NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र : ऐसे भोले भाले हैं हमारे मोदी जी...
व्यंग्य स्तंभ : ज़रा मोदी जी की सरलता पर गौर फरमाइये, इतने सारे कैमरामैन थे, एसपीजी के जवान थे, और भी लोग रहे होंगे पर मोदी जी ने कूड़ा खुद उठाया। न किसी को बुलाया और न ही कोई आया।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
20 Oct 2019
modi in mahabalipuram
फोटो साभार : The Hindu

बीते सप्ताह चीन के राष्ट्रपति महोदय भारत पधारे। मामल्लपुरम पहुंचे। वहां पर प्रधानमंत्री मोदी जी ने उनका स्वागत किया, रात्रिभोज का आयोजन किया। मीटिंग की, आपस में बातचीत की। मीटिंग इतनी अधिक सफल रही कि दोनों देशों ने संयुक्त वक्तव्य भी अलग अलग जारी किया। पर हमारी सबसे बड़ी सफलता यह रही कि चीनी राष्ट्रपति ने कश्मीर पर बात नहीं की। हमारे देश में कश्मीर पर बात करना देशद्रोह माना जाता है और कश्मीर पर बात नहीं करना देशभक्ति। अतः कहा जा सकता है कि चीनी राष्ट्रपति देशभक्त निकले।

tirchhi nazar_0.PNG

चीन के राष्ट्रपति महोदय तो यहां घूमने-फिरने, सैर के लिए आये थे। और मोदी जी ने उनको सैर करवाई भी। मोदी जी ने कैसे गाइड बनकर शी चिनफिंग को मामल्लपुरम घुमाया यह समाचारों में विस्तार से था। रात के खाने में क्या क्या व्यंजन बने थे, ख़बर वालों ने, अख़बारों और टीवी चैनलों ने यह भी विस्तार से बताया। यह भी बताया गया कि मोदी जी ने लुंगी जैसा वस्त्र पहना हुआ है। उस वस्त्र की चर्चा भी विस्तार से हुई। बस नहीं पता चला तो यह नहीं पता चला कि समझौते क्या क्या हुए और किस क्षेत्र में हुए। कोई समझौता हुआ भी या फिर कोई भी समझौता नहीं हुआ, यह भी पता नहीं चला।

देश को चीन के राष्ट्रपति के दौरे से बहुत ही उम्मीदें थी। लग रहा था मोदी जी, जैसे देश की जनता को समझा लेते हैं, वैसे ही शी चिनफिंग को भी समझा लेंगे और देश के लिए व्यापार घाटा कम करवा लेंगे। पर ऐसा कैसे हो गया कि शी चिनफिंग मोदी जी से होशियार निकल गये और हमारा व्यापार घाटा वहीं का वहीं खड़ा रहा। मेहमाननवाजी में भाजपा और उसके सहयोगी यह तक भूल गए कि दिवाली से पहले चीनी चीजों के बहिष्कार करने की रस्म अदायगी भी करनी है।

चीनी राष्ट्रपति जी का दौरा तो जैसा भी था, था पर दौरे की सबसे बडी़ उपलब्धि हुई दौरे के अगले दिन सुबह। हुआ यह कि हमारे प्रधानमंत्री जी सुबह सागर किनारे सैर के लिए निकल पड़े। अब प्रधानमंत्री महोदय सैर करने अचानक तो जाते नहीं हैं, पहले से कार्यक्रम तय होता है। विदेशी राष्ट्रपति भी आये हुए थे अतः सारे समुद्र तट की ढंग से सफाई तो की ही गई होगी। दो दिन पहले से आमजन की एंट्री बंद कर दी गई होगी। विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) ने सारे इलाके की सुरक्षा व्यवस्था की जांच भी की ही होगी। 

और उस दिन सुबह कैमरामैनों का, टीवी क्रू का इंतजाम किया गया होगा और तब मोदी जी सवेरे की सैर पर निकले होंगे। कैमरामैनों के बिना तो मोदी जी अपनी मां से मिलने भी नहीं जाते हैं और कहीं जाने की बात तो छोडिये। तो इतनी साफ-सफाई के बाद, सारे इलाके की एसपीजी की सुरक्षा जांच के बाद इतने सारे कैमरामैनों के सामने, मोदी जी कूड़ा ढूंढ निकालते हैं। और हमारे मोदी जी हैं भी इतने सहृदय और सरल कि इलाके के डीएम और सफाई कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय खुद कूड़ा उठाने लगे। 

अब उस कूड़े में बम भी हो सकता था। पर मोदी जी निर्भीक इतने कि जरा भी डर नहीं लगा। न ही मोदी जी ने एसपीजी के किसी अफसर के, जवान के खिलाफ कार्रवाई की। यहां पर भी जरा मोदी जी की सरलता पर गौर फरमाइये, इतने सारे कैमरामैन थे, एसपीजी के जवान थे, और भी लोग रहे होंगे पर मोदी जी ने कूड़ा खुद उठाया। न किसी को बुलाया और न ही कोई आया।

सरलता और दयालुता की प्रतिमूर्ति, हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने सारा कूडा़ करकट स्वयं उठाया। किसी की भी जरा सी भी मदद नहीं ली। और तो और, जिस प्लास्टिक पर अभी कुछ दिन पहले बैन लगाया था। खुद ही बैन घोषित किया था। उसी प्लास्टिक की थैली में कूडा़ भरा। ऐसे भोले भाले हैं हमारे मोदी जी।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Political satire
Satire
Narendera Modi
Xi Jingping
Swachchh Bharat Abhiyan
KASHMIR ISSUE
BJP
Modi's Photo shoot

Related Stories

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

त्वरित टिप्पणी: जनता के मुद्दों पर राजनीति करना और जीतना होता जा रहा है मुश्किल


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License