NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मध्य प्रदेश विधानसभा ने सदन में 1,161 शब्दों के इस्तेमाल पर लगायी रोक, विधायकों ने जताया ऐतराज़
विधानसभा में जिन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, उनमें वेंटिलेटर, तानाशाह, पोस्टमैन, नक्सलवाद, अन्याय, आदी, बेचारा, हल्ला, भेदभाव जैसे शब्द शामिल हैं।
काशिफ काकवी
11 Aug 2021
मध्य प्रदेश

भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा में 1,161 शब्दों और मुहावरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली एक पुस्तिका के पेश किये जाने के एक दिन बाद सत्ताधारी और विपक्षी दलों के विधायकों ने इस पर ऐतराज़ जताया और पुस्तक से कुछ शब्दों को हटाने की मांग की है।

इस पुस्तिका में वेंटिलेटर, तानाशाह, पोस्टमैन, नक्सलवाद (माओवादी) अन्याय, आदी, बेचारा, हल्ला, भेदभाव, चोर, यार, भ्रष्ट, पप्पू, बंधुवा मज़दूर, बंटाधर (पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विज सिंह के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला तकिया कलाम) को विधानसभा के अंदर असंसदीय घोषित कर दिया गया है और अगर कोई इनमें से किसी भी शब्द का इस्तेमाल करता है, तो उस शब्द को निकाल दिया जायेगा।

इस पुस्तिका पर ऐतराज़ जताते हुए पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर इस पुस्तिका से बंटाधार और नक्सलवाद शब्द को हटाने की मांग की। इस चिट्ठी में पांच अन्य विधायकों के भी हस्ताक्षर थे। उन्होंने सत्र के पहले दिन संवाददाताओं से कहा, "बंटाधार शब्द पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक रूपक है, जो मध्य प्रदेश के लोगों द्वारा उनके कुशासन के लिए दिया गया शब्द है, यह भला असंसदीय कैसे हो सकता है?" .

उन्होंने इसमें से नक्सलवाद शब्द को भी हटाने की मांग की। उन्होंने पूछा, "पड़ोसी राज्यों के अलावा मध्य प्रदेश भी माओवादी समस्याओं से जूझ रहा है, अगर यह शब्द असंसदीय है, तो कोई विधायक विधानसभा में नक्सलवाद का मुद्दा कैसे उठा पायेगा?"

वहीं पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने मामू (मुख्यमंत्री चौहान के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला तकिया कलाम) और चड्डीवाला (आरएसएस के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े भाजपा नेताओं के लिए प्रयुक्त) जैसे शब्दों को हटाने की मांग की।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 अगस्त को विधानसभा में मानसून सत्र से एक दिन पहले हुए इस पुस्तिका के विमोचन के मौक़े पर कहा, “जब मैंने विधानसभा सत्र की कार्यवाही देखने आये स्कूली छात्रों से यहां के कामकाज के बारे में पूछा, तो उनमें से एक ने जवाब दिया, 'ऐसा लगा हमलोग मछली बाज़ार देखने आये हैं।'  इसलिए, हमें (विधायकों को) उन शब्दों को लेकर ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है, जो हम सदन के भीतर इस्तेमाल करने जा रहे हैं।"

दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री का एक तकिया कलाम, ‘माई का लाल’, जिसका इस्तेमाल वह अक्सर अपने रैलियों में करते हैं, वह भी इस पुस्तिका में वर्जित है।

किसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस ओर इशारा करते हुए कहा, “जबसे मैं लोकसभा का सदस्य बना, संसद के सातवें सत्र के बाद से हमने संसदीय भाषाओं में भारी गिरावट देखी है। हमें सदन के भीतर इस्तेमाल होने वाले शब्दों को  लेकर ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है। लेकिन, यह शर्म की बात है कि हमें इस तरह की पुस्तिका की ज़रूरत पड़ती है।”

हालांकि, स्पीकर गिरीश गौतम ने इस पुस्तिका के लॉन्च किये जाने के मौक़े पर बोलते हुए यह बात साफ़ कर दी कि इन शब्दों और मुहावरों को 1954 और 2021 के बीच मध्य प्रदेश के इस सदन के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है, और अब इन शब्दों को विधायकों के लिए आधिकारिक सलाहकार पुस्तिका के रूप में संकलित किया गया है।

मीडियाकर्मियों को दी गयी इस पुस्तिका में 1954 से लेकर अबतक के विधानसभा सत्रों से निकाले जाने वाले शब्दों को तारीख़-वार ज़िक़्र है। वेंटिलेटर शब्द को 3 मई, 2017, पप्पू को 2 मार्च, 2016, ससुर (ससुर) को 23 सितंबर, 1954, तनशाह को 31 मार्च, 1967 को हटा दिया गया था,वहीं 18 जुलाई, 2014 को शर्मनाक  और साल 2021 के फ़रवरी और मार्च में दिक़्क़त और श्रीमान बंटाधार शब्द को हटा दिया गया था।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने आगे स्पष्ट किया कि कई शब्द अपने आप में असंसदीय नहीं लगते हैं, लेकिन संदर्भ उन्हें ऐसा बना देता है। उन्होंने बताया, "सदन की ओर से दो पुस्तिकायें संकलित की गयी हैं, उनमें से एक पुस्तिका विधायकों के लिए है, जिसमें उस संदर्भ का विवरण है, जिसमें इन शब्दों का इस्तेमाल किया गया था और जिसके चलते उन्हें हटाया गया था। और एक और पुस्तिका है,जिसमें सिर्फ़ शब्दों की सूची है।"

