन को बेचना चाहता था और अब वे वही तौर-तरीका अपनी नई फर्म को बेचने में लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बिक्री कामगारों को बेसहारा की स्थिति में ला देगी, जो पहले से ही इस वैश्विक महामारी के दौरान जिंदगी बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। 

न्यूजक्लिक ने इसके पहले भी कामगारों की मजदूरी के मसले को जोर-शोर से उठाया था। 

न्यूज क्लिक से बातचीत में जनता श्रमिक संघ के कार्यकर्ता सौरभ ने दावा किया “जमीन को लेकर बिड़ला की कानूनी लड़ाई रही है और वे इस जमीन से किसी भी तरह छुटकारा पाना चाहते रहे हैं। कामगारों की तकदीर की उन्हें कोई परवाह नहीं थी। यह उन कामगारों के साथ जरा भी अच्छा नहीं हुआ, जो पिछले 25 सालों से इस यूनिट को अपना घर कहते-मानते रहे हैं। उन्होंने इस मिल में जो कौशल अर्जित किया है, उसका उपयोग कहीं और नहीं किया जा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा,“वास्तविकता तो यह है कि यहां के कामगार विश्वास करते हैं कि बिड़ला इस कंपनी को बेचना चाहते थे। ऐसा करने के लिए, कम्पनी यह दिखाना चाहती थी कि वह मुनाफे में नहीं बल्कि घाटे में चल रही है। उनके लिए कामगारों के वर्तमान या भविष्य की बगैर किसी चिंता-फिक्र के और आजीविका के बगैर अधर में छोड़ते हुए उपक्रम को बंद कर देना बेहद सुविधाजनक था।”

औद्योगिक प्राधिकरण ने इस विवाद में कानूनी दखल देते हुए कामगारों के पक्ष में दो आदेश जारी किए हैं। इसमें पहले आदेश में प्राधिकरण ने कारोबार स्थांतरण समझौते (बीटीए) को ‘इनजेन्युन’ करार दिया और दूसरा, बिड़ला एवं वियरिट लिमिटेड के बीच बीटीए को रद्द करने का आदेश दिया। मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने भी कंपनी की परिसंपत्ति के मूल्य को कम कर आंकने एवं इस तरह स्टांप फीस का उचित भुगतान न करने के बारे में 

औद्योगिक प्राधिकार के दिए गए आदेश को जारी रखा। 

जब यह मामला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय पहुंचा तो उसने भी प्राधिकरण कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और स्टाफ के वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया, जिन्हें 2018 से ही बिना काम के रखा गया था। 

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। 

MP: Police Crackdown on Century Mill Protestors, Over 800 Detained

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