NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
महाराष्ट्र: प्याज़ निर्यात पर रोक से किसान और कारोबारी मुश्किल में, 5000 करोड़ के नुकसान की आशंका
दरअसल, लगातार तीन महीनों से जारी बरसात के कारण सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। लेकिन प्याज़ की कीमत अपेक्षाकृत कम है। हालांकि, पिछले पंद्रह दिनों में प्याज़ की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हुई है। इसके बावजूद, किसानों को प्याज़ में पिछले साल हुए नुकसान की भरपाई संभव नहीं दिख रही है।
शिरीष खरे
25 Sep 2020
महाराष्ट्र

पुणे: केंद्र की भाजपानीत नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा प्याज़ के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय के कारण राज्य के नासिक, नगर, पुणे और सोलापुर जिलों में प्याज़ उत्पादक किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि प्याज़ के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित मोदी सरकार का निर्णय अपेक्षा से उलट है। इनका मानना है कि इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीन और पाकिस्तान को लाभ होगा। वहीं, इस कारोबार से जुड़े कई जानकार बताते हैं कि केंद्र के इस निर्णय से राज्य के किसानों और कारोबारियों को 5,000 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ेगा।

बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने प्याज़ को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया है। साथ ही, यह दावा भी किया जा रहा था कि प्याज़ उत्पादक किसान अब 'एक देश, एक बाजार' नीति के तहत लाभान्वित होंगे। लेकिन, केंद्र द्वारा अचानक प्याज़ निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला उत्पादक और कारोबारियों के लिए कुठाराघात है।

बता दें कि महाराष्ट्र के बाजारों में आलू की कीमत 40-50 रुपये, ग्वार की कीमत 100 रुपये, सीताफल की कीमत 100-150 रुपये, टमाटर की कीमत 80 रुपये, मटर की कीमत 80-100 रुपये, बैगन की कीमत 50-60 रुपये और लहसुन की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम है।

दरअसल, लगातार तीन महीनों से जारी बरसात के कारण सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। दूसरी तरफ, प्याज़ की कीमत अपेक्षाकृत कम है।

बताया जा रहा है कि इन दिनों प्याज़ की कीमत अपेक्षा से 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक कम है।

इससे पहले यदि प्याज़ की 50 से 60 रुपये से अधिक हो जाती थी तो सरकार तो निर्यात को कम करने के लिए निर्यात मूल्य में वृद्धि करती थी। इसके बावजूद, यदि प्याज़ की कीमत में वृद्धि होती थी तो सरकार आम जनता को राहत देने के लिए प्याज़ का निर्यात रोक देती थी। लेकिन, इस बार केंद्र सरकार ने प्याज़ के निर्यात पर ऐसी कोई परिस्थिति न होते हुए भी अचानक प्याज़ के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे प्याज़ उत्पादन में आगे महाराष्ट्र के किसान सकते में हैं और केंद्र सरकार के खिलाफ जगह-जगह सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं।

गौर करने वाली बात यह है कि इस वर्ष फरवरी से अगस्त के अंतिम सप्ताह तक प्याज़ 800 रुपये प्रति क्विंटल के औसत मूल्य पर बेचा गया था। वहीं, पिछले साल हुई अति वृष्टि से प्याज़ की फसल बड़े पैमाने पर बर्बाद हुई थी। पिछले साल प्याज़ की फसल रोपण में रिकार्ड दर्ज करने के बावजूद उत्पादन में गिरावट आई थी। पूरे राज्य में ज्यादातर प्याज़ सड़ गया था।

हालांकि, पिछले पंद्रह दिनों में प्याज़ की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हुई है। इसके बावजूद, किसानों को प्याज़ में पिछले साल हुए नुकसान की भरपाई संभव नहीं दिख रही है। ऐसे में केंद्र का ताजा निर्णय किसान संगठनों द्वारा किसान विरोधी बताया जा रहा है।

