NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
समाज
भारत
राजनीति
बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून
औरंगज़ेब के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान करते हुए देश के हुक्मरान, टाइम मशीन से देश को मुगलकाल में वापस ले जाकर, वापस तलवार लेकर लड़ाई के मैदान में उतरने जैसा तेवर दिखाते हैं।
भाषा सिंह
24 Apr 2022
communalism
सांकेतिक तस्वीर। साभार: scroll.in

नफ़रत का ख़ून इनके मुंह को लग गया है और अब ये शिकार खोजते रहते हैं। इसका ऐलान लाल किले के प्रांगण से होता है। औरंगज़ेब के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान करते हुए देश के हुक्मरान, टाइम मशीन से देश को मुगलकाल में वापस ले जाकर, वापस तलवार लेकर लड़ाई के मैदान में उतरने जैसा तेवर दिखाते हैं। इसके बाद एक टीवी न्यूज़ एंकर अपने शो में देश के एक मुख्यमंत्री को औरंगज़ेब कहता है और फ़र्ज़ी ख़बरें दिखाकर नफ़रत भरी उल्टी करता रहता है, लगातार। उधर, एक ऐसा चैनल—जिसे न्यूज़ चैनल कहना ख़बरों का अपमान होगा, वह भारतीय सेना को डंडा लेकर दौड़ाता है। सेना उसके आगे दंडवत होती, रोज़ा इफ्तारी की दावत वाला ट्वीट डिलीट करके गर्व से सीना ठोंकती है—नये भारत के मालिकों को है सलाम!

यह सब किसी फिल्म का सीन नहीं, हमारे लोकतंत्र की असली फिल्म जो चल रही है, उसके अलग-अलग दृश्य हैं। यह फिल्म शुरू तो हो गई हैं, रोज इसके नये-नये हौलनाक दृश्य हमें देखने को मिलते हैं, बस इसके ख़त्म होने के आसार नहीं है—unending type है। न किसी को आप संविधान की दुहाई दे सकते हैं और न ही कानून के पालन की। संविधान को आज-नहीं तो कल ये लोग बदल ही लेंगे और कानून लागू करने वाली वर्दी इनके हथियारों को भांजते जुलूसों के साये में चल रही है।

सेना का मनोबल किसने-कैसे गिराया, यह देश ही ने नहीं दुनिया भर ने देखा है। जो सेना अपने एक कार्यक्रम पर किये गये ट्वीट पर नहीं टिकी रह सकती, वह कहां पर कितनी देर टिकेगी, यह अलग सवाल है। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि किस तरह से एक अदना से सुदर्शन टीवी का प्रमुख सुरेश चव्हाणके देश की सेना से बड़ा हो गया, देश के संविधान से बड़ा हो गया। उधर, नेटवर्क 18 का न्यूज़ एंकर अमन चोपड़ा जिसकी यूएसपी-ख़ासियत ही नॉन स्टॉप नफ़रत उगलना है, वह एक चुने हुए मुख्यमंत्री–राजस्थान के अशोक गहलोत के ख़िलाफ जहर उगलता है, नफ़रत भरी बेबुनियाद बातें कहता है, दिल्ली के जहांगीरपुरी में मुसलमानों के ख़िलाफ़ चलाए गये बुलडोजर के बदला लिये जाने जैसा झूठा-वैमन्सय फैलाता है और आज़ाद घूमता रहता है। जबकि इसी देश में उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और मौत की रिपोर्ट करने जा रहे पत्रकार सिद्दीक कप्पन अभी तक जेल में बंद हैं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में दलितों की दुर्दशा पर लिखने वाले पत्रकार--- जीवन व मौत के बीच झूल रहे हैं। कश्मीर में अनगिनत पत्रकारों के ऊपर खौफनाक बर्बर कानूनों के तहत मामले ठोंक दिये गये हैं। इस तरह के अनगिनत मामले हमारे आंखों के आगे घटित हुए हैं—इनकी संख्या इतनी ज्यादा है कि सबको याद कर पाना और सबको याद रख पाना भी संभव नहीं होता।

इस तरह का नवीनतम मामला है गुजरात का। गुजरात विधानसभा के नौजवान-प्रखर दलित विधायक जिग्नेश मेवानी की असम पुलिस एक ट्वीट  के आधार पर गिरफ्तारी कर लेती है, लेकिन नफ़रती एजेंटों को वरदहस्त देती है। यह हमारे दौर का सबसे बड़ा और तीखा विरोधाभास (Paradox) है, जो तेजी से न्यू ऩॉर्मल में तब्दील होता जा रहा है।

