NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ रेल कर्मियों का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन कल!
“चेतावनी दिवस” के रूप में मनाए जाने वाले इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में देश के सभी 68 रेलवे मंडलों के रेलकर्मियों के भाग लेने की उम्मीद है। 
रौनक छाबड़ा
07 Sep 2021
रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ रेल कर्मियों का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन कल!

अखिल भारतीय रेलकर्मी परिसंघ (एआइआरएफ) ने केंद्र सरकार के हालिया परिसंपत्ति मुद्रीकरण ढ़ांचे (एनएमपी) के खिलाफ 8 सितम्बर बुधवार को राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान किया है। रेलकर्मी सरकार के इस फैसले को भारतीय रेलवे की परिसंपत्ति की “एकमुश्त बिक्री” करार दे रहे हैं।

“चेतावनी दिवस” के रूप में मनाए जाने वाले इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में देश के सभी 68 रेलवे मंडलों के रेलकर्मियों के भाग लेने की उम्मीद है।  

नरेन्द्र मोदी सरकार की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) की एक चार वर्षीय योजना की शुरुआत करने की घोषणा की है, जो संरचनागत परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण से जुड़ी होगी। इस घोषणा के कुछ ही दिनों बाद देश की सबसे बड़ी रेलवे यूनियन ने सरकार की इस घोषणा के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान कर दिया। इस निर्णय के तहत सरकार अपने कुछ ढांचों के स्वामित्व में बिना बदलाव किए ही, उनके राजस्व का अधिकार एक निश्चित अवधि के लिए निजी हाथों में सौंप देगी। इसकी एवज में वह उन कंपनियों से पैसा कमाएगी। 

एआइआरएफ के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने सोमवार को न्यूजक्लिक से कहा, “सरकार की योजना और कुछ नहीं, आखिरकार रेलवे का निजीकरण करना है। सरकार का इरादा एनएमपी के अंतर्गत भारतीय रेलवे की आस्तियों की एकमुश्त बिक्री करना है। इसे रेलकर्मी होने नहीं देंगे।” 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने मीडिया से बातचीत में कहा था कि एनएमपी के अंतर्गत छह लाख करोड़ रुपये जुटाए जाने का लक्ष्य है। यह राशि सड़क, रेलवे, ऊर्जा, खनन, उड्डयन, बंदरगाहों, भंडारगृह, स्टेडियम आदि क्षेत्रों की संरचनागत आस्तियों-परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण से जुटाई जाएगी। 

छह लाख करोड़ रुपये जुटाने की एनएमपी की योजना में रेलवे की संभावित मौद्रिक हिस्सेदारी 1.5 लाख करोड़ की राशि होगी। रेलवे की अन्य आस्तियों के अलावा, 400 रेलवे स्टेशनों, 150 पैसेंजर ट्रेनें, 2,843 किलोमीटर का समर्पित मालवाहक गलियारा (डेडिकेटेड फ्राइट कोरिडोर) एवं रेल परिचालन पथ ढांचा (ट्रैक इंफ्रास्ट्रक्चर) शामिल हैं। 

मिश्रा ने कहा, “बुधवार को, रेलकर्मी इस योजना को रदद् करने के लिए सरकार को चेतावनी दे रहे हैं। अगर, यह नहीं होता है तो देश इस नीति के विरोध में रेलकर्मियों का लगातार संघर्ष देखेगा।” 

इस बीच, भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के टेलीकॉम कर्मचारी भी राज्य के स्वामित्व वाले टॉवर्स के मुद्रीकरण किए जाने की सरकार की घोषणा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। ऑल यूनियन एवं एसोसिएशन ऑफ बीएसएनएल (एयूएबी) ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर 21 सितम्बर से तीन दिनों के धरना का आह्वान किया है। इसके पहले दूरसंचारकर्मियों ने छह सितम्बर को धरना देने का निर्णय किया था। 

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियनें (सीटू), ने सरकार की एनएमपी घोषणा को “राष्ट्रीय आस्तियों की लूट” करार दिया था। सीटू ने एक वक्तव्य जारी कर कहा था, “यह योजना राष्ट्रीय ढांचे की आस्तियों को निजी क्षेत्र की कंपनियों को निजीकरण के जरिए या लीज पर देकर उन्हें बिना कोई पूंजी लगाए ही अकूत धन कमाने की इजाजत देना है।” 

