NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
...मेरे महबूब यहीं आके मिला कर मुझसे
किसान आंदोलन जारी है और वैलेंटाइन वीक (Valentine Week) भी शुरू हो गया है। यानी प्रेम और आंदोलन साथ-साथ हैं। मुकुल सरल की नज़्म इन्हीं दोनों पहलुओं को समेटते हुए सत्ता को चुनौती देती है।
न्यूज़क्लिक डेस्क
07 Feb 2021
किसान आंदोलन

मशहूर शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी ने कहा था- “एक शहंशाह ने दौलत का सहारा लेकर/ हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक।” शकील बदायुनी ने इसके जवाब में लिखा- “एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है।” इसी ज़मीन में आज के हालात में नये शब्दों, नये अर्थों और संदर्भों में मुकुल सरल ने कहा- “एक शहंशाह ने हुकूमत का सहारा लेकर/ हम ग़रीबों की हिम्मत को चुनौती दी है।” आइए किसान आंदोलन के संदर्भ में पढ़ते और सुनते हैं उनकी यह नयी नज़्म

 

मेरे महबूब यहीं आके मिला कर मुझसे

 

एक शहंशाह ने हुकूमत का सहारा लेकर

हम ग़रीबों की हिम्मत को चुनौती दी है

 

मेरे महबूब यहीं आके मिला कर मुझसे

 

यहां जहां सदा-ए-इंक़लाब उठती है

जहां ज़ुल्म की ज़ंजीर भी खनकती है

 

जहां से उगने वाला नया सवेरा है

जहां मेहनतकशों ने डाला डेरा है

 

जहां किसान अपने हक़ के लिए बैठे हैं

रात और दिन के ज़ुल्म सहते हैं

 

बूढ़े बच्चे और जवां भी हैं यहां

दोस्त सारे ओ बहने, मां भी यहां

 

मेरे महबूब यहीं आके मिलाकर मुझसे

 

जहां हाकिम ने उठा दी हैं ऊंची दीवारें

खोद के सारी सड़क खाई बना दी है जहां

पांव के नीचे बिछा दी हैं कंटीलीं तारें

रौंद दी घास हरी और उगा दीं कीलें

 

ऐसे जैसे कि हो दुश्मन की सरहद

ऐसे जैसे कि हो ऐलान-ए-जंग

 

बस उसी सरहद पर

लोहे के क़िले के आगे

तोप के मुहाने पर

मौत के दहाने पर

सड़क के बीचो-बीच

मिला करेंगे सनम

अपनी बेख़ौफ़ जवानी ओ आज़ादी के लिए

एक नया इश्क़ हम करेंगे सनम

 

अपना वादा है, हम निभाएंगे

नग़मा ए इंक़लाब गाएंगे

इन्हीं मेहनतकशों की आँखों में

उम्मीद बनके खिलखिलाएंगे

 

मेरे महबूब यहीं आके मिलूंगा तुझसे

 

मेरे महबूब यहीं आके मिलाकर मुझसे

...

 

मुकुल सरल

3 फरवरी, 2021

farmers protest
Farm bills 2020
Agriculture Laws
Valentine Week
Hindi poem
nazm

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’

इतवार की कविता : 'ईश्वर को किसान होना चाहिये...

किसान आंदोलन@378 : कब, क्या और कैसे… पूरे 13 महीने का ब्योरा

जीत कर घर लौट रहा है किसान !

किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत , 11 को छोड़ेंगे मोर्चा


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता
    28 Apr 2022
    जनजातीय समूह मानते रहे हैं कि वे हिंदू धर्म से अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हैं, इसलिए उन्हें अलग धर्म संहिता दी जाना चाहिए, ताकि आने वाली जनगणना में उन्हें अलग समहू के तौर पर पहचाना जा…
  • संदीप चक्रवर्ती
    कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च
    28 Apr 2022
    नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर बीजेपी-आरएसएस की ताक़त बढ़ी तो वह देश को हिन्दू राष्ट्र बना देंगे जहां अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे के नागरिक जैसा बर्ताव किया जाएगा।
  • राज वाल्मीकि
    ब्राह्मणवादी व्यवस्था ने दलितों को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण स्त्री समुदाय को मानवाधिकारों से वंचित रखा: चौथीराम यादव
    28 Apr 2022
    पंडिता रमाबाई के परिनिर्वाण दिवस के 100 साल पूरे होने पर सफाई कर्मचारी आंदोलन ने “पंडिता रमाबाई : जीवन और संघर्ष” विषय पर कार्यक्रम किया।
  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    5 साल में रोज़गार दर 46 फ़ीसदी से घटकर हुई 40 फ़ीसदी
    28 Apr 2022
    CMIE के आंकड़ों के मुताबिक भारत की काम करने लायक़ 90 करोड़ आबादी में नौकरी और नौकरी की तलाश में केवल 36 करोड़ लोग हैं। तकरीबन 54 करोड़ आबादी रोज़गार की दुनिया से बाहर है। बेरोज़गरी के यह आंकड़ें क्या कहते…
  • राजु कुमार
    बिना अनुमति जुलूस और भड़काऊ नारों से भड़का दंगा
    28 Apr 2022
    मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी सहित आठ राजनीतिक दलों की ओर से एक प्रतिनिधि मंडल ने खरगोन के दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License