भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) तो राजस्थान की गहलोत सरकार से ख़फ़ा है और सचिन पायलट का दांव उल्टा पड़ने पर काफ़ी दुखी और नाराज़ है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती भी गहलोत सरकार से बहुत ख़फ़ा हैं और राज्य सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही हैं। हालांकि उनकी नाराज़गी ग़लत भी नहीं है क्योंकि गहलोत ने अपना बहुमत बनाने के लिए पहले ही उनकी पार्टी के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर लिया था। जबकि बीएसपी इससे पहले भी गहलोत सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी।
इस सिलसिले में आज उन्होंने जो पहला ट्वीट किया उसमें यही दुख और गुस्सा झलका- उन्होंने कहा
“जैसाकि विदित है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने पहले दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन व बीएसपी के साथ लगातार दूसरी बार दगाबाजी करके पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया और अब जग-जाहिर तौर पर फोन टेप कराके इन्होंने एक और गैर-कानूनी व असंवैधानिक काम किया है।“
इसी क्रम में वह दूसरा ट्वीट करती हैं- “इस प्रकार, राजस्थान में लगातार जारी राजनीतिक गतिरोध, आपसी उठा-पठक व सरकारी अस्थिरता के हालात का वहाँ के राज्यपाल को प्रभावी संज्ञान लेकर वहाँ राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करनी चाहिए, ताकि राज्य में लोकतंत्र की और ज्यादा दुर्दशा न हो।”
अब कांग्रेस और अन्य दल और उनके समर्थक मायावती पर बीजेपी के समर्थन का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि जिस तरह बीएसपी प्रमुख मायावती लगातार प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बीजेपी के पक्ष में बैटिंग कर रही हैं वो देखने लायक है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में भी कई ऐसे मामले सामने आए जब मायावती ने सत्तारूढ़ बीजेपी से सवाल पूछने की बजाय कांग्रेस को ही कठघरे में खड़ा किया।