NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मोदी भारी राजनीतिक कीमत चुका कर ही अब अजय मिश्रा टेनी को मंत्री बनाये रख सकते हैं
आज अंतिम अरदास के मौके पर पूरा देश लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दे रहा है तथा घटनास्थल तिकोनिया में पूरे देश से आये किसानों का विराट संगम हो रहा है।
लाल बहादुर सिंह
12 Oct 2021
tikoniya

लखीमपुर हत्याकांड के 8 दिन बाद 11 अक्टूबर को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने टेनी मिश्रा एंड कम्पनी का बिना नाम लिए आलोचना करते हुए अलग टैक्टिकल लाइन का संकेत दिया और पार्टी के उससे distance करने के संकेत दिये। भाजपा के प्रवक्ता  अब नैतिकता के आधार पर टेनी के इस्तीफे की बात करने लगे हैं। पर लोग यह पूछ रहे हैं कि मोदी की नैतिकता कहाँ गयी, ऐसे मंत्री को वे बर्खास्त क्यों नहीं कर रहे?

दरअसल ये जनता के बीच इस घटना को लेकर हर बीतते दिन के साथ बढ़ते जा रहे भारी जनाक्रोश के दबाव में दिये गये बयान हैं। लोग किसानों के बर्बर कत्लेआम पर मर्माहत हैं और साफ तौर पर यह मान रहे हैं कि भाजपा नेतृत्व और सरकार हत्यारे भाजपाई मंत्री को बचाने की पहले दिन से ही हर सम्भव कोशिश कर रही है। यह पार्टी की छवि को हो रहे भारी नुकसान की भरपाई के लिए देर से की गयी अपर्याप्त कोशिश है, too little, too late !

क्या यह शीर्ष  नेतृत्व के स्तर पर गृह राज्यमंत्री के बारे में किसी बड़े निर्णय की ओर बढ़ने का संकेत है या महज बयानबाजी से damage control की कवायद? यह भविष्य बताएगा। पर इतना तय है, जिस तरह किसान आंदोलन, विपक्षी दलों और आम जनता का दबाव बढ़ता जा रहा है, मोदी भारी राजनीतिक कीमत चुका कर ही  अब टेनी को मंत्री बनाये रख सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी। (फाइल फोटो)

सरकार के रवैये ने  ब्रांड योगी को ध्वस्त कर दिया है। एक बाहुबली के सामने, जो उनकी पार्टी का नेता और शाह-मोदी का चहेता मंत्री है, योगी की पूरी मशीनरी कैसे 5 दिनों तक उसके आगे नतमस्तक, असहाय हो गई थी, यह पूरी दुनिया ने देखा। छोटे-मोटे अपराधियों के लिए भी "ठोंक दो" सिद्धांत के पैरोकार योगी जी एक हत्यारोपी के बचाव में लगातार सार्वजनिक बयान दे रहे थे, जो सफाई टेनी और उनके बेटे को देनी थी, वह योगी जी दे रहे थे, " ऐसा कोई विडियो नहीं है जिससे साबित हो कि मोनू वहां पर थे.", यहां तक कि जिस समय मोनू का interrogation चल रहा था, उस दौरान भी योगी जी ने बाइट दिया, " केवल आरोप के आधार पर किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।" 

कनाडा और ब्रिटेन की संसद तक में इस पर सवाल उठा। अंततः किसान आंदोलन द्वारा भारी दबाव बनाने तथा सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद सरकार को हरकत में आना पड़ा। इसने एक ओर योगी सरकार की जो हनक थी, उसे खत्म कर दिया है, दूसरी ओर योगी ने सुरक्षा के सवाल को जो अपना USP बनाया हुआ था, अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस का जो शिगूफा था, उसकी भी पोल खोल दी है।

सरकार अपने अन्तर्विरोधों में बुरी तरह उलझ गयी है और अब उससे निकलने का कोई रास्ता उसे नहीं सूझ रहा है।

