NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
मी महाराष्ट्र बोलतोय…
साथियो, ये घात-प्रतिघात, ये वार-पलटवार सब राजनीतिक दलों के लिए छोड़ दीजिए और आप अपने लोकतंत्र और संविधान की चिंता कीजिए। आप सवाल पूछिए… आप कहिए ये सब तमाशा बंद होना चाहिए। आप कहिए- साडा हक़ इत्थे रख।
मुकुल सरल
25 Nov 2019
maharastra

मी महाराष्ट्र बोलतोय...मैं महाराष्ट्र बोल रहा हूं...मेरी आज की हालत पर आप शायद हँस रहे होंगे, लेकिन ये हँसने का विषय नहीं बल्कि चिंता का विषय है। एक नागरिक बतौर, एक मतदाता के नाते आपको इस सब पर चिंता करनी चाहिए...करनी ही होगी... जो आज आप सरकार बनाने और बचाने के नाम पर होता देख रहे हैं।

लेकिन अफ़सोस आप जो मेरे अपने हैं, आपमें से बहुत लोग...और वो लोग जो लोकतंत्र का चौथे स्तंभ होने का दावा करते हैं मेरी दुर्दशा में भी आनंद खोज रहे हैं, खुश हो रहे हैं कि देखो कैसे किसने किसको पछाड़ा, कैसा सबक सिखाया।

साथियो, ये घात-प्रतिघात, ये वार-पलटवार सब राजनीतिक दलों के लिए छोड़ दीजिए और आप अपने लोकतंत्र और संविधान की चिंता कीजिए। आप सवाल पूछिए…आप पूछिए अपने हुक्मरां से, अपने शासकों से, अपनी सरकार से कि आपको किसने हक़ दिया इस सब तमाशे का। लोकतंत्र से खिलवाड़ का। संविधान की हत्या का।

आप पूछिए बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस सबसे पूछिए…. फडणवीस, उद्धव, अजीत पवार, शरद पवार सबसे पूछिए, कि ये सब क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है। क्या है ये गुणा-गणित, क्या है जोड़-घटा। कहिए बंद कीजिए ये सब दुराचार, भ्रष्टाचार, खेल-तमाशा। असल में धोखा पार्टियों ने एक दूसरे को नहीं, बल्कि आपको दिया है, ठगा आपको गया है। सौदा आपके वोट का हुआ है। अपमान आपके मत का हुआ है। मज़ाक आपके लोकतंत्र और संविधान का उड़ा है।  

वाकई ये हँसने का विषय नहीं है, सोचने का वक्त है कि कैसे रात के अंधेरे में लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया, संविधान की धज्जियां उड़ा दी गईं। कैसे बिना बहुमत के एक सरकार बना दी गई। और अब संविधान के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों के लिए, कानून बनाने वाली विधायिका के लिए न्यायपालिका से निर्देश मांगा जा रहा है।

इसे भी पढ़े: महाराष्ट्र: ठगा तो मतदाता गया, नुकसान तो लोकतंत्र का हुआ!

टीवी स्क्रीन पर आप जो ये सब तमाशा देख रहे हैं कि कैसे नेता-विधायक पाले बदल रहे हैं...कैसे हर पार्टी अपने विधायकों को बचाने-छिपाने के लिए एक होटल से दूसरे होटल घूम रही है, जैसे विधायक न हुए भेड़-बकरी हो गए, जिन्हें खुला छोड़ दिया तो कोई भी हांक ले जाएगा। दुकान में रखा माल हो गए कि कोई भी लूट ले जाएगा। ये बेहद चिंता करने का मामला है...ये वे विधायक हैं जिन्हें आपने चुना है...अपना कीमती वोट देकर। लेकिन या तो इनमें से बहुत ने उसका सौदा कर लिया है या फिर डर या मज़बूरी में सरेंडर कर दिया है। ये दोनों ही स्थितियां बुरी हैं...बेहद ख़तरनाक़। आप समझ रहे हैं कि आपका लोकतंत्र किस तरफ जा रहा है, या ज़बर्दस्ती ले जाया जा रहा है।

आपमें से बहुत लोग...पार्टियों के पाले में बंट गए हैं और उसके नफ़े-नुकसान के हिसाब से ये सब होता देख रहे हैं। इसे ऐसे मत देखिए..मत देखिए उनकी नज़र से, इसे अपनी नज़र से देखिए। क्योंकि ये राष्ट्र, ये महाराष्ट्र किसी दल का नहीं, आपका है, आप 130 करोड़ आम भारतीयों का।  

आपको पूछना होगा कि कौन है आपके वोट का हक़दार। आपको कहना होगा कि आपके वोट का सौदा कोई नहीं कर सकता।

मत कहिए कि मोदी है तो मुमकिन है...मत कहिए कि जीते कोई भी सरकार तो बीजेपी की बनेगी। मत कहिए इस कुनीति को चाणक्य नीति। मत कहिए कि कांग्रेस ने भी तो यही किया है। मत कहिए कि पहले भी ऐसे सरकारें बनाईं और गिराईं गई हैं...मत कहिए कि इससे पहले भी ऐसे ही जनादेश का अपहरण हुआ है। मत कहिए इससे पहले भी लोकतंत्र की इसी तरह धज्जियां उड़ाई जाती रही हैं। पहले कुछ ग़लत हुआ है तो वो आज भी ग़लत है।

दो ग़लत मिलकर एक सही नहीं हो सकते। ये देश बीजेपी या कांग्रेस की बपौती नहीं है...कि एक-दूसरे के पाप गिनाकर ग़लत को सही कर दिया जाएगा। ये धूर्तता, ये मक्कारियां आप इन दलों के लिए छोड़ दीजिए...आप तो यही कहिए कि साडा हक़ इत्थे रख। आप पूछिए कहां है मेरी शिक्षा, मेरा स्वास्थ्य, मेरा रोज़गार। आप कहिए मेरा देश, मेरा संविधान, मेरा लोकतंत्र...मैं इस सबसे खिलवाड़ की इजाज़त किसी को नहीं दूंगा। किसी को भी नहीं…प्रधानसेवक को भी नहीं...महामहिम को भी नहीं।
 
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)

इसे भी पढ़े: महाराष्ट्र में हुए इस सियासी ड्रामे को 'लोकतंत्र से विश्वासघात' क्यों कहा जाना चाहिए?

Maharastra
Political Drama
Voter's Choice
Voter's Right
Dirty Politics in Maharastra
Maharastra's Voter
BJP
Amit Shah
Devendra Fednavis
NCP
Ajit Pawar
Indian democracy

Related Stories

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

त्वरित टिप्पणी: जनता के मुद्दों पर राजनीति करना और जीतना होता जा रहा है मुश्किल


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License