NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मध्यप्रदेश : राजनीतिक दांवपेच के बीच क़ानूनी फ़ैसले पर नज़र
सियासी संकट से गुजर रहे मध्यप्रदेश के लिए आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण रहा। एक ओर सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पर टिकी रहीं, तो दूसरी ओर कांग्रेस राजनीतिक और नैतिक रूप से अपनी बढ़त बनाने का प्रयास करती रही।
राजु कुमार
18 Mar 2020
मध्यप्रदेश
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : tv9bharatvarsh

आज का दिन एक बार फिर मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार के लिए राहत भरा रहा है। कांग्रेस द्वारा डटकर किए जा रहे मुकाबले के कारण भाजपा की बेचैनी लगातार बढ़ती जा रही है। उम्मीद की जा रही थी कि सुप्रीम कोर्ट में भाजपा द्वारा दायर याचिका पर आज कोई न कोई आदेश मिल जाएगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले इस केस के हर पक्ष को सुन लेना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई पूरी नहीं हो पाई और कल यानी गुरुवार सुबह साढ़े 10 बजे आगे की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में आज कोई निर्णय नहीं हो पाने से कांग्रेस को अपनी रणनीति बनाने और सरकार बचाने के लिए और समय मिल गया है।

मध्यप्रदेश में पिछले 10 दिनों से कांग्रेस सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा भाजपा में जाने के बाद उनके समर्थक 22 विधायक बेंगलुरु में हैं और वहां से भाजपा नेताओं के माध्यम से अपना इस्तीफा मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को भेजे हैं। इनमें से 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए हैं। इस मसले पर मौजूदा सरकार को भाजपा अल्पमत में बताते हुए राज्यपाल से मिली और राज्यपाल ने सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने को कह दिया।

16 मार्च को बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा कोरोना वायरस के कारण 26 मार्च को सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद राज्यपाल ने सरकार को 17 मार्च को फिर से बहुमत साबित करने के लिए पत्र लिखा, लेकिन इस बीच भाजपा सुप्रीम कोर्ट भी चली गई। इसके बाद इस पूरे मामले को लेकर सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पर टिक गई हैं।

मामला भले ही सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन राजनीतिक रूप से लाभ लेने के लिए भाजपा और कांग्रेस लगातार दांवपेच चली रही हैं। भाजपा इस आरोप से लगातार इनकार कर रही है कि कांग्रेस के विधायकों को उसने बंदी बनाया है, लेकिन कांग्रेस साफ तौर पर कह रही है कि उनके विधायकों को बेंगलुरु में बंधक बना कर रखा गया है।

कांग्रेस ने अपना पूरा ध्यान उन विधायकों से सीधे संपर्क करने में लगा दिया है, जो वीडियो या इस्तीफा के माध्यम से कांग्रेस से बाहर होना चाहते हैं, लेकिन सीधे तौर पर भाजपा में जाने को नहीं कहा है। कांग्रेस को पूरा विश्वास है कि उन विधायकों को बंधक बनाया गया है और दबाव में उनसे बयान दिलाया जा रहा है। यह विश्वास आज सुबह उस समय ज्यादा पुख्ता हो गया, जब दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता बेंगलुरु में ठहरे हुए विधायकों से मिलने पहुंच गए। 17 मार्च को बेंगलुरु में मौजूद विधायकों के वीडियो जारी हुए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे अपनी मर्जी से वहां हैं, किसी के द्वारा बंधक नहीं बनाए गए हैं और स्वतंत्र हैं।

आज जब दिग्विजय सिंह और कांग्रेसी नेता उनसे मिलने वहां गए, तो न केवल उन्हें विधायकों से मिलने को रोका गया, बल्कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया। इसके बाद कांग्रेस ने और ज्यादा मुखरता से यह कहना शुरू कर दिया कि उनके विधायकों को बंधक बनाया गया है और उनसे दबाव में बयान दिलवाये जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई टिप्पणियां की। सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि वह विधायिका के रास्ता में नहीं आना चाहती। वीडियो देखकर यह तय नहीं किया जा सकता विधायक अपनी मर्जी से फैसला ले रहे हैं। कैसे माना जाए कि विधायकों ने हलफनामें मर्जी से दिए हैं। विधायकों को मजबूर नहीं कर सकते कि वे विधानसभा में कार्यवाही में भाग लें। यह देखना होगा कि विधायक दबाव में नहीं हैं। कोर्ट इस तरह की टिप्पणियों के बीच सारा मामला उन 16 विधायकों को लेकर किए जाने वाले निर्णय पर टिक गया है।

यदि उनका इस्तीफा स्वीकार करने का कोई आदेश कोर्ट देता है, तो सरकार के लिए विश्वास मत हासिल करना कठिन हो सकता है। कांग्रेस ने कोर्ट में यह दलील दी है कि फ्लोर टेस्ट की मांग नई सरकार के लिए की जा सकती है। 15 महीने से मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बहुमत के साथ कायम है। ऐसे में विश्वास प्रस्ताव या अविश्वास प्रस्ताव ही पेश किया जा सकता है। यदि विपक्ष को लगता है, तो अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए।

