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'मेरा बेटा मुसलमान था इसलिए मारा गया...'
"उसे मुसलमान होने की वजह से मारा गया है कोई दूसरी बात नहीं है। उसका अपराध यह था कि वह सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ सैकड़ों अन्य लोगों की तरह विरोध मार्च में शामिल हुआ था।"
मोहम्मद इमरान खान
03 Jan 2020
Translated by महेश कुमार
‘My Son Was Killed for Being a Muslim

फुलवारी शरीफ़ (पटना): नए नागरिक क़ानून या सीएए और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस (एनआरसी) के ख़िलाफ़ विपक्षी पार्टी राजद द्वारा बुलाए गए बंद और शांतिपूर्ण विरोध मार्च के दौरान हुए हमले के बाद से लापता हुए 18-वर्षीय आमिर हंज़ला के मृत शरीर की बरामदगी हो गई है, इस पर बिहार पुलिस और प्रशासन की विफलता पर लोगों ने उंगली उठाई है। सबसे अधिक परेशान करने वाली बात तो यह है कि पीड़ित परिवार के सदस्यों ने इस मामले को लेकर एक स्थानीय पुलिस अधिकारी (डीएसपी संजय पांडे) और बिहार के एक मंत्री, श्याम रजक जो सत्ताधारी जेडी-यू के स्थानीय विधायक हैं पर आरोप लगाए हैं, कि वे आरोपियों को बचाने के साथ-साथ मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।

21 दिसंबर को आमिर की हत्या, कथित तौर पर पटना के बाहरी इलाक़े में स्थित फुलवारी शरीफ़ में हिंदू दक्षिणपंथी, बजरंग दल से जुड़े युवाओं के एक समूह द्वारा किए गए हमले से हुई है जब सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध प्रदर्शन पर उन्होंने हमला किया था। अब तक हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान राज्य भर में कई प्रदर्शनकारियों के साथ-साथ कुछ पुलिसकर्मियों के घायल होने की भी ख़बर है।

आमिर के पिता, सोहेल अहमद ने न्यूज़क्लिक से कहा, “बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के द्वारा मेरे बेटे को टम-टम पड़ाओ के पास संगत गली (एक बाईलेन) में मारा जा रहा था, और वहाँ से ब्लॉक और डीएसपी कार्यालय शायद ही 250 मीटर की दूरी पर थे। उसका अपराध यह था कि वह 21 दिसंबर को विपक्षी राजद के बंद के दौरान सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ सैकड़ों अन्य लोगों की तरह विरोध मार्च में शामिल हुआ था और उसका किसी के साथ कोई विवाद या दुश्मनी भी नहीं थी।"

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आमिर के पिता

अहमद जो क़रीब 60 साल के हैं ने आरोप लगाया, "उसे मुस्लिम समझ कर मारा गया है कोई दूसरी बात नहीं है। गली से जा रहा था, मुसलमान है इसलिए जान से मार दिया।"

वे अपने कमरे की पहली मंज़िल के एक कमरे में अपने रिश्तेदारों से घिरे बैठे थे, जोकि हरून नगर, सेक्टर 3 की गली नंबर 7 में किराए का मकान है।

परेशान पिता ने इस बात पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की कि सत्तारूढ़ पार्टी (जनता दल-यूनाइटेड) या विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में से कोई भी परिवार को सांत्वना देने नहीं आया है, सिवाय सीपीआई (एमएल) के नेताओं और कार्यकर्ताओं के, जिनमें कंचन बाला भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, "जद-यू या राजद में से किसी ने भी हमसे मुलाकात नहीं की है, यहां तक कि हमें न्याय दिलाने का वादा भी नहीं किया है।"

अहमद ने आरोप लगाया कि गिरफ़्तार अभियुक्तों में से एक दीपक कुमार ने पुलिस के सामने अपने क़बूलनामे में स्वीकार किया है कि उसने अन्य लोगों के साथ मिलकर पहले आमिर को पकड़ा और फिर एक बल्ले से सिर पर वार करके उसकी हत्या कर दी। उन्होंने उसे मारने के बाद में उसके शरीर को ब्लॉक कार्यालय की पुरानी इमारत के पास एक छोटे से तालाब में फेंक दिया।

उन्होंने कहा, “मंगलवार की सुबह उसकी लाश को तालाब से बाहर निकालते समय मैंने उसके शरीर पर तीन गहरे ज़ख्म देखे थे और कड़ी सुरक्षा के बीच पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान भी देखे गए। मेरे बेटे की निर्मम हत्या कर दी गई है।"

अब तक पुलिस छह आरोपियों को गिरफ़्तार कर चुकी है, लेकिन मुख्य आरोपी विनोद अभी भी फरार है। फुलवारी शरीफ़ के थाना प्रभारी ने कहा कि उनकी गिरफ़्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। उन्होंने कहा, "इस मामले में गिरफ़्तार किए गए अभियुक्त ग़ैर-क़ानूनी शराब का धंधा करते हैं और अतीत में अपराधों में शामिल रहे हैं और जेल भी जा चुके हैं।" 