यह जो नफ़रत का ख़ून लग गया है- सिर्फ गोदी-अंध भक्त, कॉरपोरेट पत्रकारों, बजरंगियों, विहिप जैसे अनगिनत संगठन के कार्यकर्ताओं, अधर्म संसद करने वाले, घनघोर महिला विरोधी, विकृत यौन लिप्सा से लिप्त अनगिनत यति नरसिंहानंद सरस्वतियों- बजरंग मुनियों को ही नहीं, बल्कि देश की सत्ता चलाने वाले लोगों को, सांसदों को विधायकों को। यह सब खुलकर नंगा नाच करने पर उतारू हैं, मामला सिर्फ रामनवमी जुलूस का नहीं, हनुमान जयंती के नाम पर उपद्रव का नहीं—यह एक सतत प्रक्रिया हो गई है। यह सोशल मीडिया—वॉटसऐप विश्वविद्यालय की घर-घर होने वाली नफ़रत की डिलीवरी से लगातार रक्तपिपासु होती जा रही है। चूंकि न्यायपालिका से लेकर लोकतंत्र के तमाम खंभे इस नफ़रती हुज़ूम के आगे नतमस्तक हैं, लिहाजा कहीं से भी इन पर रोक लगाने, लगाम कसने की कोई सूरत फिलहाल नजर तो नहीं आ रही। इसमें तसल्ली देने के लिए दो ख़बरे हैं— पहली मार्क्सवादी नेता (माकपा) वृंदा करात द्वारा देश की राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी में चल रहे बुल्डोजर के आगे खड़े होकर मानवता को बचाने की। यह तस्वीर बताती है कि बिना सड़कों पर उतरे नफ़रती बुल्डोजर को नहीं रोका जा सकता।

दूसरी ख़बर अकाल तख्त के बयान वाली है, जिसमें उसने गुरु तेग बहादुर के बलिदान पर हिंदू-मुसलमान की राजनीति न करने को कहा। अकाल तख्त ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिये गये भाषण की सख्त आलोचना की है और कहा है कि गुरु तेग बहादुर ने अपने जीवन का बलिदान सभी धर्मों के लिए किया था, सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं।

नफ़रत के ख़ून का चस्का जिस जमात को लग गया है, वह जंगल के आग की तरह फैल रही है। अगर आज भी कोई भारतीय नागरिक इस मुगालते में है कि यह आग अपने आप बुझ जाएगी, तो वह शायद देश की आहुति देने को तैयार है।  

(भाषा सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Communalism
Hate Speech
Hindutva
HINDU MUSLIM DIVISION
BJP-RSS
Narendra modi

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

अब राज ठाकरे के जरिये ‘लाउडस्पीकर’ की राजनीति

मुस्लिम जेनोसाइड का ख़तरा और रामनवमी

बढ़ती हिंसा व घृणा के ख़िलाफ़ क्यों गायब है विपक्ष की आवाज़?

जलियांवाला बाग: क्यों बदली जा रही है ‘शहीद-स्थल’ की पहचान


बाकी खबरें

  • जोश क्लेम, यूजीन सिमोनोव
    जलविद्युत बांध जलवायु संकट का हल नहीं होने के 10 कारण 
    09 Apr 2022
    जलविद्युत परियोजना विनाशकारी जलवायु परिवर्तन को रोकने में न केवल विफल है, बल्कि यह उन देशों में मीथेन गैस की खास मात्रा का उत्सर्जन करते हुए जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संकट को बढ़ा देता है। 
  • Abhay Kumar Dubey
    न्यूज़क्लिक टीम
    हिंदुत्व की गोलबंदी बनाम सामाजिक न्याय की गोलबंदी
    09 Apr 2022
    पिछले तीन दशकों में जातिगत अस्मिता और धर्मगत अस्मिता के इर्द गिर्द नाचती उत्तर भारत की राजनीति किस तरह से बदल रही है? सामाजिक न्याय की राजनीति का क्या हाल है?
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः प्राइवेट स्कूलों और प्राइवेट आईटीआई में शिक्षा महंगी, अभिभावकों को ख़र्च करने होंगे ज़्यादा पैसे
    09 Apr 2022
    एक तरफ लोगों को जहां बढ़ती महंगाई के चलते रोज़मर्रा की बुनियादी ज़रूरतों के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भी अब ज़्यादा से ज़्यादा पैसे खर्च…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: इमरान को हिन्दुस्तान पसंद है...
    09 Apr 2022
    अविश्वास प्रस्ताव से एक दिन पहले देश के नाम अपने संबोधन में इमरान ख़ान ने दो-तीन बार भारत की तारीफ़ की। हालांकि इसमें भी उन्होंने सच और झूठ का घालमेल किया, ताकि उनका हित सध सके। लेकिन यह दिलचस्प है…
  • ऋचा चिंतन
    डब्ल्यूएचओ द्वारा कोवैक्सिन का निलंबन भारत के टीका कार्यक्रम के लिए अवरोधक बन सकता है
    09 Apr 2022
    चूँकि डब्ल्यूएचओ के द्वारा कोवैक्सिन के निलंबन के संदर्भ में विवरण सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में यह इसकी प्रभावकारिता एवं सुरक्षा पर संदेह उत्पन्न कर सकता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License