NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
जज़्बाः ग्रामीण इलाक़े के छात्रों को विज्ञान की शिक्षा दे रहे हैं 'तेजस' के वैज्ञानिक
वर्मा का कार्य प्रेरणा देने वाला है। देश के सबसे बड़े रक्षा शोध संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक रहे वर्मा बिहार के ग्रामीण इलाक़ों के छात्रों को विज्ञान की शिक्षा दे रहे हैं।
सौरभ कुमार
04 Nov 2019
मानस बिहारी वर्मा
मानस बिहारी वर्मा

थोड़े से वक़्त में सबकुछ हासिल करने वाली तेज़ी से दौड़ती भागती दुनिया में ये कल्पना करना बहुत मुश्किल है कि कोई व्यक्ति आधुनिक और सुविधा से भरे शहर को छोड़ कर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के साथ अपना सेवानिवृत्त जीवन बिताएगा। ऐसा कर दिखाया है तेजस टीम के हिस्सा रहे मशहूर वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा ने। देश के अग्रणी रक्षा शोध संगठन के हिस्सा रहे वर्मा ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षण कार्य कर रहे हैं। उनका ये सफर प्रेरणा देने वाला है। एयरोनॉकिल साइंस में अहम योगदान को लेकर उन्हें पिछले साल पद्म श्री सम्मान से नवाज़ा गया। इसके बावजूद वे ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी शिक्षा देने का काम जारी रखे हुए हैं।

मानस बिहारी वर्मा का जन्म 1943 में दरभंगा में यशोदा देवी और आनंद किशोर लाल के घर हुआ था। लाल 1917 में महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा के सक्रिय साथी थें। उनके पिता ने भूदान आंदोलन के समय विनोबा भावे की बिहार यात्रा के दौरान भी मदद की थी। मधेपुर के जवाहर हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वर्मा ने बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से स्नातक की पढ़ाई की जो वर्तमान में एनआईटी पटना के नाम से जाना जाता है। उन्होंने 1969 में 'जेट प्रोपल्शन' में विशेषज्ञता के साथ कलकत्ता विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।

वर्ष 1970 में वर्मा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में शामिल हो गए और उन्होंने एयरोनॉकिल स्ट्रीम में काम करना शुरू कर दिया। 35वर्ष की अपनी सेवा के दौरान उन्होंने नई दिल्ली, बैंगलोर और कोरापुट में स्थित एयरोनॉटिकल संस्थानों में काम किया। वर्मा 2002 से 2005 तक बैंगलोर स्थित एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) के निदेशक रहे।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ कार्य

डीआडीओ में शामिल होने के ठीक तीन महीने बाद वर्मा को बैंगलोर स्थानांतरित कर दिया गया। वहां वे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोजेक्ट के साथ निकटता से जुड़े थे और नवीनतम तकनीकों को शामिल करते हुए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के सभी मैकेनिकल सिस्टम के लिए संरचना और ब्यौरा विकसित किया।

image 1.JPG
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ मानस बिहारी वर्मा

एचएएल तेजस की संकल्पना डीआरडीओ बैंगलोर की एक टीम द्वारा तैयार की गई थी जहां वर्मा कार्यक्रम निदेशक बने थें। उन्होंने 11 किमी की ऊंचाई तक सुपरसोनिक गति के उड़ान परीक्षण का नेतृत्व किया और तेजस के वृहत इंजीनियरिंग विकास के पहले चरण को पूरा किया। राजीव गांधी सरकार ने 321 मिग विमानों को बदलने के उद्देश्य से 1986 में इस परियोजना पर काम शुरू हुआ।

तेजस को डिजाइन करने के इस चरण में वर्मा और उनकी टीम को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम करने का मौक़ा मिला जब वे हैदराबाद के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल प्रोग्राम (आईजीएमपी) के कार्यक्रम निदेशक थें।

न्यूज़़क्लिक के साथ बातचीत में वर्मा ने बताया कि डॉ़ कलाम व्यक्तित्व, कार्य और व्यवहार के मामले में एक अद्वितीय व्यक्ति थें। वर्मा कहते हैं, "जब वे आईजीएमपी में मिसाइल अग्नि, पृथ्वी, धनुष पर काम करने की जिम्मेदारियों को निभा रहे थें तब भी उन्होंने प्रशासनिक या तकनीकी समस्याओं के दौरान हमारी मदद की थी और बहुत ही संजीदगी से हमारे काम की समीक्षा की थी।"

बिहार के ग्रामीण इलाक़ों में विज्ञान की शिक्षा और सेवा

साल 2005 में बैंगलोर स्थित एडीए से सेवानिवृत्ति के बाद वर्मा ने दरभंगा ज़िले के घनश्यामपुर ब्लॉक में अपने पैतृक गांव बोउर में लौटने का फैसला किया। अशिक्षा और ग़रीबी सहित कई समस्याओं को स्वीकार करते हुए उन्होंने ग्रामीण इलाक़े के बच्चों को बुनियादी विज्ञान का शिक्षा देने का फैसला किया। उन्होंने साल 2010 में मोबाइल साइंस लैब (एमएसएल) तैयार किया जिसका उद्देश्य ग्रामीण स्कूलों में शिविर लगाना था।