एआइआरएफ के महासचिव मिश्रा ने सोमवार को कहा कि केंद्र की एनएमपी की घोषणा का संगठित विरोध करने के लिए सभी यूनियनों को एक छतरी के नीचे लाने की भी योजना है। उन्होंने कहा, “हम विरोध की इस मुहिम में आम लोगों को भी शामिल करने की कोशिश करेंगे, क्योंकि आखिरकार उन्हें ही तो सरकार के इस फैसले की कीमत चुकानी पड़ेगी।” 

इनके अलावा, राजनीतिक पार्टियां भी एनएमपी के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी रैलियां निकालने की तैयारी कर रही हैं। एकतरफ कांग्रेस ने राष्ट्र की परिसंपत्ति के मुद्रीकरण की योजना के विरोध में केंद्र पर हमला बोलने का अभियान तेज करने की बात कही है तो तृणमूल कांग्रेस भी इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी विरोध की तैयारी कर रही है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पिछले महीने दिए अपने एक वक्तव्य में सरकार के उस फैसले को “परिवार की चांदी बेचने ” का आरोप लगाया था, जिसका “न तो आर्थिक मतलब है और न इसके पीछे कोई कॉमन सेंस ही है।”

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

NMP: Railwaymen to Hold Nationwide Protest on Sept 8 Against Asset Monetisation Framework

indian railways
AIRF
National Monetisation Pipeline
Narendra Modi Government

Related Stories

कोलकाता मेट्रो ने 2500 से अधिक अस्थायी कर्मचारियों की छंटनी की

सीएए : एक और केंद्रीय अधिसूचना द्वारा संविधान का फिर से उल्लंघन

दिल्ली : स्वतंत्र पत्रकार मनदीप की रिहाई की मांग को लेकर पत्रकारों ने छेड़ा अभियान

बात बोलेगी: विपक्ष बुलाए शीत सत्र, दिल्ली बॉर्डर पर लगाई जाए जन संसद

सबको जाननी चाहिए यह कहानी: बेगूसराय के लोगों ने कैसे शुरू किया था श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में राहत अभियान

लाइफ लाइन बनी डेंजर लाइन, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 48 घंटे में नौ लोगों की मौत

भूखा मरता भारत, जश्न में डूबी मोदी सरकार!

कोरोना संकट: प्रवासी मज़दूरों का कोई देस नहीं है महाराज!

कोयला क्षेत्र में एफडीआईः लाखों श्रमिक करेंगे हड़ताल

कैट्स कर्मचारियोें का अनशन, सरकार को मिली आरबीआई से  बड़ी राशि और अन्य 


बाकी खबरें

  • भाषा
    अदालत ने कहा जहांगीरपुरी हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस ‘पूरी तरह विफल’
    09 May 2022
    अदालत ने कहा कि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर हुए घटनाक्रम और दंगे रोकने तथा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका की जांच किए जाने की आवश्यकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,207 नए मामले, 29 मरीज़ों की मौत 
    09 May 2022
    राज्यों में कोरोना जगह-जगह पर विस्पोट की तरह सामने आ रहा है | कोरोना ज़्यादातर शैक्षणिक संस्थानों में बच्चो को अपनी चपेट में ले रहा है |
  • Wheat
    सुबोध वर्मा
    क्या मोदी सरकार गेहूं संकट से निपट सकती है?
    09 May 2022
    मोदी युग में पहली बार गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है और ख़रीद घट गई है, जिससे गेहूं का स्टॉक कम हो गया है और खाद्यान्न आधारित योजनाओं पर इसका असर पड़ रहा है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!
    09 May 2022
    क्या मोदी जी के राज में बग्गाओं की आज़ादी ही आज़ादी है, मेवाणियों की आज़ादी अपराध है? क्या देश में बग्गाओं के लिए अलग का़ानून है और मेवाणियों के लिए अलग क़ानून?
  • एम. के. भद्रकुमार
    सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति
    09 May 2022
    सीआईए प्रमुख का फ़ोन कॉल प्रिंस मोहम्मद के साथ मैत्रीपूर्ण बातचीत के लिए तो नहीं ही होगी, क्योंकि सऊदी चीन के बीआरआई का अहम साथी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License