NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
उत्पीड़न
भारत
मुंबईः दो साल से वेतन न मिलने से परेशान सफाईकर्मी ने ज़हर खाकर दी जान
“बीएमसी के अधिकारियों ने उन्हें परेशान किया, उनके साथ बुरा व्यवहार किया। वेतन मांगने पर भी वे उस पर चिल्लाते थे।"

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
05 Jan 2022
मुंबईः दो साल से वेतन न मिलने से परेशान सफाईकर्मी ने ज़हर खाकर दी जान
रमेश परमार के परिवार के सदस्य, साभारः इंडियन एक्सप्रेस

जहर खाने के बाद सफाईकर्मी 27 वर्षीय रमेश परमार की 23 दिसंबर को मौत हो गई। मौत से दो दिन पहले बीएमसी के गोरेगांव वेस्ट वार्ड ऑफिस में चूहे का जहर खा लिया था। बीएमसी के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट विभाग में पिछले दो साल से वे कार्यरत थे और इन दो सालों में उन्हें एक महीने का भी वेतन नहीं मिला था। उन्हें पिता की जगह पर नौकरी मिली थी और पिछले करीब दो साल से महामारी में काम करते हुए वे किसी तरह अपना गुजारा कर रहे थे। एक बार भी वेतन न मिलने के कारण उन्होंने आत्महत्या का रास्ता चुना और मौत को गले लगा लिया।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रमेश परमार के चचेरे भाई कहते हैं, “बीएमसी के अधिकारियों ने उन्हें परेशान किया, उनके साथ बुरा व्यवहार किया। वेतन मांगने पर भी वे उस पर चिल्लाते थे।"

परमार की मौत के बाद बीएमसी ने तत्काल राहत के तौर पर एक लाख रुपये का चेक जारी कर दिया। बीएमसी द्वारा की गई प्रारंभिक जांच से पता चला है कि परमार को अधिकारियों की लापरवाही के कारण वेतन नहीं मिला था। जांच के बाद तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया।


ज्ञात हो कि मुंबई में रोजाना करीब 7,000 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। बीएमसी में परमार जैसे लगभग 31,000 सफाईकर्मी हैं जो इस कचरे के प्रबंधन का काम करते हैं। इनमें स्वीपर, कचरा लोड करने वाले, मुकदम (जो चेक करते हैं) और अन्य प्रकार के कर्मचारी हैं।


परमार ने 10वीं तक मुंबई के एक गुजराती माध्यम के स्कूल में पढ़ाई की थी। वह और उनके छोटे भाई कल्पेश जोगेश्वरी पूर्व में वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से सटी दलित बहुल बस्ती जनता कॉलोनी में किराए के मकान में रहते थे। उनके माता-पिता दोनों का निधन हो चुका है।


परमार के पिता जगदीश परमार ने लगभग 30 वर्षों तक एसडब्ल्यूएम विभाग में सफाईकर्मी के रूप में काम किया था। 4 सितंबर, 2019 को 54 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई थी। वे इस समय तक गोरेगांव इलाके की एक बाढ़ वाली गली में काम करते रहे थे। एसडब्ल्यूएम विभाग के सेवा नियम के अनुसार काम के दौरान मरने वाले कर्मचारी की जगह पर उनके परिवार के एक सदस्य को नियुक्त करने का प्रावधान है और परमार को 9 सितंबर, 2019 को उनके पिता के स्थान पर नौकरी मिली थी।


आंशिक रूप से विकलांग परमार को सबसे पहले गोरेगांव इलाके में झाडू लगाने का काम दिया गया था। हालांकि, वे इस कार्य में अक्षम रहे और फिर उन्हें एसडब्ल्यूएम कार्यालय में तैनात कर दिया गया।


परमार की बड़ी बहन शीतल कहती हैं, “कोविड के दौरान, रमेश नियमित रूप से कार्यालय जाता था। जब पिछले साल (लॉकडाउन के दौरान) ट्रेनें बंद हो गई थीं तो वह घर से ऑफिस (लगभग 5 किमी) पैदल जाते थे।”


बीएमसी द्वारा की गई जांच के अनुसार, 31 अगस्त, 2020 को पी-साउथ वार्ड के एक ऑडिट अधिकारी ने उनके सर्विस रिकॉर्ड से संबंधित कुछ सवाल उठाए। इन मुद्दों को नहीं सुलझाया गया और परमार अपने वेतन का इंतजार करते रहे। उन्हें 28,000 रुपये प्रति माह देने की व्यवस्था थी। परमार पी-साउथ वार्ड में कार्यरत थे।


