NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
यह आहट '74 जैसे छात्र-युवा आंदोलन की है!
यह तय है कि मोदी जी के कार्यकाल के बचे अगले साढ़े तीन साल नौजवान अब उनको चैन से नहीं बैठने देंगे और सबके लिए रोज़गार का नारा संसद से सड़क तक गूंजता रहेगा।
लाल बहादुर सिंह
18 Sep 2020
यह आहट '74 जैसे छात्र-युवा आंदोलन की है!
फोटो साभार: सोशल मीडिया

17 सितम्बर प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन था। वे 70 साल के हो गए। भाजपा ने इस अवसर पर 14 सितम्बर से 20 सितम्बर तक सेवा सप्ताह के रूप में मनाने का आह्वान किया था। उसका क्या हुआ, यह तो कहीं सार्वजनिक चर्चा में नहीं है, हो सकता है उनके कार्यालयों में कुछ हो रहा हो।

पर इसी अवसर पर बेरोजगारी के महासंकट से जूझ रहे छात्र-युवाओं ने राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस का जो आह्वान किया था, वह #NationalUnemploymentDay और #राष्ट्रीयबेरोजगारीदिवस जरूर पूरे दिन सोशल मीडिया में टॉप ट्रेंड करता रहा, यह 46 लाख बार शेयर किया गया!

छात्र-नौजवान इलाहाबाद से लेकर अमृतसर तक, कोल्हापुर से लेकर भोजपुर-समस्तीपुर तक सड़क पर उतरे।

पूरे देश में जगह जगह छात्रों-नौजवानों पर लाठीचार्ज और गिरफ्तारी की खबरें हैं। लखनऊ में सारे नियम-कानून, मर्यादा को तार-तार करते विश्वविद्यालय की छात्रा को बेहद आपत्तिजनक ढंग से दबोचे मर्द पुलिस वाले कि तस्वीर वायरल हो रही है।

शाम को BHU से लेकर आरा, सिवान, पटना पूरे बिहार से मशाल जुलूस के वीडियो आते रहे।

"छात्र-युवा की जली मशाल, भागे तानाशाह और दलाल!"

ट्विटर पर मोदीजी के जन्मदिन के शुभकामना संदेशों को बहुत पीछे छोड़ते हुए नौजवानों का ट्विटर स्टॉर्म #17Sept17hrs17minutes पर छाया रहा।

सुनते हैं, ट्विटर पर कुछ खेल करने की कोशिश हुई लेकिन वह युवाओं के तूफान के आगे टिक न सकी।

प्रधानमंत्री का चर्चित जुमला उधार लिया जाय, तो यह सचमुच 73 साल में आज़ाद भारत में पहली बार हो रहा है कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन को युवापीढ़ी अपनी बेरोजगारी की पीड़ा से जोड़ रही है और प्रतिवाद दिवस के रूप में मना रही है।

यह विडंबना और मुखर हो उठती है जब हम याद करते हैं कि यह वही प्रधानमंत्री हैं, कल तक युवा पीढी जिनकी दीवानी थी। मोदी मोदी का नारा देश में ही नहीं भरतीय जहाँ  भी हैं, विदेशों तक में सालों तक गूंजता रहा।

यह दरअसल सपनों के टूटने का दर्द है और इसके जिम्मेदार मोदी जी स्वयं हैं-- पहले उम्मीदें पैदा करना फिर उन्हें बेरहमी से तोड़ देना! स्वाभाविक है, जिससे जितनी अधिक उम्मीदें होती हैं, उम्मीदें पूरी न होने पर उससे उतनी ही अधिक निराशा होती हैं।

सच्चाई तो यह है कि 2014 का पूरा चुनाव ही मोदी जी ने विकास और सर्वोपरि रोजगार के सवाल पर लड़ा और जीता था, हिन्दू हृदय सम्राट की छवि ने भले ही उन्हें लाभ दिया पर वह थी पृष्ठभूमि में ही।

दरअसल, मनमोहन सिंह के कार्यकाल के उत्तरार्ध में विकास दर गिरने लगी थी। जॉबलेस ग्रोथ का पैटर्न तो पहले से  ही था,  गिरती विकास दर के साथ बेरोजगारी का संकट और गहराने लगा था और उसी के साथ रोजगार की तलाश में लगे युवाओं की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। जनता की नब्ज पकड़ने में माहिर मोदी जी ने नौजवानों में बढ़ते गुस्से की इस under-current को भांप लिया था और उन्होंने इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

याद करिये, कैसे कैसे सपने उन्होंने रोजगारविहीन विकास के लिए मनमोहन सिंह सरकार को घेरते हुए नौजवानों को दिखाये थे, पहले प्रतिवर्ष 1 करोड़ रोजगार सृजन का वायदा हुआ,  बाद में वह बढ़कर हर साल 2 करोड़ रोजगार पर पहुंच गया और चुनाव आते आते BJP के चुनाव घोषणा पत्र में रोजगार सृजन को महत्वपूर्ण प्राथमिकता घोषित कर दिया गया।

भारत को चीन  की तरह दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का सपना दिखाया गया, कि घर-घर उत्पादन होने लगेगा और चीनी माल की तरह हमारा माल भी पूरी दुनिया में छा जाएगा। गुजरात मॉडल की गढ़ी गयी छवि से उत्तर भारत के अन्य राज्यों में यह पुख्ता धारणा बनाई गई कि गुजरात मॉडल की तर्ज पर पूरा देश विकास और रोजगारमय हो जाएगा।

