NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
नागालैंड स्वायत्तता: कश्मीर के बाद, क्या भारत सरकार इस वादे से भी मुकर जाएगी?
जय प्रकाश नारायण ने कहा था कि अपनी सीमा पर मित्र नागा होना ज़्यादा अच्छा है बजाए असंतुष्ट नागा होना, जिन्हें ज़बरदस्ती बलपूर्वक भारत के साथ रखा जाए। सी. राजगोपालाचारी ने भी नागा लोगों की स्वायत्तता की वकालत की थी।
सौजन्य: इंडियन कल्चरल फोरम
30 Oct 2019
नागालैंड स्वायत्तता

नागा लोगों का दावा है कि उनके नेता फिज़ो ने, 562 भारतीय राजघरानों की तरह, भारत सरकार के साथ आज़ादी के वक्त कोई विलय संधि नहीं की और न ही नागालैण्ड, जिसे वे नागालिम कहते हैं, अपनी मर्ज़ी से या युद्ध में परास्त होकर भारत का हिस्सा रहा है। नागा लोग अपने इतिहास के प्रति गर्व महसूस करते हैं तथा वे कभी किसी विदेशी शासन के अधीन नहीं रहे। पहली बार अंग्रेज़ों ने, दोनों तरफ़ काफ़ी हिंसा के बाद, नागालैण्ड को असम का हिस्सा बनाया था। नागालैण्ड में अंतर्जातिय हिंसा भी हुई है। वहां चालीस के क़रीब आदिवासी समुदाय हैं जिनकी पृथक सांस्कृतिक पहचान है। नागाओं ने अंग्रेजों से कहा था कि उनको अपना भविष्य तय करने का अधिकार है तथा अंग्रेज़ों ने भी पारम्परिक स्वशासन की अवधारणा के आधार पर उनके लिए एक सीमित स्वायत्तता की बात स्वीकार की थी। महात्मा गांधी भी नागाओं द्वारा अपना भविष्य खुद तय करने के उनके अधिकार के समर्थक थे तथा नेहरू द्वारा वहां सेना भेजने के फैसले के खिलाफ़ थे। भारत की आज़ादी के वक्त नेहरू ने नागालैण्ड को एक स्थानीय स्वायत्तता देने की पेशकश की थी लेकिन नागा नेता पृथक राष्ट्र की मांग कर रहे थे। आज़ादी के बाद भी नागालैण्ड असम का हिस्सा बना रहा। 1955 में वहां उठ रहे विद्रोह के दमन के लिए नेहरू ने सेना भेजी और तीन वर्ष बाद सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को पारित कर नागालैण्ड व पूर्वोत्तर में जहां-जहां असंतोष उभर रहा था वहां-वहां इसे लागू किया गया।

1963 में नेहरू सरकार के नागा पीपल्स कन्वेंशन के साथ समझौते के बाद नागालैण्ड एक पृथक राज्य बन गया जिसे फीज़ो ने धोखा बताया। 1975 में नागा नेशनल काउंसिल के साथ शिलौंग समझौता हुआ। इसे भी कुछ नागा नेताओं ने मानने से मना कर दिया। आइसैक चिसी सू, थुईंगालेंग मुइवाह व एस.एस। काफलौंग ने सम्प्रभु नागालैण्ड हेतु संघर्ष के लिए नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालिम का गठन किया। 1988 में इस संगठन का विभाजन हुआ। एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) के नेता यूरोप चले गए व एन.एस.सी.एन. (के.) ने म्यांमार को अपना आधार बनाया। तत्पश्चात भारत के प्रधान मंत्री नरसिम्हा राव, देवे गौड़ा व अटल बिहारी वाजपेयी आइसैक व मुइवाह से क्रमशः पेरिस, बैंग्काॅक व एम्सटरडम में मिले। 1997 में युद्ध विराम के बाद से वार्ताओं का दौर चला है। 3 अगस्त, 2015 को नरेन्द्र मोदी सरकार ने इन्हीं नागा नेताओं के साथ एक प्रारूप समझौता किया। इस पर भारत सरकार की ओर से प्रधान मंत्री की उपस्थिति में वार्ताकार आर.एन. रवि तथा नागा लोगों की ओर से मुइवाह ने हस्ताक्षर किए हैं। आइसैक ने अस्पताल से इस पर हस्ताक्षर किए। इसमें एक साझा सम्प्रभुता व स्थाई शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ दो इकाइयों के बीच एक समावेशी रिश्ते की बात की गई है।

एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) ने इस नाज़ुक रिश्ते की बारीकियों के बारे में विस्तार से ज़िम्मेदारियों के बंटवारे का एक मसौदा तैयार किया है। नागालैण्ड की सरकार के तहत सभी नागा इलाके, जिसमें असम, मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र भी शामिल हैं, माने जाएंगे जिनका अंततः एकीकरण किया जाएगा, जो नागा संगठनों की एक लम्बे समय से मांग रही है। उपर्युक्त तीन राज्यों के नागा रिहाइशी इलाकों में नागा क्षेत्रीय परिषद का गठन होगा। नागा क्षेत्रीय परिषद की अपनी विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका होंगी। न्यायपालिका में पारम्परिक व आधुनिक दोनों कानून माने जाएंगे। ज़मीन व उसके ऊपर व नीचे जो कुछ भी है वह नागालैण्ड का होगा। ज्ञात हो कि नागा इलाकों में पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, कोयला व अन्य खनिजों के भण्डार हैं। वर्तमान समय में केन्द्र सरकार इन खनिजों से हुए मुनाफे का एक-चौथाई से भी कम राज्यों के साथ साझा करती है। विदेश नीति में नागालैण्ड से सम्बंधित मामलों को छोड़ वे भारत सरकार के साथ रहेंगे। किंतु नागालैण्ड के विदेशों में पृथक संस्कृति व शिक्षा कार्यालय होंगे। नागालैण्ड की अपनी अलग शिक्षा व्यवस्था होगी लेकिन भारत के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में वह अपने छात्रों के लिए आरक्षण की अपेक्षा भी करेगा। एक ईसाई बहुसंख्यक आबादी होते हुए भी नागालैण्ड धर्मनिर्पेक्ष राज्य रहेगा। आंतरिक सुरक्षा उसकी अपनी होगी किंतु बाह्य सुरक्षा की व्यवस्था वह भारतीय सेना के साथ मिलकर करेगा। नागालैण्ड का अलग गान, संविधान, प्रतीक चिन्ह व झंडा होगा। नागालैण्ड से दो सदस्य राज्य सभा में प्रतिनिधित्व करेंगे। जो समझौता होगा उसमें परिवर्तन भारत की संसद व नागालैण्ड की विधायिका में दो-तिहाई बहुमत से पारित होने के बाद ही मान्य होगा। सशस्त्र बल विशेष सुरक्षा अधिनियम नागालैण्ड से हटाया जाएगा एवं बिना नागालैण्ड की सहमति के नहीं लगेगा।

अगस्त 2019 में जम्मू व कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ही राज्यपाल आर।एन। रवि ने घोषणा की प्रधान मंत्री तीन माह के अंदर नागालैण्ड समझौता सम्पन्न करना चाहते हैं। रवि ने प्रस्ताव रखा है कि नागालैण्ड भारत के अन्य राज्यों जैसे ही उसका एक राज्य बन जाए। जबकि यह अपेक्षा की जा रही थी कि भारत सरकार एन.एस.सी.एन। (आई.एम.) के साथ हुए प्रारूप समझौते के आधार पर ही कोई अंतिम समझौता करेगी उसने छह संगठनों के एक मंच नागा राष्ट्रीय राजनीतिक समूह के साथ सामानांतर वार्ता शुरू कर दी जो नागालैण्ड के पृथक संविधान पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) इसे छलावा मानता है।

थुईंगालेंग मुइवाह का कहना है कि किसी भी लोकतंत्र में सम्प्रभुता लोगों की होती है और नागालैण्ड में सम्प्रभुता नागा लोगों की ही होगी। उनका यह भी कहना है कि यदि भारत सरकार समझौते को अंतिम रूप देने के इतना नज़दीक आकर भी समझौते से मुकर जाती है तो नागा लोग इतने दूर चले जाएंगे कि उन्हें दोबारा वार्ता के बुलाना भी आसान नहीं होगा।

भारत सरकार ने एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) से 22 वर्षों की वार्ता के दौरान जो वायदे किए हैं उसे उसका पालन करना चाहिए। नागालैण्ड कोई आज़ादी की मांग नहीं कर रहा है। वह तो साझा सम्प्रभुता व शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की बात कर रहा है। मुइवाह पूछते हैं कि भारत सरकार कैसे यह उम्मीद करती है कि नागा लोग आत्म समर्पण कर देंगे। आखिर 22 वर्षों से वार्ता इसलिए तो नहीं हो रही थी कि नागालैण्ड उसी तरह भारत का एक राज्य बन जाए जैसे शेष राज्य हैं। नागालैण्ड को अलग झंडा व संविधान देने से भारत की सम्प्रभुता को कोई खतरा नहीं है। जय प्रकाश नारायण ने कहा था कि अपनी सीमा पर मित्र नागा होना ज़्यादा अच्छा है बजाए असंतुष्ट नागा होना, जिन्हें ज़बरदस्ती बलपूर्वक भारत के साथ रखा जाए। सी. राजगोपालाचारी ने भी नागा लोगों की स्वायत्तता की वकालत की थी।


संदीप पाण्डेय सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) से सम्बद्ध हैं तथा मीरा संघमित्रा जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय से।

Nagaland
Nagaland Autonomy
Kashmir
Indian government

Related Stories

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

विचार-विश्लेषण: विपक्ष शासित राज्यों में समानांतर सरकार चला रहे हैं राज्यपाल

तिरछी नज़र: प्रश्न पूछो, पर ज़रा ढंग से तो पूछो

नगालैंड व कश्मीर : बंदूक को खुली छूट

नगा नेता राज्यपाल रवि से वार्ता को क्यों राज़ी नहीं?

करतारपुर  कॉरिडोर : दोनों तरफ़ के पंजाबियों को भारत-पाक के बेहतर संबंधों की आस

आर्टिकल 370: नज़रबंद कश्मीरी नेताओं को भाषण देने वाले भाजपा नेता हुए बेनक़ाब

तिरछी नज़र : ज़रूरत है एक नई राजभाषा की!


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License