परिवार का कहना है कि परमार अपने पिता के प्रॉविडेंट फंड जैसे बकाया सर्विस राशि से भी परेशान थे। नियम के अनुसार परमार को ये पैसा मिलना चाहिए था क्योंकि उनकी मां जीवित नहीं है, बड़ी बहन शीतल की शादी हो चुकी है और वह अपने भाई से बड़े थे।


शीतल कहती है, “दो साल में हमारे पिता के सर्विस फंड को क्यों नहीं जारी किया गया? जब भी रमेश ने पिता की फाइल को अपडेट करने को कहा तो अधिकारियों ने उन्हें कहा कि यह प्रक्रिया में है... वे यह भी कहते रहे कि उनकी सर्विस फाइल वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी गई है। हाल ही में उन्हें पता चला कि इस फाइल पर कुछ भी नहीं किया गया है। जिस दिन उन्होंने जहर पिया, उस दिन भी उनकी फाइल की स्थिति के बारे में पूछा था।


परमार के चचेरे भाई महेंद्र कहते हैं, "कई बार वह कार्यालय में रोया था और अधिकारियों से कम से कम अपने पिता का बकाया देने का अनुरोध किया था।"


निलंबित किए गए अधिकारियों में प्रशासनिक अधिकारी अनीता नाइक, क्लर्क पंकज खिलारे और हेड क्लर्क समीरा मांजरेकर शामिल हैं।


सफाईकर्मियों के एक संघ कचरा वाहतुक श्रमिक संघ के मिलिंद रानाडे ने कहा, “हमने कुछ अन्य कर्मचारियों के बकाया के भुगतान के लिए एसडब्ल्यूएम विभाग में शिकायत दर्ज की है …।”


एसडब्ल्यूएम की उप नगर आयुक्त डॉ संगीता हसनाले ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि परमार के पिता के सभी बकाया राशि का भुगतान एक सप्ताह में कर दिया जाएगा। हसनाले ने कहा, “बीएमसी की ऑडिट टीम उनके सर्विस डॉक्यूमेंट की जांच कर रही है। नागरिक निकाय सफाईकर्मियों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए बदलाव करेगा।”


परमार की मृत्यु के बाद भुगतान और वेतन में देरी को लेकर सफाई कर्मियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था।


महेंद्र का कहना है कि जहर खाने के बाद उसने शीतल को फोन किया था। उसने हमें उसकी तलाश करने के लिए फोन किया था। कुछ घंटों की खोज के बाद हमने उसे जोगेश्वरी रेलवे स्टेशन के पास बेहोश पड़ा पाया।


परमार को पहले जोगेश्वरी पूर्व में स्थित बालासाहेब ठाकरे ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया। उनकी हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे परेल के केईएम अस्पताल ले जाने की सलाह दी, जहां उसकी मौत हो गई।


तीनों अधिकारियों को जेल भेजने की मांग करते हुए शीतल कहती हैं, “उम्मीद खत्म होने के बाद मेरे भाई ने मौत का रास्ता चुना। वह भुगतान में देरी के कारण टूट गया था।”

Ramesh Parmar
BMC
Safai Karmchari
Poison
salary
2 Years
Payment
Mumbai
Handicaped
SWM

Related Stories

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक से ईडी कर रही है पूछताछ

‘बुल्ली बाई’ ऐप मामला : मुंबई पुलिस ने एक और छात्र को गिरफ़्तार किया

पीड़ित परिवार का आरोप- अर्नब की वजह से जांच को दबाया गया

अविनाश पाटिल के साथ धर्म, अंधविश्वास और सनातन संस्था पर बातचीत

डॉ. पायल तड़वी का सुसाइड नोट मिला, हुआ था जातिगत उत्पीड़न  

मुंबई: राम पुनियानी को जान का खतरा, दक्षिणपंथी गुंडों से मिली धमकी, FIR दर्ज

पायल तड़वी केस: अपराध शाखा को तीनों आरोपी महिला डॉक्टरों से पूछताछ की इजाजत मिली

बीवाईएल नायर अस्पतालः तीन वर्षों में दो आत्महत्या और एक संदिग्ध मौत के मामले सामने आए

Daily Round-up: चुनाव नतीजे आने के बाद से राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़े

रोहित वेमुला से लेकर डॉ. पायल तक : जातीय शोषण की अंतहीन कथा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License