NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मिथिला के छात्रों की मुहिम: ‘घर-घर से ईंट लाएंगे, दरभंगा एम्स बनाएंगे’
अभी तक आपने ईंट वसूलने का किस्सा मंदिर और मस्जिद के लिए सुना होगा लेकिन बिहार के दरभंगा जिला में ईंट एक अस्पताल के लिए जमा की जा रही हैं।
राहुल कुमार गौरव
13 Aug 2021
मिथिला के छात्रों की मुहिम: ‘घर-घर से ईंट लाएंगे, दरभंगा एम्स बनाएंगे’

बिहार के मिथिलांचल इलाके के एक जिले का नाम है- दरभंगा। बिहार के दरभंगा जिले में पीली टीशर्ट पहने युवाओं की टोली गांव-गांव, टोला-टोला जाकर घर-घर से ईंट वसूल रही है। पीला टीशर्ट पहने युवाओं की टोली मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सदस्य हैं। मिथिला स्टूडेंट यूनियन एक गैर राजनीतिक युवा संगठन है, जिसकी स्थापना 2015 में हुई थी।

अभी तक आपने ईंट वसूलने का किस्सा मंदिर और मस्जिद के लिए सुना होगा लेकिन बिहार के इस जिला में ईंट एक अस्पताल के लिए वसूला जा रही है। मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने अगले महीने अस्पताल की सांकेतिक शिलान्यास करने की घोषणा भी कर दी है।

मामला क्या है?

'बिहार में एक दूसरा AIIMS बनेगा' इसकी घोषणा 2015 के बजट में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मिथिला क्षेत्र की बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए की थी, लेकिन आज 6 साल के बाद भी इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

MSU के सदस्य राम मंदिर निर्माण की तर्ज पर ‘घर-घर से ईंट लाएंगे, दरभंगा एम्स बनाएंगे’ के नारों के साथ सरकार को जगाने और अपने इलाकों के लोगों के लिए अस्पताल बनाने के अभियान के तहत दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी समेत कई जिलों से पिछले एक हफ्ते से ईंट जमा कर रहे हैं। मंदिर निर्माण की तर्ज पर शुरू किया गया यह अभियान सोशल मीडिया पर छाया हुआ है।

मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) के कोर सदस्य और निवर्तमान राष्ट्रीय महासचिव आदित्य मोहन बताते हैं कि, "केंद्र सरकार ने 2015 के बजट में बिहार के लिए एम्स की घोषणा की। लेकिन अभी तक शिलान्यास भी नहीं हो सका है। इतना ही नहीं मिट्टी भरने के लिए जो 13 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। वह काम भी शुरू नहीं हो पाया। जबकि इसी अवधि के दौरान दूसरे राज्यों के लिए जो एम्स के ऐलान हुए थे, उनमें इलाज शुरु हो गया है।"

आदित्य मोहन कहते हैं कि "नागपुर एम्स 2014 में घोषित हुआ था, मात्र 4 साल के अंदर 2018 में बनकर तैयार हो गया और अब सेवा में है। गोरखपुर एम्स 2014 में घोषित हुआ। 2016 में पीएम मोदी ने शिलान्यास किया। फिर बिहार के साथ ही अन्याय क्यों? इसलिए हम जनमानस ने तय किया है कि जिस तरह से मंदिर के लिए घर-घर से ईंट मांगी गई वैसे ही ईंट जमा करके 8 सितंबर को हजारों जनता के बीच एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन पर शिलान्यस करेंगे।"

आदित्य मोहन आगे कहते हैं, "उत्तर बिहार की स्थिति का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि दिल्ली एम्स में 25 से 30 फ़ीसदी लोग इसी इलाके के मिलेंगे। एक ठीक-ठाक अस्तपताल दरभंगा मेडिकल कॉलेज (DMCH) की हालत भी बदतर है। ये एम्स उत्तर बिहार की 6 करोड़ जनता के लिए बहुत जरुरी है।"

लंबे समय तक जगह ही नहीं हुई तय 

2015 के केंद्रीय बजट में बिहार के लिए दूसरे एम्स की घोषणा होने के बाद काफी लम्बे समय तक सरकार एम्स के लिए जमीन पर फैसला नहीं कर पाई थी। केंद्र के द्वारा 11 चिट्ठियां लिखें जाने के बाद 12वीं चिट्ठी के बाद तय हुआ कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज के कैंपस में ही एम्स बनेगा।