वर्मा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि इस पहल में भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान प्रयोगशालाओं से संबंधित 150 उपकरणों से सुसज्जित तीन वैन शामिल हैं। उन्होंने कहा, “कार्यक्रम संयोजकों की मदद से हम दरभंगा और मधुबनी के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्थित स्कूलों तक पहुंच रहे हैं। जब मैं बैंगलोर से अपने गांव में स्थानांतरित हुआ तो बिहार की शिक्षा में सुधार करना मेरा एकमात्र मकसद था।”

image 2.JPG
मघुबनी स्थित सरकारी स्कूल में रसायन विज्ञान का प्रयोग करते छात्र

एमएसएल कार्यक्रम वर्मा के अपने ग़ैर-लाभकारी संगठन विकास भारत फाउंडेशन द्वारा चलाया जाता है और इसके लिए वह डॉ़ एपीजे अब्दुल कलाम को श्रेय देते हैं। वे कहते हैं, "ये एमएसएल अब तक दरभंगा, मधुबनी और सुपौल ज़िले के 300 से अधिक स्कूलों में जा चुके हैं और लैब ने एक लाख से अधिक छात्रों को वैज्ञानिक प्रयोग दिखाए हैं और स्कूलों में लगभग 500 छात्रों को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिए।"

कंप्यूटर साक्षरता भी इस एमएसएल कार्यक्रम का हिस्सा है जहां छात्रों को कंप्यूटर की मूल बातें सिखाई जाती हैं, जैसे कि माक्रोसॉफ्ट पेंट, वर्ड, माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल आदि। विज्ञान को हर गांव के कोने-कोने तक पहुंचाने के उद्देश्य से सतत प्रयास ने ग्रामीण क्षेत्र के कई छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इस कार्यक्रम को डॉ़ कलाम से वित्तीय योगदान भी मिला था।

image 3.JPG
दरभंगा के ग्रामीण स्कूल में एमएसएल की सहायता से दी जा रही कम्प्यूटर शिक्षा का दृश्य

दरभंगा के एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और तालाब बचाओ आंदोलन के संस्थापक नारायण चौधरी कहते हैं, “मिथिलांचल और बिहार की धरती पर मानस बिहारी वर्मा का होना हमारे लिए गर्व की बात है। आज के समय में इस तरह की प्रतिभा की कल्पना नहीं की जा सकती है। मानस वर्मा जी एनआईटी-पटना के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष थें। इतने ऊंचे पद पर रहने के बावजूद वह बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में भाग लेने के लिए बस में दरभंगा से पटना आते थें। यह उनकी विनम्रता ही है।”

चौधरी कहते हैं, “साल 2007 में बिहार में बाढ़ के दौरान उन्होंने एक परियोजना का बीड़ा उठाया। उन्होंने बाढ़ प्रभावित ग्रामीण लोगों के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से सामुदायिक रसोई चलाया। इसे देखते हुए बिहार सरकार ने बाद के वर्ष में इसे एक ज़रुरी कार्य के तौर पर पालन किया।

वर्मा पिछले छह वर्षों से कोसी नदी और इसकी सहायक नदियों और इन नदियों की संरचनात्मक विशेषताओं पर संरचनात्मक हस्तक्षेप के प्रभाव का गहन अध्ययन कर रहे हैं। नदियों पर अध्ययन करने का उद्देश्य बार बार होने वाली बाढ़ की वार्षिक घटना है। उन्होंने विभिन्न पेशेवर मंचों के साथ अपने निष्कर्ष को साझा किया है।

image 4.JPG
राष्ट्रपति से पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त करते हुए मानस बिहारी वर्मा

वर्मा को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। साल 1998 में इंडिजिनस डेवलपमेंट ऑफ एरोनॉटिकल स्टोरेस के लिए एयरोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया अवार्ड। प्रधानमंत्री द्वारा 2001 में डीआरडीओ का वर्ष का वैज्ञानिक पुरस्कार; डीआडीओ टेक्नोलॉजी लीडरशीप अवार्ड (2004) भारत के प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया और प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार भी उन्हें दिया गया।

ग्रामीण बिहार के वंचित वर्गों के लिए एक समानांतर और सबसे अधिक उपलब्ध संस्थान बनाने की बात आती है तो उनके योगदान को पुरस्कार और सम्मान के ज़रिए नहीं आंका जा सकता है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आपने नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

The Brain Behind Tejas Takes Science to Rural Bihar

Manas Bihari Verma
HAL Tejas
DRDO
Aeronautical Science
Rural Bihar
Darbhanga Science
Aeronautical Development Agency
Dr APJ Abdul Kalam
Padma Shri
Bihar

Related Stories

भारत ने विकिरण रोधी मिसाइल रुद्रम-1 का सफल परीक्षण किया

बिहार शिक्षक हड़ताल : "कोरोना और सरकार से तब तक लड़ेंगे जबतक दोनों भाग नहीं जाएंगे!"

चमकी बुखार रोका जा सकता था इन मौतों को : डॉ. वंदना

बच्चों को भूल गयी सरकार !

मुज़फ़्फ़रपुर पहुंचे नीतीश के ख़िलाफ़ फूटा लोगों का गुस्सा, दिल्ली में भी प्रदर्शन

डेली राउंडअप : चमकी बुखार के मसले पर दर्ज हुआ मंत्रियों पर केस, आज से शुरू हुआ 17वीं लोकसभा का पहला सत्र

चमकी बुखार को आपदा घोषित करे सरकार: माले

बिहार : कुशासन की भेंट चढ़ते बच्चे और ख़ामोश विपक्ष!

इसरो की एक और सफलता, उपग्रह रिसैट-2बी का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण

क्या 2012 में ही सफल हो गया था 'मिशन शक्ति'?


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License