NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एनसीआरबी रिपोर्ट: ‘फ़ेक न्यूज़’ के मामलों में 214% की बढ़ोतरी
एनसीआरबी के ये आंकड़े चिंताजनक हैं जबकि ये ‘फ़ेक न्यूज़’ के वास्तविक विस्तार को प्रदर्शित नहीं करते हैं। फ़ेक न्यूज़ के फैलाव की सच्चाई इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा भयानक है।
राज कुमार
18 Sep 2021
एनसीआरबी रिपोर्ट: ‘फ़ेक न्यूज़’ के मामलों में 214% की बढ़ोतरी

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार “फ़ेक न्यूज़” के मामलों में तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2019 के मुकाबले 214% बढ़ोतरी हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में झूठी और फ़र्ज़ी सूचनाएं और अफवाह फैलाने के 280 मामले दर्ज किये गये थे जो वर्ष 2019 में बढ़कर 486 हो गये। यानी वर्ष 2019 में लगभग दोगुना बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन वर्ष 2020 में 1527 मामलों के साथ ये संख्या वर्ष 2019 के मुक़ाबले तीन गुना से भी ज्यादा है। ये आंकड़े चिंताजनक हैं।

किस राज्य और शहर में दर्ज किये गये सर्वाधिक मामले

रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा 273 मामले तेलंगाना में दर्ज किये गये हैं। 188 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है और तीसरे नंबर उत्तर प्रदेश हैं जहां 166 मामले दर्ज किये गये हैं। अगर प्रमुख शहरों की बात करें तो सबसे ज्यादा यानी 208 मामले हैदराबाद में दर्ज किये गये हैं। 42 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर चेन्नई है और तीसरे नंबर पर दिल्ली है जहां 30 मामले दर्ज किये गये हैं।

क्या ये आंकड़े पूरी तस्वीर बयान करते हैं?

पहली बात तो ये कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के ये आंकड़े भी चिंताजनक हैं। दूसरी बात ये कि ये महज़ वो मामले हैं जो दर्ज हुए हैं। हम जानते हैं कि “फ़ेक न्यूज़” का विस्तार अथाह हो चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैसे ही नहीं कहा था कि हम “इंफ़ोडेमिक” यानी झूठी ख़बरों की महामारी से जूझ रहे हैं। बहरहाल, सरकारी आंकड़ों में भी कई गुना बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इसके अलावा हमें ये भी ध्यान रखना चाहिये कि आइपीसी की धारा 505 तेज़ी से बदलती टेक्नोलॉज़ी और फ़ेक न्यूज़ के स्वरूप को सही तरह-तरह से संबोधित नहीं करती हैं। धारा 505 के प्रावधानों को जानने के लिये आप नीचे दी गई तस्वीर को देखें। जिसमें धारा 505 के प्रावधानों बारे विस्तार से बताया गया है।

एनसीआरबी के ये आंकड़े चिंताजनक हैं जबकि ये “फ़ेक न्यूज़” के वास्तविक विस्तार को प्रदर्शित नहीं करते हैं। फ़ेक न्यूज़ के फैलाव की सच्चाई इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा भयानक है। इसी स्थिति को देखते हुए कोरोना के समय 30 मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि “पैनिक”, वायरस की तुलना में ज्यादा ज़िंदगियों को नष्ट कर देगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 24 घंटे के अंदर एक पोर्टल बनाने का आदेश दिया था जो कोरोना महामारी संबंधित फ़र्ज़ी सूचनाओं का रियल टाइम में पर्दाफाश करे और पैनिक को कम कर सके।

बाक़ी अध्ययन इस बारे क्या कहते हैं?

खासतौर पर कोरोना के दौरान “फ़ेक न्यूज़” के बारे अनेक शोध व अध्ययन हुए हैं। कोरोना संबंदित झूठी ख़बरों को लेकर 138 देशों पर एक अध्ययन किया गया। जिसमें मुख्यतः तीन सवालों पर फोकस था।

1. कौन सा देश कोरोना के बारे में झूठी ख़बरों और अफ़वाहों से सबसे ज्यादा प्रभावित है?