दरअसल, संघ-भाजपा नेतृत्व और मोदी-योगी के  मन में चल रहा सबसा बड़ा consideration, जो लखीमपुर प्रकरण पर उनके कदमों को तय कर रहा है, इसे समझने में योगी जी के निकटस्थ सूचना-सलाहकार, कार्यसमिति सदस्य व प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी का ट्वीट मदद कर सकता है। उन्होंने लिखा, " आशीष मिश्र मोनू का निर्णय अदालत करेगी, पर उनके बहाने एक पूरे समाज के खिलाफ कांग्रेस, बसपा, सपा व वामपन्थी पक्षकारों की स्वाभाविक नफरत उबलकर पूरी तरह सामने आ गयी, हमले का कोई मौका न छोड़ा। इस एक घटना ने परशुराम भक्ति का रंग पोते घूम रहे रंगे सियारों का रंग उतार दिया, सब याद रखा जाएगा।"

यह बिल्कुल साफ है कि बेरहमी से कुचले गए मासूम किसानों के लिए न्याय का प्रश्न भाजपा की प्राथमिकता में नहीं है, एक मात्र चिंता यह है की वोट और जातियों के गणित का क्या होगा। शातिर ढंग से पूरे मामले को एक जातिवादी रंग देने की कोशिश की जा रही है, विपक्षी दलों को जाति विशेष का विरोधी और भाजपा को उसका रक्षक साबित करने का। और यह सब वह पार्टी कर रही है जो अपने को प्रखर राष्ट्रवाद और सामाजिक समरसता का एकमात्र चैंपियन बताती है।

गौरतलब है कि UP चुनाव के मद्देनजर जब पिछले दिनों मोदी जी ने मंत्रीमण्डल विस्तार किया तो ब्राह्मण समुदाय से जिस एकमात्र व्यक्ति को मंत्री बनाया गया वह कोई और नहीं, यही अजय मिश्र टेनी हैं जिनका आपराधिक इतिहास उस इलाके में सर्वविदित है। जिस व्यक्ति को मंत्री बनाकर ब्राह्मण power groups को आकर्षित करने की योजना थी, उसे मंत्री पद से हटाने पर उनकी नाराजगी का भय सता रहा हो तो ताज्जुब क्या ?

इसलिए अब पूरे मामले को spin देने की कोशिश की जा रही है कि अगर टेनी को हटाना पड़े तो उसका ठीकरा विपक्षी दलों के सर फोड़ा जा सके कि वे जाति विशेष के पीछे पड़े हुए हैं।

बहरहाल, गेंद अब मोदी जी के पाले में है। न्याय का तकाजा है कि हत्याकांड के मुख्य आरोपी का पिता केंद्रीय मंत्री पद से हटे, क्योंकि उसके मंत्री रहते निष्पक्ष जाँच असम्भव है। स्वयं सुप्रीम कोर्ट के CJI भी कह चुके हैं कि जिस तरह के लोग involve हैं, उसमें CBI जाँच का भी कोई मतलब नहीं है।

सबसे बड़ी बात यह कि वह व्यक्ति पूरे हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार है, जिसने खुले आम दंगाई बयान देकर वह हालात पैदा किये, जिसमें यह हत्याकांड घटित हुआ, जो अपने confession के अनुसार हत्यारी गाड़ी का मालिक है और अब जो लगातार अपने बेटे को क्लीनचिट दे रहा है। यहां तक कि पहले अपने बॉस अमित शाह और योगी से मिल कर मामले को manage करने की कोशिश के बाद वह व्यक्ति उस समय वहीं लखीमपुर शहर में अपने समर्थकों के साथ जमा हुआ था, जब पुलिस मोनू से पूछताछ कर रही थी।

