मोहसिन आलम भट्ट का कहना है कि किसी व्यक्ति की नागरिकता पर सवाल उठाने का अधिकार सरकारी अफ़सरों को नहीं मिलना चाहिए बल्कि यह एक क़ानूनी प्रक्रिया है, जिसे अदालतों में तय किया जाना चाहिएI
नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के विरोध के बीच सरकार ने एनपीआर का नया राग छेड़ दिया हैI सरकार की दलील है कि एनपीआर जनगणना की तरह ही एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन गौर से देखें तो यह एनआरसी की पहली सीढ़ी हैI एनपीआर की प्रक्रिया पूरी करने के बाद जो एनआरसी लिस्ट जारी की जानी है, वह असम से भी ज्यादा ख़तरनाक होगीI
एनपीआर की प्रक्रिया में तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को छूट दी गई है कि वे शक के आधार पर किसी भी व्यक्ति की नागरिकता पर सवाल उठा सकते हैंI हैरत की बात नहीं है कि ये सरकारी मुलाज़िम अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर एक समुदाय विशेष की नागरिकता पर सवाल उठाएंगेI इसलिए मोहसिन आलम भट्ट का कहना है कि किसी व्यक्ति की नागरिकता पर सवाल उठाने का अधिकार सरकारी अफ़सरों को नहीं मिलना चाहिए बल्कि यह एक क़ानूनी प्रक्रिया है, जिसे अदालतों में तय किया जाना चाहिएI
VIDEO