NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
 'राSSSम' :  लिंच, लिंचक, लिंचित
आशीष देने वाला हाथ लहू से लथपथ धराशायी था, शान्तभाव मुख मनु की बचाई इन आततायी संतानों के कृत्यों से भयभीत। 
सोनाली
24 Aug 2021
 'राSSSम' :  लिंच, लिंचक, लिंचित
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : सोशल मीडिया

'राSSSम' 

इस पुकार में जो पीड़ा थी उसने प्रभु को धरती पर आने को विवश कर दिया। और लक्ष्मण ने राम का साथ कभी छोड़ा था जो अब अकेले आने देते। 

वे दोनों उस भीड़ के किनारे खड़े थे जिसके बीच से निरंतर जयनाद सुनाई दे रहा था 'जय श्री राम!'

'जय श्री राम!' 'जय श्री राम!'

और इस विजय उत्सव के बीच में था एक चोटिल व पराजित 'जय श्री राम'। मानो अंतिम श्वास की भिक्षा माँगता-सा। 

राम और रामानुज भीड़ में से मार्ग बनाते हुए आगे पहुँचे। घेरे के बीच था एक व्यक्ति और उससे लिपटी एक बच्ची। 

भीड़ में सब समान हो जाते हैं। मूँछों को ताव देने वाले और मूँछ रखने पर दंडित होने वाले, जनेऊ से जड़े और देवालयों को अपने चरणों से दूषित कर सकने वाले, वेदों के ज्ञाता और मंत्र सुनने पर कानों में खौलता शीशा डलवाने वाले सब भीड़ में, उस क्षण में एक थे। वे गर्व से कह रहे थे 'हम हिंदू हैं'।

व्यक्ति भीड़ से अलग था; माथे पर बहता ख़ून, भयभीत नयन, कष्ट से मुक्ति की कामना में आकाश की ओर फैली हथेलियाँ और मुख से पीड़ित स्वर में निकलता 'जय श्री राम'। उससे लिपटी थी एक बच्ची; अपनी भुजाओं में उस व्यक्ति को सुरक्षित रखने का प्रयास करती, रुदन के बीच में कभी-कभी 'राSSSम' पुकारती हुई इस आस में कि भीड़ के ईश्वर आएँ और उनकी रक्षा करें।

राम कैसे न रक्षा को आगे आते। वे और लक्ष्मण कवच बन बीच मे खड़े हुए। भीड़ ने उन्हें हटने को कहा, वे डटे रहे। भीड़ ने आदेश दिया 'हिंदुस्तान में रहना होगा, जय श्री राम कहना होगा'। राम कैसे हत्यारों कर आगे नतमस्तक हो जाते। मर्यादा पुरुषोत्तम मानवता की रेखा लाँघ कैसे हिंसक के समकक्ष खड़े हो जाते। उनकी तो नियति ही थी निःसहाय की ओर रहना। भीड़ ने व्यक्ति पर प्रहार किया, उसके मुँह से निकल पड़ा 'अल्लाह'। राम ने सुमित्रानंदन से कहा व्यक्ति और बच्ची को सुरक्षित निकाल ले जाने को। उन्होंने हर बार की तरह आज्ञा का पालन किया। 

भीड़ प्रभु की ओर बढ़ी। वे मूक खड़े रहे। वे भीड़ की 'राम में श्रद्धा' की पराकाष्ठा देखना चाहते थे। उन्हें फिर आदेश मिला 'हिंदुस्तान में रहना होगा, जय श्री राम कहना होगा'। लेकिन वे तो स्वयं राम राज्य में रहने वाले शिव भक्त थे। वे कुछ न बोले। पीछे से हुआ प्राण घातक प्रहार, प्रभु धरती पर आ गिरे। 

आशीष देने वाला हाथ लहू से लथपथ धराशायी था, शान्तभाव मुख मनु की बचाई इन आततायी संतानों के कृत्यों से भयभीत। 

यकायक सब मन्दिरों की प्रतिमाएँ खण्डित हो गईं। और कण-कण में रमे राम खण्डित प्रतिमाओं में वास नहीं करते।

mob lynching
mob violence
Ram
communal politics
Communal Hate
Religion Politics
Hindutva
RSS

Related Stories

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

ज्ञानवापी कांड एडीएम जबलपुर की याद क्यों दिलाता है

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License