चुनाव से ठीक पहले 15 सितंबर, 2020 को केंद्रीय कैबिनेट ने दरभंगा AIIMS को मंजूरी दे दी। केंद्रीय कैबिनेट ने 1264 करोड़ रुपए के 750 बेड वाले इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी, लेकिन 6 साल बाद भी इसका अता-पता नहीं है। लिहाजा, स्थानीय मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) नामक एक छात्र संगठन ने जन सहयोग से दरभंगा एम्स के शिलान्यास की मुहिम छेड़ी है।

चुनावी मुद्दे से लेकर सियासी उठापटक तक

इस आंदोलन पर दरभंगा से बीजेपी सांसद गोपालजी ठाकुर कहते है कि, "दरभंगा में एम्स निर्माण के लिए बिहार सरकार ने दो सौ एकड़ भूमि उपलब्ध कराने के बाद उस पर मिट्टी भराई व समतलीकरण के लिए 13.23 करोड़ रुपए खर्च करने की प्रशासनिक व व्यय स्वीकृति भी दे दी है। कोरोना के कारण एम्स निर्माण में थोड़ा विलंब हुआ है। लेकिन निर्धारित अवधि में गुणवत्ता के साथ संपन्न कराने के प्रयास किये जा रहे हैं।"

वहीं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे कहते हैं कि एम्स को लेकर कोई अड़चन नहीं है। कोरोना में सरकार का मुख्य काम जिंदगी बचाना था। तो कई प्रोजेक्ट डिले हुए हैं।" 

वही विपक्ष की नेता राजद नेत्री ऋतु जयसवाल अपने विधानसभा क्षेत्र सीतामढ़ी से ईंट लेकर दरभंगा पहुंचती है और सरकार पर निशाना साधते हुए इस आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा भी करती हैं।

1264 करोड़ रुपए वाले अस्पताल को जनता कैसे बनाएगी? 

इस सवाल का जवाब अभियान की शुरुआत करने वाले अविनाश भारद्वाज देते हैं कि "हमें पता है कि हमारी राह में कई मुश्किलें आएंगी, हो सकता है एफआईआर हो, प्रसाशन रोके, लेकिन पहाड़ तोड़ने वाले दशरथ मांझी के राज्य में अब जनता ही अस्पताल भी बनाएगी।"

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Bihar
Mithila
Mithila Student
Darbhanga AIIMS
Bihar government
Mithila Student Union
MSU
DMCH

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी


बाकी खबरें

  • bharat ek mauj
    न्यूज़क्लिक टीम
    भारत एक मौज: क्यों नहीं हैं भारत के लोग Happy?
    28 Mar 2022
    'भारत एक मौज' के आज के एपिसोड में संजय Happiness Report पर चर्चा करेंगे के आखिर क्यों भारत का नंबर खुश रहने वाले देशों में आखिरी 10 देशों में आता है। उसके साथ ही वह फिल्म 'The Kashmir Files ' पर भी…
  • विजय विनीत
    पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर
    28 Mar 2022
    मोदी सरकार लगातार मेहनतकश तबके पर हमला कर रही है। ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती इसका ताजा उदाहरण है। इस कटौती से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सर्वाधिक नुकसान होगा। इससे पहले सरकार ने 44 श्रम कानूनों…
  • एपी
    रूस-यूक्रेन अपडेट:जेलेंस्की के तेवर नरम, बातचीत में ‘विलंब किए बिना’ शांति की बात
    28 Mar 2022
    रूस लंबे समय से मांग कर रहा है कि यूक्रेन पश्चिम के नाटो गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद छोड़ दे क्योंकि मॉस्को इसे अपने लिए खतरा मानता है।
  • मुकुंद झा
    देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन दिल्ली-एनसीआर में दिखा व्यापक असर
    28 Mar 2022
    सुबह से ही मज़दूर नेताओं और यूनियनों ने औद्योगिक क्षेत्र में जाकर मज़दूरों से काम का बहिष्कार करने की अपील की और उसके बाद मज़दूरों ने एकत्रित होकर औद्योगिक क्षेत्रों में रैली भी की। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    माले का 11वां राज्य सम्मेलन संपन्न, महिलाओं-नौजवानों और अल्पसंख्यकों को तरजीह
    28 Mar 2022
    "इस सम्मेलन में महिला प्रतिनिधियों ने जिस बेबाक तरीक़े से अपनी बातें रखीं, वह सम्मेलन के लिए अच्छा संकेत है।"
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License