कोर्ट की टिप्पणियों से लगता है कि वह सीधे तौर पर विधायिका के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। ऐसे में यदि निश्चित समय सीमा में कांग्रेस सरकार को किसी भी तरीके से बहुमत साबित करने को कहा जाता है, तो वह विधान सभा अध्यक्ष के ऊपर छोड़ा जा सकता है, वह मौजूदा सत्र में कब इसे पूरा करवाएं। यद्यपि कांग्रेस की यह भी मांग है कि यदि उन 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया जाता है, तो उप चुनाव के बाद ही बहुमत साबित करने को कहा जाए।

इस बीच दिन भर चले आज राजनीतिक उठापटक का बड़ा केन्द्र बेंगलुरु ही रहा। वहां दिग्विजय सिंह ने डीजीपी से मुलाकात कर विधायकों से मिलवाने को कहा, लेकिन डीजीपी ने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने पत्रकार वार्ता कर भाजपा पर जम कर हमला बोला। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनमत का सम्मान नहीं करते। मध्यप्रदेश के मंत्री पीसी शर्मा ने भी आज कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार और कर्नाटक की भाजपा सरकार मिली हुई है, जो मध्यप्रदेश में सरकार को गिराना चाहती हैं।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकार को हाईजैक करना चाहती है, लेकिन कांग्रेस सरकार पूर्ण बहुमत में है। दिग्विजय सिंह ने विधायकों से मिलने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। वहीं कमलनाथ भी बेंगलुरु जाकर विधायकों से मिलना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और कर्नाटक के मुख्यमंत्री वी.एस. येदुरप्पा को फोन भी किया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने इससे इनकार कर दिया।

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया का कहना है, ‘‘जिन 6 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है, उन्हें किस बात का डर है। वे भोपाल आ सकते थे। लेकिन वे भी उन 16 विधायकों के साथ वही हैं, जिनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है।

इससे जाहिर होता है कि उन्हें कोई खतरा नहीं है, बल्कि कांग्रेस नेताओं के संपर्क में आने से रोका जा रहा है। कोर्ट का फैसला जो भी आए, लेकिन आज की घटनाओं के बाद राजनीतिक रूप से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ है। इसके साथ ही भाजपा नेताओं को भी लगने लगा है कि वे जिस आसानी से सरकार को गिराने की सोच रहे थे, उतनी आसानी से संभव होता नहीं दिख रहा है।’’

इसे भी पढ़े :मप्र संकट : सुप्रीम कोर्ट ने शक्ति परीक्षण पर कमलनाथ सरकार से बुधवार तक मांगा जवाब

Madhya Pradesh
MP crisis
kamalnath
KAMALNATH SARKAR
floor test
Shivraj Singh Chauhan
Supreme Court
Congress
BJP
Narendra modi
Amit Shah

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • Anganwadi workers
    रौनक छाबड़ा
    हरियाणा: हड़ताली आंगनवाड़ी कार्यकार्ताओं के आंदोलन में अब किसान और छात्र भी जुड़ेंगे 
    08 Mar 2022
    आने वाले दिनों में सभी महिला कार्यबलों से सम्बद्ध यूनियनों की आस ‘संयुक्त महापंचायत’ पर लगी हुई है; इस संबंध में 10 मार्च को रोहतक में एक बैठक आहूत की गई है।
  • refugee crisis
    एपी
    रूस-यूक्रेन युद्ध अपडेट: संयुक्त राष्ट्र ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इसे यूरोप का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट बताया 
    08 Mar 2022
    अमेरीका ने रूस से आयात होने वाले तेल पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानूनी मुहिम शुरू की, तो दूसरी तरफ जेलेंस्की ने रूस को चिकित्सा आपूर्ति मार्ग पर हुआ समझौता याद दिलाया।
  • राज कुमार
    गोवा चुनावः कौन जीतेगा चुनाव और किसकी बनेगी सरकार?
    08 Mar 2022
    इस बार भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है क्योंकि तमाम विपक्षी दल भाजपा को हराने के लिए लड़े हैं और ये स्थिति कांग्रेस के पक्ष में जाती है।
  • privatization of railways
    सतीश भारतीय
    निजी ट्रेनें चलने से पहले पार्किंग और किराए में छूट जैसी समस्याएं बढ़ने लगी हैं!
    08 Mar 2022
    रेलवे का निजीकरण गरीब और मध्यम वर्ग की जेब पर वजन लादने जैसा है। क्योंकि यही वर्ग व्यवसाय और आवाजाही के लिए सबसे ज्यादा रेलवे पर आश्रित है।
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में एक्टिव मामलों की घटकर 50 हज़ार से कम हुई
    08 Mar 2022
    देश में 24 घंटों में कोरोना के 3,993 नए मामले सामने आए हैं। देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.12 फ़ीसदी यानी 49 हज़ार 948 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License