2. कोरोना संबंधी फ़र्ज़ी ख़बरों का मुख्य स्रोत क्या है?

3. फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने में कौन से देश में किस स्रोत का सबसे ज्यादा दबदबा है?

अध्ययन में पाया गया कि 138 देशों में कोरोना संबंधित “फ़ेक न्यूज़” से सबसे ज्यादा प्रभावित भारत है। दूसरे नंबर पर अमेरिका, तीसरे पर ब्राज़ील और चौथे पर स्पेन है। तकरीबन 85% फ़र्ज़ी सूचनाओं का स्रोत सोशल मीडिया है। 138 देशों की तुलना में भारत में सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा फ़र्ज़ी सूचनाएं प्रसारित की गई हैं।

यहां पर हमने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक प्रोपेगंडा संबंधित फ़र्ज़ी सूचनाओं का ज़िक्र नहीं किया है। ना ही उन तमाम फ़र्ज़ी ख़बरों और पोस्ट का ज़िक्र किया है जो राजनेताओं, कार्यकर्ताओं और सेलेब्रेटी आदि का चरित्रहनन करने और टारगेट करने के लिए वायरल की जाती हैं। सोशल मीडिया पर सत्तासीन पार्टियों के उपलब्धियों से संबंधी झूठे प्रचार को भी यहां छोड़ रहे हैं। यहां मात्र कोरोना संबंधी फ़र्ज़ी ख़बरों बारे कुछ संदर्भ प्रस्तुत किये गये हैं जो ये बताने के लिये काफी हैं कि फ़ेक न्यूज़ का विस्तार एनसीआरबी आंकड़ों से बहुत-बहुत ज्यादा है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। वे सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

इसे भी देखेः फ़ेक न्यूज़ आपको कैसे काबू कर लेती है?

फ़ैक्ट चेक: फोटो केरल का प्रचार हरियाणा का

fake news
NCRB Report
Fake News and Rumours
Indian media
Social Media
Supreme Court
National Crime Record Bureau

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते
    29 May 2022
    उधर अमरीका में और इधर भारत में भी ऐसी घटनाएं होने का और बार बार होने का कारण एक ही है। वही कि लोगों का सिर फिरा दिया गया है। सिर फिरा दिया जाता है और फिर एक रंग, एक वर्ण या एक धर्म अपने को दूसरे से…
  • प्रेम कुमार
    बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर
    29 May 2022
    शिक्षाविदों का यह भी मानना है कि आज शिक्षक और छात्र दोनों दबाव में हैं। दोनों पर पढ़ाने और पढ़ने का दबाव है। ऐसे में ज्ञान हासिल करने का मूल लक्ष्य भटकता नज़र आ रहा है और केवल अंक जुटाने की होड़ दिख…
  • राज कुमार
    कैसे पता लगाएं वेबसाइट भरोसेमंद है या फ़र्ज़ी?
    29 May 2022
    आप दिनभर अलग-अलग ज़रूरतों के लिए अनेक वेबसाइट पर जाते होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पता लगाएं कि वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। यहां हम आपको कुछ तरीके बता रहें हैं जो इस मामले में आपकी मदद कर…
  • सोनिया यादव
    फ़िल्म: एक भारतीयता की पहचान वाले तथाकथित पैमानों पर ज़रूरी सवाल उठाती 'अनेक' 
    29 May 2022
    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा और एक्टर आयुष्मान खुराना की लेटेस्ट फिल्म अनेक आज की राजनीति पर सवाल करने के साथ ही नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के राजनीतिक संघर्ष और भारतीय होने के बावजूद ‘’भारतीय नहीं होने’’ के संकट…
  • राजेश कुमार
    किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है
    29 May 2022
    अजय सिंह की सारी कविताएं एक अलग मिज़ाज की हैं। फॉर्म से लेकर कंटेंट के स्तर पर कविता की पारंपरिक ज़मीन को जगह–जगह तोड़ती नज़र आती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License