NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
मध्यप्रदेश : सरकार तो बदल गई लेकिन अतिथि शिक्षकों के हालात नहीं बदले
अतिथि शिक्षकों को संबोधित करते हुए ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि उनके लिए सड़कों पर उतरना पड़ा, तो उतरेंगे। वे भाजपा में चले गए और भाजपा की सरकार बन गई, लेकिन अतिथि शिक्षकों के सुरक्षित भविष्य को लेकर सरकार की ओर से कोई निर्णय तो दूर, आश्वासन भी नहीं मिल पाया है।
राजु कुमार
17 Apr 2020
अतिथि शिक्षक

मध्यप्रदेश में पिछले 115 दिन से अतिथि शिक्षकों का जन सत्याग्रह चल रहा है। लॉकडाउन की वजह से वे ऑनलाइन सत्याग्रह कर रहे हैं और भोपाल स्थित शाहजहांनी पार्क से उन्होंने अपना तंबू नहीं हटाया है। आर्थिक तंगी और असुरक्षित भविष्य के कारण मानसिक तनाव में जन सत्याग्रह के दरम्यान प्रदेश में 4 अतिथि शिक्षकों ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली है। 15 अप्रैल को मंडला जिले में छत से कूदे एक अतिथि शिक्षक की मौत हो गई। 8 अप्रैल को छतरपुर जिले में एक अतिथि शिक्षिका ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 20 फरवरी को निवाड़ी जिले के एक शिक्षक ने ट्रेन से कटकर जान दे दी। 12 फरवरी को छतरपुर के एक शिक्षक ने पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली।

नियमितीकरण की मांग को लेकर सत्याग्रह पर बैठे अतिथि शिक्षकों को मानदेय भी नियमित नहीं मिल पा रहा है, कई जगहों पर जुलाई से ही मानदेय नहीं मिल पाया है।

प्रदेश में अतिथि शिक्षक 25 दिसंबर 2019 से जन सत्याग्रह पर हैं। इनका सत्याग्रह तब सुर्खियों में आया, जब 13 फरवरी को टीकमगढ़ में एक सभा को संबोधित करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस का वचन-पत्र पूरा नहीं हुआ, तो आपके साथ सड़कों पर उतरूंगा। वहां सभा में तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री भी थे और जब अतिथि शिक्षकों ने उनके खिलाफ नारे लगाते हुए वचन-पत्र यानी घोषणा-पत्र में किए वायदे को पूरा करने की मांग की, तो उसके जवाब में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ये बात कही थी।

Guest Teacher Letter to CM.jpg

उल्लेखनीय है वचन-पत्र में कांग्रेस ने अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए नीति बनाने की बात की थी, लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया था। सिंधिया द्वारा सड़क पर उतरने की बात का जवाब देते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि वे सड़क पर उतर जाएं। इस घटना के बाद प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदलता गया और भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाकर सिंधिया सहित कई विधायकों को अपने पाले में कर सत्ता परिवर्तन कर दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में जाने के बाद कई बार इस बात का उल्लेख किया कि अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर उन्हें ललकारा गया, जिससे आहत होकर उन्होंने जनसेवा के लिए भाजपा का दामन थाम लिया।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के एक प्रमुख कारण रहे अतिथि शिक्षकों को उम्मीद थी कि सरकार बदलते ही सबसे पहले उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। न तो उनकी मांगों पर ठोस कार्यवाही हो पाई है और न ही उन्हें कोई आश्वासन मिल पाया है। वे आज भी आंदोलनरत हैं। इस बीच साथियों की मौत और आत्महत्या से वे विचलित हैं। प्रदेश में शिक्षा मंत्री नहीं हैं, इसलिए वे मुख्यमंत्री को पत्र लिख रहे हैं, मुख्य सचिव को पत्र लिख रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल पाया है। अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आर्थिक तंगी और असुरक्षित भविष्य के कारण शिक्षक आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं।

File Photo - Guest Teacher Agitation.jpg

अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के छतरपुर जिला अध्यक्ष नीरज अरझरिया का कहना है, ‘‘छतरपुर के लवकुश नगर थाना क्षेत्र के पठा गांव की 20 वर्षीय राधा राजपूत ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसके पिता छोटे किसान थे, जिनकी मृत्यु हो गई है। घर में बूढ़ी मां और दो भाई है। परिवार में आर्थिक तंगहाली है। अनियमित मानदेय और सुरक्षित नौकरी के अभाव में अवसाद में थी और उसने आत्मघाती कदम उठा लिया। 12 फरवरी को बिजावर विकासखंड के जैतपुर गांव के 24 वर्षीय सुरेन्द्र पटेल ने पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।’’

अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के मंडला जिला अध्यक्ष अखिलेश बेंद्रे ने बताया, ‘‘15 अप्रैल को मंडला जिले के प्राथमिक शाला पकरीटोला जंगलिया में कार्यरत अतिथि शिक्षक 41 वर्षीय सुरेश झारिया की मौत हो गई। वे आर्थिक तंगी के कारण परेशान होकर आत्महत्या के उद्देश्य से छत से कूद गए थे, जिसमें वे बच गए, लेकिन उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। पैसे की कमी के कारण वे इलाज नहीं करवा सके और उनकी मौत हो गई। वे छह साल से अतिथि शिक्षक थे। उनके घर में कोई कमाने वाला नहीं है। उनके पिता की मौत पहले ही हो चुकी है। परिवार में मां, पत्नी व दो बच्चे हैं। समिति ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता देने की मांग की है।’’

सुनील परिहार ने बताया कि 20 फरवरी को निवाड़ी जिले के ओरछा के चंदाबनी गांव के 36 वर्षीय दीपक शर्मा ने बुडपुरा रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन से कटकर जान दे दी। जब से जन सत्याग्रह चल रहा है, तब से 4 लोगों ने आत्महत्या कर ली।

सुनील परिहार का कहना है, ‘‘मध्यप्रदेश में जितनी मौत कोरोना से नहीं हुई उससे ज्यादा मौत अतिथि शिक्षकों की हुई हैं। वे आर्थिक तंगी और असुरक्षित नौकरी के कारण तनाव की वजह से गंभीर रूप से बीमार होकर मर रहे हैं और आत्महत्या भी कर रहे हैं। पिछले 5-6 सालों में 47 शिक्षकों की मौत हो गई है। प्रदेश में अतिथि शिक्षकों की स्थिति बदतर है। भाजपा के शासनकाल में 12 सालों तक अतिथि शिक्षक स्थाई रोजगार के लिए आंदोलन करते रहे, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिले।

कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण का वायदा किया था, लेकिन साल भर बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुई, तो जन सत्याग्रह शुरू किया गया। हमारी मांग को अनसूनी करने के कारण सरकार गिर गई। हमें उम्मीद थी कि नई सरकार प्रदेश के 69 हजार अतिथि शिक्षकों के हक में कोई निर्णय लेती, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना के खिलाफ जंग में साथ देने के लिए अतिथि शिक्षकों ने भी एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया है। इसमें हम अपनी सेवा भी देना चाहते हैं, लेकिन हमारे भविष्य को लेकर सरकार जब तक कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लेती, तब तक हम आंदोलन जारी रखेंगे।’’

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षक वर्ग 3 का मानदेय 5000 रुपये, वर्ग 2 का मानदेय 7000 रुपये और वर्ग 1 वाले शिक्षकों का मानदेय 9000 रुपये है। छुट्टियों के दिनों के मानदेय कट जाने से कभी भी इन्हें पूरा पैसा नहीं मिलता। इनकी नियुक्ति नए सत्र यानी जुलाई से की जाती है और अप्रैल तक सेवाएं ली जाती हैं। इन्हें छुट्टियों के दिनों के मानदेय नहीं मिलते। ऐसे में फिलहाल अतिथि शिक्षकों की यह चिंता भी सता रही हे कि इन्हें मार्च एवं अप्रैल का मानदेय मिलेगा या नहीं। यद्यपि इस संबंध में इनके संगठन ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। कुछ जगहों पर इन्हें 5-6 महीने से मानदेय नहीं मिला है, तो अधिकांश जगहों पर फरवरी का मानदेय नहीं आया है। कम मानदेय, अनियमित भुगतान और हर साल चयन प्रक्रिया से गुजरने के कारण असुरक्षित भविष्य को लेकर अतिथि शिक्षकों में अवसाद बढ़ते जा रहा है।

Coronavirus
teacher protest
Online protest
Madhya Pradesh
GuestTeacher
Jyotiraditya Scindia
Mass satyagraha of teachers
Online satyagraha

Related Stories

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

सड़क पर अस्पताल: बिहार में शुरू हुआ अनोखा जन अभियान, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जनता ने किया चक्का जाम

बाल विवाह विधेयक: ग़ैर-बराबरी जब एक आदर्श बन जाती है, क़ानून तब निरर्थक हो जाते हैं!

यूपी: 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामले में युवाओं पर लाठीचार्ज, लेकिन घोटाले की जवाबदेही किसकी?

सामूहिक वन अधिकार देने पर MP सरकार ने की वादाख़िलाफ़ी, तो आदिवासियों ने ख़ुद तय की गांव की सीमा

कोरबा : रोज़गार की मांग को लेकर एक माह से भू-विस्थापितों का धरना जारी


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग दर्द…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे
    26 May 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से, जिन्होंने 2019 में हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के केस में किये फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया।…
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   
    26 May 2022
    बुलडोज़र राज के खिलाफ भाकपा माले द्वारा शुरू किये गए गरीबों के जन अभियान के तहत सभी मुहल्लों के गरीबों को एकजुट करने के लिए ‘घर बचाओ शहरी गरीब सम्मलेन’ संगठित किया जा रहा है।
  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    भाजपा के क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करने का मोदी का दावा फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता
    26 May 2022
    भगवा कुनबा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का हमेशा से पक्षधर रहा है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश
    26 May 2022
    21 अप्रैल से विभिन्न जिलों से आये कई छात्र छात्रायें इको गार्डन में धरने पर बैठे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्होंने 21 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 के बीच हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License