उन्होंने बताया कि नये विधायकों को सदन की आचार संहिता और प्रोटोकॉल सिखाने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना बनायी गयी है, जिससे विधायकों को सदन में अपने आचरण के लिहाज़ से ख़ुद को तैयार करने में मदद मिलेगी।

सदन में विधायकों के लिए 'थूक कर चटना', 'भैंस के आगे बीन बजाना', 'मनुवादी विचारधारा के लोग', 'आपको भगवान की क़सम', 'लगे रहो मुन्ना भाई', 'लोकतंत्र का काला दिन, और 'घड़ियाली आंसू मत बहाइये’ जैसे लोकप्रिय मुहावरे और वाक्य प्रतिबंधित हैं।

विडंबना है कि इस पुस्तिका के विमोचन के एक दिन बाद आयोजित मानसून सत्र के पहले ही दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच विश्व प्रतिभा दिवस (9 अगस्त) पर राज्य की छुट्टी को ख़त्म किये जाने को लेकर हुई तीखी बहस के दौरान दोनों ने इस किताब में उल्लिखित असंसदीय शब्दों का जमकर इस्तेमाल किया गया।

इस पर ऐतराज़ को लेकर पूछे जाने पर अध्यक्ष गिरीश गौतम का जवाब था, "मुझे विधायकों की तरफ़ से कुछ आपत्तियां मिली हैं और मैं इन आपत्तियों पर विचार करूंगा।"

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

https://www.newsclick.in/MP-Vidhan-Sabha-Bars-1161-Words-Assembly-MLA-Object

Madhya Pardesh
Shivraj singh
Ventilators
naxalism
Digvijay Singh
kamalnath

Related Stories

बलिया पेपर लीक मामला: ज़मानत पर रिहा पत्रकारों का जगह-जगह स्वागत, लेकिन लड़ाई अभी बाक़ी है

जीत गया बलिया के पत्रकारों का 'संघर्ष', संगीन धाराएं हटाई गई, सभी ज़मानत पर छूटे

पेपर लीक प्रकरणः ख़बर लिखने पर जेल भेजे गए पत्रकारों की रिहाई के लिए बलिया में जुलूस-प्रदर्शन, कलेक्ट्रेट का घेराव

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

साकेरगुडा नरसंहार के 9 साल पूरे होने के मौक़े पर पहुंचे हज़ारों प्रदर्शनकारी, बस्तर में आदिवासी की होती हत्यायाओं को बताया एक निरंतर चलने वाला वाक़या

क्षणिक सफलता नहीं: लोजपा का बंटवारा बिहार में दलित राजनीति को बना या बिगाड़ सकता है

इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत की पैरवी भाजपा के ख़िलाफ़ है- क्या दिग्विजय सिंह नहीं जानते?

महामारी का मृत्यु - पर्व और पॉजिटिविटी का गरुड़ पुराण

निकम्मे नहीं हैं ; वही कर रहे हैं जो करना चाहते हैं 

झारखंड ‘स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह’, कोरोना अपडेट और अन्य


बाकी खबरें

  • भाषा
    हड़ताल के कारण हरियाणा में सार्वजनिक बस सेवा ठप, पंजाब में बैंक सेवाएं प्रभावित
    28 Mar 2022
    हरियाणा में सोमवार को रोडवेज कर्मी देशव्यापी दो दिवसीय हड़ताल में शामिल हुए जिससे सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बाधित हुईं। केंद्र की कथित गलत नीतियों के विरुद्ध केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: “काश! हमारे यहां भी हिंदू-मुस्लिम कार्ड चल जाता”
    28 Mar 2022
    पाकिस्तान एक मुस्लिम बहुल और इस्लामिक देश है। अब संकट में फंसे इमरान ख़ान के सामने यही मुश्किल है कि वे अपनी कुर्सी बचाने के लिए कौन से कार्ड का इस्तेमाल करें। व्यंग्य में कहें तो इमरान यही सोच रहे…
  • भाषा
    केरल में दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत लगभग सभी संस्थान बंद रहे
    28 Mar 2022
    राज्य द्वारा संचालित केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसें सड़कों से नदारत रहीं, जबकि टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और निजी बसें भी राज्यभर में नजर नहीं आईं। ट्रक और लॉरी सहित वाणिज्यिक वाहनों के…
  • शिव इंदर सिंह
    विश्लेषण: आम आदमी पार्टी की पंजाब जीत के मायने और आगे की चुनौतियां
    28 Mar 2022
    सत्ता हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी के लिए आगे की राह आसन नहीं है। पंजाब के लोग नई बनी सरकार से काम को ज़मीन पर होते हुए देखना चाहेंगे।
  • सुहित के सेन
    बीरभूम नरसंहार ने तृणमूल की ख़ामियों को किया उजागर 
    28 Mar 2022
    रामपुरहाट की हिंसा ममता बनर्जी की शासन शैली की ख़ामियों को दर्शाती है। यह घटना उनके धर्मनिरपेक्ष राजनीति की चैंपियन होने के दावे को भी कमज़ोर करती है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License