VIDEO
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में दोबारा सत्ता संभालने के बाद से आज यानी 7-7-2021 को जो मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार किया , उसका समय बिल्कुल सटीक चुना। इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था। जनता के सवालों और गुस्से में घिरी सरकार को निगेटिव से पॉजिटिव न्यूज़ में लाने के लिए प्रचार-प्रसार , मीडिया के बैंड-बाजे के साथ परोसा गया मंत्र मोदी की ड्रीम टीम , मोदी मंत्र...मानो इससे पहले का मंत्रिमंडल मोदी टीम नहीं था या उसमें जो नगीने रखे गये थे , उनका चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नहीं किया था---इसे ही कहते हैं ब्रांडिग और आज के मंत्रिमंडल विस्तार से यह साबित होता है कि मोदी सरकार ब्रांडिंग करने में , ट्वीट में अपने वरिष्ठ मंत्रियों से कॉपी-पेस्ट करके एक ही ट्वीट करवाने में उस्ताद है।
इस बार एक तरह से मोदी सरकार ने अपनी नाकामी को स्वीकार किया और इसका ठीकरा फोड़ा उन कई वरिष्ठ-वाचाल मंत्रियों पर , जो अलग-अलग वजहों से खबरों में बने थे और निगेटिव कवरेज को मैनेज नहीं कर पा रहे थे। प्रकाश जावेड़कर , हर्षवर्धन , रविशंकर प्रसाद को इस कड़ी में देखा जा सकता है। 2014 से लेकर अब तक ---मंत्रिमंडल फेरबदल या विस्तार में इस बार क्या दांव खेलने जा रहे हैं मोदी , इसका मोटा-मोटा अंदाजा हो गया था और उसी के मुताबिक खबरें भी छापी जा रहीं थी। यह आभास सभी को था कि मंत्रिमंडल में किन्हें जगह मिलेगी —चाहे वह ज्योतिरादित्य सिंधिया हों , अनुराग ठाकुर या फिर अनुप्रिया पटेल। 43 लोगों में से अधिकांश के नाम पहले से मीडिया में चल रहे थे। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मेहरबानी होनी ही थी , जातिगत समीकरणों का भी जमकर ध्यान रखा जाना था। लेकिन सातों नये मंत्रियों को राज्य मंत्री का दर्जा मिला और उत्तर प्रदेश से एक कैबिनेट मंत्री संतोष गंगवार का पत्ता कट गया।
मोदी सरकार ने यह भी साबित किया कि जो दूसरी पार्टी को छोड़कर-तोड़कर , अपनी पार्टियों की सरकार को गिराकर भाजपा का दामन पकड़ते हैं , उन्हें नुकसान नहीं होने देते —आज जिस तरह से कांग्रेस को गचका देकर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया सीना चौड़ा करके आगे की सीट पर विराजमान थे और पदग्रहण के बाद मोदी उन्हें सीख दे रहे थे , वह आने वाले दिनों के लिए नसीहत है। महाराष्ट्र के शिवसेना-कांग्रेस से नारायण राणे को जिस तरह से पहले नंबर पर शपथ दिलाई गई। याद रहे कि उनके औऱ उनके परिवार के ऊपर ईडी ने 300 करोड़ रुपये की मनी लॉन्डरिंग का केस किया था।
एक और अहम चीज जो दर्ज की जानी चाहिए और जिस पर आगे सघन चर्चा व विश्लेषण होना चाहिए , वह यह कि इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कमान बहुत मजबूत हुई है। खासतौर से गुजरात , कर्नाटक , महाराष्ट्र और तमिलनाडु से जिन लोगों को इंट्री मिली है —वह दूरगामी रणनीति के तहत किया गया है। बंगाल से मतुआ समाज के सांसद शांतनुठाकुर के साथ कई पहली बार सांसद बने लोगों को जगह देकर आगे बंगाल पर फोकस को बनाए रखा। ओबीसी और दलित कार्ड के जरिए उत्तर प्रदेश में कई समीकरणों को जगह दी है। दलितों में भी ऐसी उप-जातियों पर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम को ठोस आधार देने की नजर से कई इंट्री की गई हैं।
(भाषा सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)