NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
खोरी गांव की मजदूर आवास संघर्ष समिति ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की रिपोर्ट, कोर्ट ने हरियाणा सरकार से मांगा जवाब
मजदूर आवाज संघर्ष समिति खोरी गांव की तरफ से तैयार की गई रिपोर्ट के प्रस्तुत किए जाने के बाद अदालत ने हरियाणा सरकार को इस रिपोर्ट पर अपना जवाब प्रस्तुत करने हेतु आदेश दे दिया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Aug 2021
खोरी गांव की मजदूर आवास संघर्ष समिति ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की रिपोर्ट, कोर्ट ने हरियाणा सरकार से मांगा जवाब
फाइल फोटो

सरीना सरकार बनाम हरियाणा सरकार के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें सरीना सरकार (जनहित याचिकाकर्ता सदस्य मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव) द्वारा अपने अधिवक्ता के जरिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। यह जानकारी मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने दी।

उन्होंने बताया कि यह fact-finding रिपोर्ट हरियाणा सरकार द्वारा खोरी गांव से बेदखल एवं विस्थापित मजदूर परिवारों को प्रदान किए गए पुनर्वास की जांच" के उद्देश्य से की गई। मजदूर आवाज संघर्ष समिति खोरी गांव की तरफ से तैयार की गई रिपोर्ट के प्रस्तुत किए जाने के बाद अदालत ने हरियाणा सरकार को इस रिपोर्ट पर अपना जवाब प्रस्तुत करने हेतु आदेश दे दिया है। 

हरियाणा सरकार ने जल्द ही मजदूर परिवारों के पुनर्वास की पॉलिसी को नोटिफाई कर पब्लिक डोमेन में लाने का सुप्रीम कोर्ट को विश्वास दिलाया है और कहा है कि दो-तीन दिन में यह पॉलिसी नोटिफाई कर दी जाएगी।

प्रस्तुति रिपोर्ट हरियाणा सरकार द्वारा विस्थापित एवं बेदखल परिवारों के प्रति लापरवाही की पोल खोलती है। बेदखल हुए 10,000 परिवार आज पुनर्वास की आस में खोरी में पड़े मलबे में अपने नन्हे-नन्हे बच्चों को लेकर संघर्ष कर रहे है। एक तरफ़ बरसात दूसरी तरफ़ गर्मी से जूझते परिवार, अब रोटी के टुकड़े तक के लिए तरस रहे हैं। वहीं फरीदाबाद प्रशासन एवं नगर निगम द्वारा किए गए  पुनर्वास के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं।

समिति जो खोरी के लोगो के लिए लड़ रही है। उसने अपने एक लिखित बयाना में कहा है कि पुनर्वास नाम की कोई व्यवस्था खोरी गांव में नहीं पाई गई। साथ ही राधा स्वामी सत्संग हॉल भी मात्र व्यक्ति के ठहरने के लिए है, उनके घर के समान के लिए नहीं होने की वजह से बेदखल परिवार अपने सामान की वजह से वहीं मलबे में ही पड़े है। कई लोग तो गुरु पंथ में विश्वास नहीं करते है इसलिए राधा स्वामी सत्संग हॉल नहीं जा रहे हैं। जबकि नगर निगम उन्हे गुरु पंथ की और धकेल रहा है।

निर्मल गोराना ने अपने बयाना में कहा है कि हाल ही में मजदूर आवास संघर्ष समिति के सदस्यों ने मिलकर लगभग 1700 परिवारों के दस्तावेज एकत्रित करके नगर निगम कमिश्नर कार्यालय तक पहुंचाने का प्रयास किया, किंतु नगर निगम कमिश्नर कार्यालय ने इन दस्तावेजों को लेने से मना कर दिया, ऐसी स्थिति में जब बेदखल परिवार अपने दस्तावेजों को लेकर कमिश्नर कार्यालय तक पहुंच रहे हैं पर दस्तावेज नहीं लिए जा रहे हैं तो भला इन मजदूरों का पुनर्वास कैसे होगा? यह मजदूरों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। कुछ दिन पूर्व दस्तावेजों को जमा करने वाले कुछ परिवारों को तो अभी भी जमा दस्तावेजों की रसीद ही नहीं मिली, इसको लेकर मजदूर चिंतित है क्योंकि मजदूर के पास कोई प्रूफ ही नही रहा है। 

मजदूर आवाज संघर्ष समिति ने कहा कि वो पूरे हरियाणा में जबरन बेदखली के खिलाफ संघर्ष के लिए कमर कस चुकी है। गुरुग्राम में होने वाले विस्थापन को लेकर भी मजदूर आवाज संघर्ष समिति ने कार्य योजना तैयार कर ली है।

गौरतलब है कि हरियाणा के फरीदाबाद जिले में कुछ हिस्सा अरावली वनक्षेत्र का है जहां कोरोना महामारी, मानसूनी मौसम और भीषण गर्मी के बीच 10,000 परिवारों को नगर पालिका ने बेघर कर दिया है। हालाँकि ये सब उच्चतम न्यायलय के आदेश पर किया गया है। ये सभी परिवार लगभग 25-30 वर्षों से फरीदाबाद के खोरी गांव इलाक़े के अरावली क्षेत्र में रहते थे।

इस पूरे मामले की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई। जब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खोरी गांव के पुनर्वास करने के संबंध में फैसला सुनाया। इसके बाद फरीदाबाद नगर निगम ने वर्ष 2017 में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जिसमें 7 जून 2021 को उच्चतम न्यायलय ने खोरी गांव के मजदूर परिवार के घरों को 6 सप्ताह में बेदखल करने का फैसला सुनाया था। जिसके बाद से वहां से स्थानीय निवासी अपने पुनर्वास के लिए कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्ष कर रहे हैं।

Khori village
Khori Village Haryana
Mazdoor Awas Sangharsh Samiti
Supreme Court

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License