NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कानून
नज़रिया
भारत
राजनीति
नगालैंड व कश्मीर : बंदूक को खुली छूट
इन मुठभेड़ हत्याओं के विरोध में आफ़्सपा को हटाने और सेना को बैरकों में वापस भेजने की मांग ज़ोर पकड़ रही है। नगालैंड, मणिपुर व मिज़ोरम में यह आवाज़ तेज़ हो रही है।
अजय सिंह
08 Dec 2021
Funeral
नगालैंड में मारे गए नागरिकों का अंतिम संस्कार। फोटो साभार: Telegraph India

नगालैंड में 5 दिसंबर 2021 को और भारत के हिस्से वाले कश्मीर में 14 नवंबर व 24 नवंबर 2021 को तथाकथित मुठभेड़ों की जो घटनाएं घटीं, उनमें क्या समानता है? यही कि दोनों जगह सेना की बंदूकों को खुली छूट मिली है कि वे गोलियों की बौछार पर भारतीय नागरिकों को हलाक कर दें। सेना को यह छूट सशस्त्र बल विशेष अधिकार क़ानून (आफ़्सपा, 1958) के तहत मिली हुई है, जो सशस्त्र बलों को ‘विशेष अधिकार’ और ‘विशेष छूट’ देता है। यह क़ानून सशस्त्र बलों को क़ानूनी जवाबदेही और दंडात्मक कार्यवाही से मुक्त रखता है।

यह क़ानून (आफ़्सपा) 1958 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के समय देश की संसद ने बनाया था। तब से यह जस-का-तस चला आ रहा है।

इस अलोकतांत्रिक व दमनकारी क़ानून को रद्द करने की मांग नागरिक समाज व मानवाधिकार समूह लंबे समय से करते रहे हैं। आफ़्सपा को रद्द करने की मांग को लेकर मणिपुर की कवि व मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने 16 साल तक, वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2016 तक, इंफाल में भूख हड़ताल की थी।

नगालैंड में 5 दिसंबर को मोन ज़िले के ओटिंग नामक क़स्बे में सेना ने तथाकथित आतंकवादियों/उग्रवादियों की मौजूदगी बतायी और मुठभेड़ दिखाकर 14 नागरिकों को, जो पूरी तरह निहत्थे थे, मार डाला। सेना का झूठ जल्दी पकड़ में आ गया। पता चला कि मारे गये लोगों में कई कोयला खान मज़दूर थे, जो काम के बाद अपने घर लौट रहे थे। बाक़ी आम नागरिक थे।

नगालैंड के नागरिक समाज ने इस घटना को नस्ली जनसंहार (जेनोसाइड) कहा है। ख़ास बात यह है कि नगालैंड सरकार पुलिस ने भारतीय सेना के ख़िलाफ़ एफ़आईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज़ की है, जिसमें कहा गया है कि सेना ने जानबूझकर—इरादतन—नागरिकों की हत्या की। यह एफ़आईआर मोन ज़िले के तिज़ित थाने में दर्ज़ की गयी है।

सेना का ऐसा ही मुठभेड़ी झूठ कश्मीर में भी बेनक़ाब हुआ। कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 14 नवंबर और 24 नवंबर को दो अलग-अलग मुठभेड़ दिखाकर सेना ने सात भारतीय नागरिकों को मार डाला। वे आम लोग थे। यहां भी सेना ने वही प्रचार चलाया कि मारे गये लोग आतंकवादी/मिलिटेंट/पाकिस्तानी थे।

इन मुठभेड़ हत्याओं के विरोध में जनता श्रीनगर की सड़कों पर उतरी, और जन दबाव के चलते सेना को मारे गये सात लोगों में से कम-से-कम तीन की लाशें उनके परिवारवालों को सौंपनी पड़ी। श्रीनगर प्रशासन ने मुठभेड़ हत्या की एक घटना की जांच कराने का आश्वासन दिया है। प्रशासन ने एक प्रकार से मान लिया है कि यह मुठभेड़ संदेह के दायरे में है।

इन मुठभेड़ हत्याओं के विरोध में आफ़्सपा को हटाने और सेना को बैरकों में वापस भेजने की मांग ज़ोर पकड़ रही है। नगालैंड, मणिपुर व मिज़ोरम में यह आवाज़ तेज़ हो रही है। देश के अन्य हिस्सों में भी यह मांग उठ रही है। कश्मीर की जनता यह मांग लंबे समय से करती रही है। सवाल है, सेना पर कौन लगाम कसेगा?