अपने बेटे के लापता होने के बाद, आमिर के पिता ने 21 दिसंबर को स्थानीय पुलिस थाने में एक लिखित शिकायत दर्ज की थी, जिसे 22 दिसंबर को एक प्राथमिकी में बदला गया था। उन्होंने कहा, ”आमिर के देर रात तक घर नहीं लौटने के बाद, विरोध मार्च के दौरान हिंसा के घंटों बाद, मैंने एक गुमशुदगी की रपट दर्ज कराई और पुलिस से उसे खोजने का अनुरोध किया था।" 

अपने युवा बेटे अहमद को दफ़नाने के बाद से वे अपनी लंबी दाढ़ी और सिर को पारंपरिक गमछा से ढके हुए थे और गहरी पीड़ा से गुज़र रहे थे, उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके परिवार को सबसे ज़्यादा दुख तब हुआ जब दो हिन्दी दैनिक अख़बारों ने ख़बर दी कि आमिर दिमाग़ी रूप से तंदरुस्त नहीं है। यह ख़बर फुलवारी शरीफ के उप पुलिस अधीक्षक संजय पांडे द्वारा दिए गए एक बयान के आधार पर छापी गई थी।

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उन्होंने कहा, “स्थानीय हिंदी दैनिक समाचार पत्रों में डीएसपी का बयान सच्चाई से परे और आधारहीन था। मेरा बेटा बुद्धिमान, स्मार्ट और सक्रिय था। वह 10वीं कक्षा पास करने के बाद बैग बनाने वाली एक छोटी सी कार्यशाला में काम कर रहा था। उसकी हालिया फोटो इस बात का प्रतिबिंब है कि वह कितनी अच्छी है और वह दर्शाती है कि वह किसी भी मानसिक समस्या से पीड़ित नहीं था। मेरे बेटे को "मानसिक पीडित" क़रार देते हुए, पुलिस अधिकारी ने मामले को नया मोड़ देने और तलाशी अभियान को अलग दिशा में मोड़ने की कोशिश की थी। पुलिस अधिकारी से यह उम्मीद  नहीं थी।"

न्यूज़क्लिक ने बार-बार डीएसपी की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने अपना फ़ोन नहीं उठाया।

वहीं, अहमद और उनके परिवार ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के मामले में स्पेशल टास्क फ़ोर्स के सीनियर डीएसपी रमाकांत की तारीफ़ की। राजद के बंद के दौरान कथित हिंसा के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रमाकांत को यहां तैनात किया गया था, क्योंकि सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। इससे पहले वे फुलवारी शरीफ़ में तैनात थे।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब तक फुलवारी शरीफ़ में 60 लोगों को शांतिपूर्ण विरोध मार्च के ऊपर हुए हमले के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया है, जिसमें दो समूहों के बीच झड़पें हुई थीं और छह लोग बंदूक की गोली से घायल हो गए थे, दो को चाकू से गोद दिया गया था और पत्थर और ईंट के पथराव के कारण लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए थे।

बिहार मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष के निजी सचिव के रूप में काम कर चुके अहमद ने स्थानीय विधायक और बिहार के मंत्री श्याम रज़ाक पर आरोपियों की पैरवी करने और पुलिस पर मामले को रफ़ा-दफ़ा करने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया है। अहमद ने बताया, "जबकि रज़ाक ने कभी भी एक धर्मनिरपेक्ष नेता और धर्मनिरपेक्षता के चैंपियन के रूप में ख़ुद को प्रोजेक्ट करने का मौका नहीं छोड़ा, लेकिन दर्दनाक वास्तविकता यह है कि उन्होंने आरोपियों की पैरवी की और उन्हें गिरफ़्तारी से बचाने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश की थी।" 

आमिर के पिता ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि रज़ाक संकट के समय में उनके साथ खड़े रहेंगे क्योंकि वे क़रीब दो दशकों से उनके स्थानीय विधायक हैं। लेकिन उन्होंने अभी तक उन्हें फ़ोन तक करने की ज़हमत नहीं उठाई है।”

वे याद करते हैं कि कैसे वे सुबह से देर रात तक आमिर के घर नहीं लौटने के बाद 10 दिनों तक इधर-उधर भागते रहे और उनके परिवार के सदस्यों की रातों की नींद हराम हो गई थी जब तक कि उनकी बुरी आशंका सही साबित नहीं हो गई।

आमिर के चचेरे भाई मंज़ूर नोमानी और मोहम्मद शाहिद ने कहा कि लापता होने के एक दिन बाद, उन्होंने जानकारी इकट्ठी की थी और आरोपियों के ख़िलाफ़ कुछ "ठोस सबूत" मिलने पर स्थानीय पुलिस से संगत गली पर छापा मारने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजरंग दल के समर्थकों को गिरफ़्तार करने का अनुरोध किया था।

शाहिद ने कहा, “हम दिल से महसूस करते हैं कि पुलिस ने जानबूझकर 21 और 22 दिसंबर को आमिर की हत्या को दबाने की कोशिश की थी, बावजूद इसके कि हमने उन्हें जानकारी दी थी कि वह मारा गया है और यहां तक कि उन्हें आरोपियों के कुछ नाम भी दिए गए थे। पुलिस दो दिनों के भीतर उसका शव बरामद कर सकती थी क्योंकि उन्हे जानकारी मिल गई थी कि शव को ब्लॉक कार्यालय के पास एक तालाब में फेंक दी गई थी।"