हालांकि, कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मोदी सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन के कारण प्याज़ के निर्यात में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था लेकिन पिछले दिनों फिर प्याज़ का निर्यात सुचारू रूप से शुरू हो गया था। बता दें कि अकेले महाराष्ट्र से पिछले आठ महीनों में सोलह से सत्रह लाख टन प्याज़ का निर्यात किया गया था। इस लिहाज से देखें तो राज्य से प्रति माह औसतन ढाई लाख टन प्याज़ का निर्यात होता था।

अप्रैल, मई और जून इन तीन महीनों में लगभग सात लाख टन प्याज़ का निर्यात किया गया था। पिछले साल राज्य से सवा ग्यारह लाख टन प्याज़ का निर्यात किया गया था। हालांकि, दो वर्ष पहले राज्य से साढ़े इक्कीस लाख टन प्याज़ का निर्यात किया गया था। इससे जाहिर होता है कि प्याज़ निर्यात के मामले में राज्य के किसान और कारोबारी पहले से ही जूझ रहे थे। वहीं, यह भी एक तथ्य है कि भारत का प्याज़ विश्व बाजार में पहले स्थान पर है। इसलिए, भले ही प्याज़ चीन, मिस्र, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में बड़ी मात्रा में उगाया जाता है, लेकिन इसके बावजूद भारतीय प्याज़ की मांग सबसे अधिक रहती है। इसकी वजह भारतीय प्याज़ का मसालेदार होना बताया जाता है। भारतीय प्याज़ के आकार, रंग और स्वाद के कारण भी यह दुनिया भर में मशहूर है।

महाराष्ट्र में प्याज़ निर्यातक संघ के अध्यक्ष अजीत शाह बताते हैं कि दुनिया भर में भारतीय प्याज़ की सबसे अधिक मांग है। यहां तक कि प्याज़ उत्पादक चीन, मिस्र, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को भारत प्याज़ बेचता है। लेकिन, अब केंद्र इसके निर्यात को अचानक रोक रहा है। केंद्र सरकार को प्याज़ निर्यात की नीति तय करनी चाहिए। अचानक प्याज़ निर्यात पर प्रतिबंध के कारण मुंबई के बंदरगाह में प्याज़ के 400 से अधिक कंटेनर खड़े हुए हैं। यह प्याज़ बरसात के कारण मुंबई में ही सड़ जाएगा। इसी तरह, बांग्लादेश की सीमा पर भी 33 वाहन खड़े हुए हैं।  यदि इसे निर्यात करने की अनुमति नहीं है तो प्याज़ निर्यातकों को करोड़ों का नुकसान होगा।

वहीं, किसान संघ के अध्यक्ष रघुनाथ पाटिल कहते हैं कि वर्तमान आर्थिक संकट के बावजूद जब देश प्याज़ निर्यात से डॉलर कमा रहा था तब केंद्र का यह निर्णय समझ से परे हैं। यही तो एक अवसर था, लेकिन इसे ही खोने दिया जा रहा है। यह एक मूर्खतापूर्ण निर्णय है। इससे चीन और पाकिस्तान को फायदा होगा।

इस बारे में कृषि व्यवसायी दीपक चव्हाण बताते हैं कि उत्पादन लागत को कवर करने के लिए कीमतें बढ़ने के तुरंत बाद निर्यात प्रतिबंध लगाए गए हैं। इससे किसानों को लागत निकालने तक में परेशानी हो सकती है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Maharastra
Onions
Ban on onion
BJP
Narendra modi
Coronavirus
COVID-19
modi sarkar
farmer crises
farmers

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

ग्राउंड रिपोर्टः डीज़ल-पेट्रोल की महंगी डोज से मुश्किल में पूर्वांचल के किसानों की ज़िंदगी

MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?

सावधान: यूं ही नहीं जारी की है अनिल घनवट ने 'कृषि सुधार' के लिए 'सुप्रीम कमेटी' की रिपोर्ट 

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित

यूपी चुनाव : किसानों ने कहा- आय दोगुनी क्या होती, लागत तक नहीं निकल पा रही


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License