NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
112 दिनों की भूख हड़ताल के बाद जेल में बंद मोरक्को के पत्रकार सुलेमान रायसूनी की तबीयत बिगड़ी
रायसूनी को प्री-ट्रायल डिटेंशन में रखा गया है। एक साल पहले सुनवाई के बाद उन्हें दोषी ठहराया गया और पांच साल की जेल की सज़ा सुनाई गई। इसे मानवाधिकार समूहों ने "त्रुटिपूर्ण" और "न्याय विहीन" क़रार दिया है।
पीपल्स डिस्पैच
30 Jul 2021
112 दिनों की भूख हड़ताल के बाद जेल में बंद मोरक्को के पत्रकार सुलेमान रायसूनी की तबीयत बिगड़ी

जेल में बंद मोरक्को के पत्रकार सुलेमान रायसूनी की तबीयत काफी बिगड़ गई है। वे पिछले 112 दिनों से अपनी अवैध प्री-ट्रायल डिटेंशन और बाद में दोषी ठहराए जाने और यौन उत्पीड़न के आरोप में कैद किए जाने के खिलाफ भूख हड़ताल पर हैं। कई मीडिया संस्थानों ने 29 जुलाई को ये रिपोर्ट प्रकाशित की।

रायसूनी ने इस साल 8 अप्रैल को अपनी भूख हड़ताल उस समय शुरू की थी जब वे अलग सेल में प्री-ट्रायल डिटेंशन में थे। रायसूनी मोरक्को के अंतिम स्वतंत्र समाचार पत्रों में से एक अखबार अल यूम अखबार के प्रधान संपादक के रूप में काम कर रहे थे, जो खुद मार्च महीने में सरकारी उत्पीड़न, वित्तीय कठिनाइयों के कारण और इसके संस्थापक-निदेशक पत्रकार तौफिक बूआक्रिन को 15 साल के लिए जेल भेज दिए जाने के बाद बंद होने के लिए मजबूर हो गया था।

मोरक्को के शहर कैसाब्लांका की एक अदालत ने उन्हें "हिंसक अनुचित हमले और हिरासत में" दोषी पाते हुए 10 जुलाई को 5 साल जेल की सजा सुनाई थी। 2018 का ये मामला मोरक्को के एक समलैंगिक व्यक्ति से संबंधित है जिसने रायसूनी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। रायसूनी ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से लगातार इनकार किया है और मानवाधिकार समूहों ने मोरक्को सरकार पर पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और सरकार की आलोचना करने वाले अन्य लोगों को निशाना बनाने के लिए इस तरह के मनगढ़ंत, आधारहीन, झूठे आरोपों का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया है।

मोरक्को की सरकार ने इसी तरह के आरोपों और मामलों का इस्तेमाल अन्य पत्रकारों और विपक्ष और नागरिक समाज के अन्य सदस्यों को सताने और कैद करने के लिए किया है, जिन्हें वह सरकार विरोधी और सरकार की भ्रष्ट और गैरकानूनी नीतियों, मानवाधिकारों का उल्लंघन और सत्ता के अन्य दुरुपयोग को उजागर करने के लिए लिखने और रिपोर्ट करने को अपनी शक्ति के लिए खतरा मानती है। इसी तरह की एक घटना में स्वतंत्र पत्रकार उमर रादी को हाल ही में एक मुकदमे के बाद इसी तरह के यौन उत्पीड़न के आरोपों के साथ-साथ जासूसी आदि के अन्य आरोपों में छह साल जेल की सजा सुनाई गई थी, जिसे मानवाधिकार समूहों और प्रेस फ्रीडम ग्रुप्स ने "त्रुटिपूर्ण", "न्याय विहीन", "अनियमितताओं से ग्रस्त"।करार दिया था।

Morocco
Suleiman Raisuni
hunger strike

Related Stories

झारखंड: हेमंत सरकार की वादाख़िलाफ़ी के विरोध में, भूख हड़ताल पर पोषण सखी

मोरक्को की सत्ताधारी पार्टी को संसदीय चुनावों में मिली भारी हार

इंटरकल्चरल एजुकेशन लॉ लागू करने की मांग को लेकर इक्वाडोर के शिक्षक भूख हड़ताल पर

इजिप्ट : राजनीतिक क़ैदियों के समर्थन में मशहूर हस्तियों ने किया भूख हड़ताल का ऐलान

अवैध इज़रायली प्रशासनिक हिरासत के ख़िलाफ़ तीन फ़िलिस्तीनी क़ैदियों ने की भूख हड़ताल

स्पेन की शीर्ष अदालत का कथित युद्ध अपराधों की शिकायतों में पोलिसारियो फ्रंट के प्रमुख की हिरासत से इनकार

मोरक्को के प्रवासियों के सीमावर्ती शहर सेउटा में प्रवेश करते ही स्पेन ने सुरक्षा बढ़ा दी

बैंकाक में भूख हड़ताल कर रहे बंदियों की रिहाई की मांग करते हुए सैकड़ों लोगों ने किया प्रदर्शन

पिछले हफ़्ते अल्जीरिया में गिरफ़्तार हुए 23 हिरक प्रदर्शनकारियों ने भूख हड़ताल शुरु की

न्यूयॉर्कः भूख हड़ताल कर रहे बिना दस्तावेज़ के प्रवासी कर्मचारियों ने ऐतिहासिक जीत हासिल की


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License