(लेखक कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Nagaland
Nagaland Killings
Kashmir crises
AFSPA
NDA Govt
BJP
manipur
North East
Fake encounter

Related Stories

हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी

उत्तराखंड: एआरटीओ और पुलिस पर चुनाव के लिए गाड़ी न देने पर पत्रकारों से बदसलूकी और प्रताड़ना का आरोप

उत्तराखंड चुनाव: राज्य में बढ़ते दमन-शोषण के बीच मज़दूरों ने भाजपा को हराने के लिए संघर्ष तेज़ किया

कौन हैं ओवैसी पर गोली चलाने वाले दोनों युवक?, भाजपा के कई नेताओं संग तस्वीर वायरल

तमिलनाडु : किशोरी की मौत के बाद फिर उठी धर्मांतरण विरोधी क़ानून की आवाज़

हरदोई: क़ब्रिस्तान को भगवान ट्रस्ट की जमीन बता नहीं दफ़नाने दिया शव, 26 घंटे बाद दूसरी जगह सुपुर्द-ए-खाक़!

भाजपा ने फिर उठायी उपासना स्थल क़ानून को रद्द करने की मांग

मुद्दा: जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का प्रस्ताव आख़िर क्यों है विवादास्पद


बाकी खबरें

  • ramnavami
    संदीप चक्रवर्ती
    पश्चिम बंगाल: विहिप की रामनवमी रैलियों के उकसावे के बाद हावड़ा और बांकुरा में तनाव
    12 Apr 2022
    हावड़ा में बहुसंख्यक मुस्लिम रिहाइश वाले इलाकों से गुजरते रामनवमी जुलूस ने उनके खिलाफ नारेबाजी की और उन पर पथराव किया।
  • NOIDA
    श्याम मीरा सिंह
    देर रात डीजे बजाने को लेकर न्यूज-18 के पत्रकार और जागरण आयोजकों के बीच क्या हुआ? जानिये पूरा घटनाक्रम
    12 Apr 2022
    पत्रकार सौरभ ने आयोजकों को डीजे बंद करने के लिए कहा, लेकिन ये बात आयोजकों को इतनी नागवार गुज़री कि वे सौरभ शर्मा को मौके पर ही सबक़ सिखाने के लिए दौड़ पड़े। आयोजकों ने उन्हें पाकिस्तानी कहते हुए परिवार…
  • उपेंद्र स्वामी
    दुनिया भर की: सोमालिया पर मानवीय संवेदनाओं की अकाल मौत
    12 Apr 2022
    यह अप्रैल का महीना चल रहा है। कई लोगों का कहना है कि सोमालिया के लिए जीवन या विनाश का विकल्प देने वाला महीना साबित हो सकता है। यह महीना सोमालिया और मध्य-पूर्वी अफ्रीकी देशों में बारिश शुरू होने का…
  • भाषा
    सीबीआई को आकार पटेल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मिली अनुमति
    12 Apr 2022
    केंद्र ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के मामले में मुकदमा चलाने की…
  • भाषा
    ओडिशा के क्योंझर जिले में रामनवमी रैली को लेकर झड़प के बाद इंटरनेट सेवाएं निलंबित
    12 Apr 2022
    ओडिशा के क्योंझर जिले में एक दिन पहले राम नवमी की रैली को लेकर दो समुदायों के बीच संघर्ष के बाद मंगलवार को इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License