लोग सचमुच दंग हैं कि मोदी-शाह-योगी में से किसी ने इतनी बड़ी घटना पर जिस पर पूरा देश उद्वेलित है, अब तक न संवेदना प्रकट की है, न निंदा की है और और न न्याय का आश्वासन दिया है, उल्टे टेनी को मंत्री बनाये हुए है, वे बाकायदा तमाम सरकारी समारोह कर रहे हैं और बेटे के बचाव में बयानबाजी कर रहे हैं। मोदी-शाह-योगी की चुप्पी को लोग उचित ही हत्यारों का मौन समर्थन समझ रहे हैं। 

आम जनमानस में बेहद क्षोभ और सरकार के रवैये पर आक्रोश है। सरकार  कदम उठाने में जितनी देर कर रही है, उतना ही बेनकाब होती जा रही है और लोग बिल्कुल convince हैं कि सरकार जो कुछ भी कर रही है, वह केवल और केवल सुप्रीम कोर्ट या जनदबाव में कर रही है, अन्यथा वह हत्यारों को बचाना चाहती है।

संयुक्त किसान मोर्चा  मंत्रीपद से अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी, 120 B के तहत उसकी गिरफ्तारी तथा सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में पूरे हत्याकांड की जाँच की मांग को लेकर दबाव बढ़ाता जा रहा है। 

आज अंतिम अरदास के मौके पर पूरा देश शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दे रहा है तथा घटनास्थल तिकोनिया में पूरे देश से आये किसानों का विराट संगम हो रहा है। 15 अक्टूबर को दशहरे के दिन मोदी-शाह-योगी के पुतले जलेंगे। 18 अक्टूबर को रेल रोको का जुझारू कार्यक्रम है और 26 अक्टूबर को उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में किसानों की ऐतिहासिक महापंचायत में भाजपा को उखाड़ फेंकने का एलान होगा।

कल विपक्षी दलों की पहल पर महाराष्ट्र बंद था और जगह जगह उनकी रैलियाँ हो रही हैं।

लखीमपुर हत्याकांड ने भाजपा सरकार को जो अपूरणीय क्षति पहुंचाई है, वह अब तक शायद ही किसी और घटनाक्रम ने पहुंचाई हो, और अब इससे उबर पाना लगभग असम्भव है।

किसान इस देश की आत्मा हैं, उनसे टकराना मोदी को बहुत भारी पड़ने वाला है। लोगों को लग रहा है कि किसान प्रश्न अब चुनाव में मुख्य मुद्दा बनने वाले हैं। सच्चाई यह है कि कृषि प्रधान भारत में किसान हमेशा से गुरुत्व केंद्र रहे हैं, वह चाहे आज़ादी की लड़ाई रही हो अथवा आज़ाद भारत में होने वाले चुनाव। इनमें हमेशा ही किसानों की निर्णायक भूमिका  रही है, स्वयं मोदी भी इन्हीं किसानों की भावनाओं का दोहन करके 2 बार प्रचण्ड बहुमत हासिल कर पाए थे। अब फर्क सिर्फ यह होने जा रहा है कि पहले किसान object की तरह इस्तेमाल होते थे, अबकी बार वे अपने हितों के प्रति सचेत सामाजिक शक्ति के बतौर चुनाव की तकदीर तय करेंगे।

मोदी-योगी राज के खिलाफ पहले से ही संचित double anti-incumbency में किसानों के जनसंहार ने उत्प्रेरक ( catalyst ) की भूमिका निभाया है, damage control का समय निकल गया है, जो नुकसान होना था वह हो चुका, आसन्न चुनावों में अब कोई चमत्कार ही इन्हें निश्चित पराजय से बचा सकता है। किसानों का लहू 2024 तक और उसके beyond भी मोदी और संघ-भाजपा का पीछा करता रहेगा।

(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं। )

Narendra modi
Ajay Mishra Teni
Lakhimpur Kheri
Lakhimpur massacre
BJP
kisan andolan
RSS
Yogi Adityanath

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License