नोमानी ने कहा कि पुलिस ने आमिर को एक निजी दुकान से मिले सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ विरोध मार्च में हाथ में राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) लिए हुए देखा था।

हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि अगर आमिर को संगत गली में मारा गया था, तो फिर उसके शव को ब्लॉक कार्यालय जोकि वहाँ से आधा किमी से भी कम दूरी पर है ले जाया गया था, वह भी  एक व्यस्त हाइवे 98 के माध्यम से जब पूरा मोहल्ला पुलिस छावनी में बदल गया था?

मंगलवार सुबह तालाब से आमिर का शव बरामद होने के तुरंत बाद से हालत बिगड़ने की शंका होने पर हर नुक्कड़ और कोने में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए थे और 31 दिसंबर, 2019 को पुलिस गश्त बढ़ा दी गई थी।

शुरू में, लोग भ्रमित थे और भारी सुरक्षा बलों की उपस्थिति को समझ नहीं पा रहे थे - सड़कों से लेकर आवासीय इलाकों तक गश्त थी- लेकिन जल्द ही एहसास हुआ कि कुछ गलत हुआ है, क्योंकि केवल 11 दिन पहले ही सांप्रदायिक तनाव ने फुलवारी शरीफ को जकड़ लिया था।

अहमद ने दावा किया कि एक अन्य लड़का संगत गली में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए कथित हमले से तब घायल हो गया था जब वह प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस की गोलीबारी का सामना कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएए-एनआरसी के स्थानीय समर्थकों ने बताया था कि आरएसएस से जुड़े संगठन के सदस्य थे, जिन्होंने पथराव किया और गोलियां चलाई थीं।

अहमद ने कहा, "यह लड़का रहा क्योंकि वह बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के चंगुल से भागने में सफल हो गया था, जबकि आमिर को जबरन क़ब्ज़ा लिया और उसे मार दिया गया। संगत गली में चार-पांच अन्य प्रदर्शनकारियों पर भी हमला किया गया था जब वे विरोध मार्च पर अंधाधुंध गोलीबारी से बचने के लिए भाग रहे थे।"

अहमद ने कहा कि वह न्याय चाहते हैं, बदला नहीं। "हम न्याय चाहते हैं, हम बदला या ऐसा कुछ भी नहीं चाहते जो हिंसा को बढ़ावा दे या शांति को ख़तरा हो। जो मैंने व्यक्तिगत रूप से झेला है उसे व्यक्त करना असंभव है। मैं कभी नहीं चाहूंगा कि कोई भी अपने जीवन में ऐसा अनुभव करे।"

उन्होंने स्वीकार किया कि आमिर का शव बरामद होने के बाद और ख़बर फैलने के तुरंत बाद पूरे क्षेत्र में ग़ुस्सा भर गया था, लेकिन "जब कुछ लोगों ने मुझसे कहा कि वे बदला लेंगे, तो मैंने उन्हें कुछ भी करने से रोक दिया। मैंने अपने बेटे के शव की बरामदगी के बाद सबसे शांति बनाए रखने की अपील की, जिसे हिंदुत्व की राजनीति के समर्थकों ने मार दिया था। में नहीं चाहता कि कोई भी हंगामा हो।"

पिछले महीने राजद नेता तेजस्वी यादव ने फूलपुर शरीफ़ में राजद के बंद के दौरान शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर हमला करने और गोलीबारी के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो वरिष्ठ नेताओं को दोषी ठहराया था। उन्होंने आरोप लगाया कि फुलवारी शरीफ़ में मुख्य सड़क (NH 98) पर संगत गली के पास स्थानीय निवासियों के एक समूह ने पहले प्रदर्शनकारियों पर पथराव किया था।

पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में पुलिस की बर्बरता के बाद तेजस्वी यादव और वाम दलों ने विवादास्पद सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्य पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने राजद के बंद के दौरान औरंगाबाद शहर में सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों के ख़िलाफ़ बिहार पुलिस की कार्रवाई का हवाला दिया।

तेजस्वी यादव ने 28 दिसंबर को कहा था, “पुलिस मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तहत मुसलमानों को आतंकित कर रही हैं और सार्वजनिक संपत्ति का सत्यानाश भी कर रही हैं। पुलिस ने निवासियों को यहां तक कह दिया कि आप आज़ादी चाहते हैं? रुकिए, हम आपको आज़ादी देंगे।” 

यह पहली बार है जब राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राज्य पुलिस पर सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ विरोध करने के लिए मुसलमानों को आतंकित करने का आरोप लगाया है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

‘My Son Was Killed for Being a Muslim, His Crime Was he Joined an Anti-CAA-NRC Protest’

Bihar Violence
CAA-NRC Protests
Bihar Youth’s Body Found
Aamir Hanzla
Sohail Ahmed
bihar police
bajrang dal
Phulwari Sharif
Tejashwi Yadav

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