NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मध्य प्रदेश: बीज की कालाबाज़ारी, माकपा ने कहा सरकार के संरक्षण में दोहरी लूट का शिकार हो रहे किसान
माकपा ने कहा है कि प्रदेश के किसानों के साथ भाजपा की शिवराज सरकार द्वारा इससे भी बड़ा अन्याय यह हो रहा है कि सहकारी और सरकारी बीज केंद्रों पर बीज उपलब्ध न होने से किसानों को इसे बाजार से खरीदना पड़ रहा है, जो सरकारी दर से कई बार दोगुने से भी ज्यादा महंगा होता है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Jun 2021
माकपा

मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में मानसून ने दस्तक दे दी है और किसान खरीफ की फसल की बोवनी के लिए जुटा हुआ है। तब सरकार की ओर से सरकारी और सहकारी बीज केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध न करवा कर किसानों को निजी कंपनियों के मिलने वाले नकली बीजों से लुटने के लिए छोड़ दिया गया है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने प्रदेश में खरीफ के मौसम की प्रमुख फसलों में हो रही कालाबाजारी का हवाला देते हुए कहा है कि कालाबाजारियों को सरकार के संरक्षण से किसानों को तेहरी मार पड़ रही है। पहला तो यह है कि सरकार ने बीज पर मिलने वाली सब्सिडी को बिना बढ़ाये बीज की दरों में वृद्धि की है। वैसे भी बीज खरीद समय किसानों को बीज की पूरी कीमत चुकानी होती है, सब्सिडी उसके बाद ही किसान के खाते में पहुंचती है। प्रदेश में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों में सरकार ने सोयाबीन के बीज पर 850 रुपए प्रति क्विंटल, मूंगफली के बीज पर 500 रुपए क्विंटल, मूंग के बीज में 150 रुपए प्रति क्विंटल, अरहर के बीज में 250 रुपए प्रति क्विंटल और तिल्ली के बीज में 50 रुपए प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि की है।

माकपा ने कहा है कि प्रदेश के किसानों के साथ भाजपा की शिवराज सरकार द्वारा इससे भी बड़ा अन्याय यह हो रहा है कि सहकारी और सरकारी बीज केंद्रों पर बीज उपलब्ध न होने से किसानों को इसे बाजार से खरीदना पड़ रहा है, जो सरकारी दर से कई बार कई दोगुने से भी ज्यादा महंगा होता है। उदाहरण के लिए सोयाबीन के बीज की कीमत सब्सिडी के बाद 55 रुपए प्रति किलो है, जबकि बाजार में किसानों को 115 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदना पड़ रहा है। इसी प्रकार धान के बीज का सरकारी रेट 30 रुपए किलो है और निजी कंपनियां 75 रुपए किलो में बेच कर ढाई गुना से ज्यादा वसूल रही हैं। बाजरे का बीज भी 264 रुपए की बजाय डेढ़ किलो का पैके ट 550 रुपए में मिल रहा है। इसी तरह मक्का के बीज का मूल्य 89 रुपए किलो है और किसानों को बाजार में पांच किलो की थैली 1000 रुपए यानी कि 200 रुपए किलो में खरीदना पड़ रहा है। तिल्ली के बीज की सरकारी दर 79 रुपए किलो है जबकि किसानों को 500 ग्राम की थैली 70 रुपए में मिल रही है, जिसका अर्थ है कि तिल्ली का बीज 79 रुपए की तुलना में 140 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। अरहर के बीज की सरकारी दर 45.75 रुपए किलो है और किसानों को तीन किलो की थैली 540 रुपए के हिसाब से 180  रुपए किलो तथा उड़द का बीज 49.50 रुपए की बजाय 200 रुपए किलो की दर से मिल रहा है।

जसविंदर सिंह ने कहा है कि किसानों के साथ होने वाली यह लूट सिर्फ बीज खरीदने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि निजी कंपनियों से मिजने वाले बीज को रासायनिक तरीके से संरक्षित न किए जाने के कारण उसके अंकुरित होने या बाद में फल और फली लगने की कोई गारंटी नहीं होती है और निजी खरीद केंद्र किसान को बीज खरीदते समय कोई रसीद भी नहीं देते हैं, जिससे नुकसान होने पर वे कंपनी पर किसी प्रकार का दावा भी नहीं कर सकते हैं।

माकपा ने कहा है कि किसानों की यह लूट उस सरकार में हो रही है, जिसके मुखिया खुद को किसान पुत्र कहते हैं। मगर यह लूट साबित करती है कि यह सरकार किसान पुत्र की नहीं, बल्कि किसान को लूटने वाले कालाबाजारियों की सरकार है। माकपा ने इस लूट को तुरंत रोकने और किसानों को पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध कराने की मांग की है। 

farmers
Shivraj Singh Chauhan
Madhya Pradesh
CPIM

Related Stories

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम

किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License