NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
मदर्स डे: प्यार का इज़हार भी ज़रूरी है
कभी-कभी प्यार और सद्भावना को जताना भी चाहिए। अच्छा लगता है। जैसे मां-बाप हमें जीने की दुआ हर दिन हर पल देते हैं, लेकिन हमारे जन्मदिन पर अतिरिक्त प्यार और दुआएं मिलती हैं। तो यह प्रदर्शन भी बुरा नहीं।
मुकुल सरल
08 May 2022
mother's day
तस्वीर गूगल से साभार

आज सुबह हमारे भांजे ने परिवार के ग्रुप में यह मैसेज किया-

Should we celebrate  only one day as mother's day or father's day?. It is a genuine feeling which cannot describe in any words. So enjoy and express yourself everyday as mother's day or father's day.

(क्या हमें केवल एक दिन को मातृ दिवस या पितृ दिवस के रूप में मनाना चाहिए?. यह एक वास्तविक अनुभूति है जिसे किसी भी शब्द में वर्णित नहीं किया जा सकता है। तो आनंद लें और खुद को हर रोज मदर्स डे या फादर्स डे के रूप में व्यक्त करें।)

यह हर बार की बहस है। कुछ लोग इसलिए एक दिन को नहीं मनाना चाहते क्योंकि उनका आग्रह है कि उनके लिए तो हर दिन मदर्स डे-फादर्स डे है। कुछ के लिए ये पूरब-पश्चिम की बहस है। अपनी संस्कृति का बखान करते हुए वे मदर्स डे-फादर्स डे को एक दिखावा कहते हैं और ऐसे ही एक दिन वेलेंटाइन डे यानी प्रेम दिवस को संस्कृति का बिगाड़ कहते हुए लाठी-बल्लम लेकर सड़कों पर आ जाते हैं।

इन लोगों से यह भी पूछा जाना चाहिए कि वे फिर क्यों भाई-बहन का प्यार दिखाने के लिए एक दिन रक्षा बंधन मनाते हैं। या पति-पत्नी का प्यार और समर्पण दिखाने को करवा चौथ। संतान प्राप्ति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए क्यों छठ पूजा होती है, क्यों अहोई अष्टमी मनाई जाती है (हालांकि इन सबके मूल विचार में काफ़ी दिक्कते हैं)।

इसी तरह क्यों एक दिन रामनवमी मनाते हैं, हनुमान जयंती मनाते हैं। जबकि वे पूजते तो उन्हें रोज़ ही हैं। अब तो ये इसका ख़ूब प्रदर्शन भी करने लगे हैं। हालांकि इसके पीछे की मंशा भी किसी से छिपी नहीं है। इस बार तो यह पर्व खुशी से ज़्यादा हिंसा के लिए याद किए जाएंगे। मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा। ख़ैर इसके विस्तार में जाएंगे तो बहस लंबी हो जाएगी।

बहस तो यह भी हो सकती है कि परशुराम जयंती मनाने वालों को क्यों मदर्स डे पसंद आएगा! परशुराम पितृसत्ता के सबसे बड़े प्रतीक हैं। जिन्होंने पिता के कहने पर अपनी मां का सिर, धड़ से अलग कर दिया था।

हालांकि कहा जाता है कि बाद में उन्होंने पिता से मां और अपने भाइयों का जीवनदान भी मांग लिया था। लेकिन इससे क्या उनका स्त्री की स्वतंत्रता और मां के प्रति प्रेम और सम्मान ज़ाहिर होता है।     

ख़ैर बहस के कई विषय है जैसे पूरब-पश्चिम की बहस करने वालों का सारा रहन-सहन, पहनावा, खान-पान सब पश्चिमी से प्रभावित है। वे सारा दिन पश्चिम को गरियाते भी हैं और अपने ठाठ-बाट और सुख-सुविधाओं का सारा सामान उन्होंने पश्चिम के अविष्कारों की बदौलत ही हासिल कर रखा है जिसका वे बेधड़क न केवल प्रयोग करते हैं, बल्कि प्रदर्शन भी करते हैं। यही नहीं अपने बच्चों को सबसे पहले अमेरिका-यूरोप भेजने की जुगत में रहते हैं।

ख़ैर...कई आयाम हैं, कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो मां-बाप को बरसों बरस याद नहीं करते और एक दिन प्यार का ऐसा अतिरिक्त प्रदर्शन करते हैं कि मां-बाप भी शरमा जाएं। या ज़िंदा जी उन्हें पूछते भी नहीं, बीमार हो जाएं तो सेवा तो दूर ठीक से इलाज तक नहीं कराते लेकिन मरने के बाद ऐसे प्यार का प्रदर्शन कि पूछिए मत...।

यह सब अतिरेक हैं। एक दिन की खुशियां देखकर नाक-भौं सिकोड़ना या एक ही दिन सारा प्यार दिखाना (दिखावा करना)।

मैंने भांजे की बात (Should we celebrate  only one day as mother's day or father's day?...) का मर्म समझकर उसे जवाब लिखा—

यह एक आदर्श स्थिति है। और हमारे लिए तो यही सच है कि हमारे लिए रोज़ मदर्स डे और फादर्स डे है। लेकिन कभी-कभी प्यार और सद्भावना को जताना भी चाहिए। अच्छा लगता है। जैसे मां-बाप हमें जीने की दुआ हर दिन हर पल देते हैं, लेकिन हमारे जन्मदिन पर अतिरिक्त प्यार और दुआएं मिलती हैं। तो यह प्रदर्शन भी बुरा नहीं।

हमें मालूम है कि हमारे मां-बाप हर स्थिति में हमारे साथ हैं, लेकिन किसी मुश्किल समय में या यूं ही कह देते हैं कि बेटा/बेटी तू किसी भी स्थिति में घबराना मत, हम तेरे साथ खड़े हैं तो इससे अलग ही संबल मिलता है, हौसला मिलता है।

इसी तरह आप अगर अपने साथी से कभी यूं ही चलते-फिरते कह दें कि आज बहुत अच्छे लग रहे हो या आई लव यू...तो उसके भी अलग मायने हैं। यह अतिरिक्त खुशी है। मूलधन का ब्याज़ है इसलिए इसे भी चुकाते रहें। इसमें कोई बुराई नहीं है।

अंत में हमारी मां जैसी बड़ी बहन का यह संदेश ज़रूर ग़ौर से पढ़ा जाना चाहिए-

वास्तव में हर उत्सव हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा ,उमंग ,उत्साह और खुशियां लाता है। इसलिए प्रत्येक स्पेशल दिन को जीवंतता से जियो।

अब सभी बच्चों मेरी बात ध्यान से सुनो?,  मदर्स डे पर कविताएं व बातें तो बहुत हो गईं

शाम को हम अपना मदर्स डे बढ़िया सा celebrate कर सकें इसके लिए सभी बच्चे celebration rashi  भेजने का कष्ट करें

रेस्टोरेंट में दावत हम खुद कर लेंगे।

 

मदर्स डे मुबारक...

Mother's Day
Happy Mother's Day
maa
Father's Day
Women

Related Stories

विशेष: लड़ेगी आधी आबादी, लड़ेंगे हम भारत के लोग!

उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण विधेयक महिलाओं की जिंदगी पर सबसे ज्यादा असर डालेगा!

भारतीय कला के उन्नयन में महिलाओं का योगदान

अटेंशन प्लीज़!, वह सिर्फ़ देखा जाना नहीं, सुना जाना चाहती है

मदर्स डे : कोरी भावुकता नहीं, ठोस प्रयास हैं आवश्यक


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License