लोकलुभावन मेक इन इंडिया-स्टार्टअप इंडिया-स्किल इंडिया जैसी योजनाओं द्वारा भारत को रोजगार से भर देने का सपना दिखाया गया। अब इनकी चर्चा भी नहीं होती।

बारंबार अपने भाषणों में यह बताते हुए कि भारत की 65 % आबादी 35 साल से कम उम्र की है, मोदी जी ने कहा कि भारत नौजवानों का देश है, इस डेमोग्राफिक डिविडेंड का इस्तेमाल करते हुए देश को विश्वगुरु बनाने का उन्होंने सपना दिखाया।

पर आज युवाओं के वे सारे सपने धूल धूसरित हो चुके हैं। आज जब मोदी जी आत्मनिर्भर भारत का जुमला उछालते हैं, तो नौजवानों को लगता है वे उनका मजाक उड़ा रहे हैं, जब वे पकौड़ा तलने की बात करते हैं तो उन्हें लगता है कि उनके जले पर नमक छिड़का जा रहा है।

6 साल में 12 करोड़ रोजगार देने का वायदा था, पर CMIE के अनुसार 12 करोड़ रोजगार पिछले 6 महीने में चले गए थे, जिसमें 2 करोड़ वैतनिक नौकरियाँ हैं।

119514663_5116306961728100_2700035274929881041_n.jpg

बेरोजगारी दर, अकल्पनीय, न भूतो न भविष्यति, आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार 9.1 % !!

आज 24 लाख सरकारी पद सरकारी नौकरियों में खाली पड़े हैं, जिन्हें समयबद्ध ढंग से भरा नहीं जा रहा, 7-7 साल तक लटकाया जा रहा है और ढेर सारे पदों को समाप्त किया जा रहा है। नए पदों के सृजन पर रोक लगी हुई है। रेल समेत तमाम सरकारी क्षेत्र का  निजीकरण किया जा रहा है , जिसका परिणाम बड़े पैमाने पर नौकरियों का खात्मा होगा। चारों ओर सरकारी नौकरियों में भी आउटसोर्सिंग, ठेका का बोलबाला है।

तात्कालिक तौर पर जिस एक बात ने युवाओं को उकसाने में आग में घी का काम किया है, वह यह है कि अब गुजरात मॉडल पर UP में भी सरकारी नौकरी मिलने पर शुरू के 5 साल संविदा पर काम करना होगा, उसके बाद ही यदि शासन-प्रशासन आपसे सन्तुष्ट रहा तो आप की नौकरी पक्की होगी। इस बीच छंटनी की तलवार आपके सर पर लटकती रहेगी।

हालात बेहद खौफनाक होते जा रहे हैं, अवसादग्रस्त होते नौजवानों की आत्महत्या का आंकड़ा किसानों को पीछे छोड़ चुका है। कहा जा रहा है कि शिक्षित बेरोजगारी की दृष्टि से भारत एक Ticking टाइम बम के ऊपर बैठा हुआ है।

लेकिन अब मोदी जी ने शुतुरमुर्गी शैली अख्तियार कर ली है। अब वे रोजगार के सवाल पर, नौजवानों के सवाल पर बोलते ही नहीं, डेढ़ घण्टे के 15 अगस्त के भाषण में इतने बड़े राष्ट्रीय संकट का कोई जिक्र भी नहीं, न ही सरकार के बजट भाषण में या राष्ट्रपति के अभिभाषण में कोई चर्चा।

सबसे दुःखद यह है कि जब वे अपवादस्वरूप इस पर बोलते भी हैं तो मजाक उड़ाते हैं, तंज करते हैं, पूरे issue को trivialise करते हैं !

कभी वे पकौड़े तलने का जुमला उछाल देते हैं, तो कभी वे कहते हैं कि जिनकी दलाली मेरी सरकार ने बंद करवा दी है वे ही बेरोजगारी का सवाल उठा रहे हैं, पिछले दिनों उन्होंने विपक्षी नेताओं पर व्यंग करते हुए कहा कि मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जिससे आपकी बेरोजगारी कभी खत्म हो !

यह सब नौजवानों के साथ कितना भद्दा मजाक है ?

क्या बेरोजगार नौजवान विपक्ष के नेताओं के रोजगार के लिए लाठी खा रहे और लहूलुहान हो रहे हैं। क्या बेरोजगारी का सवाल कोई बनावटी सवाल है जिसे केवल विपक्ष के नेता उठा रहे हैं? यह दरअसल बेरोजगारी संकट की गम्भीरता को dilute करने और diversion की उनकी शातिर style है।

पर अब ये सब नुस्खे पुराने पड़ चुके हैं। छात्र-युवा अब इस सब से झांसे में आने वाले नहीं हैं। नौजवान अब मोदीजी से ही सीखकर उन्हें सबक सिखाने का मन बना चुके हैं।

बेहतर होता प्रधानमंत्री जी आज अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर जरा ठहर कर अतीत के पन्ने पलटते,  अपने वायदे याद करते और युवाओं को इस नाउम्मीदी और मोहभंग से निकालने हेतु सबके लिए रोजगार सृजन की दिशा में कुछ ठोस प्रयास करते।

पर इसके लिए उन्हें बड़े नीतिगत बदलाव करने होंगे, अम्बानी, अडानी समेत अपने चहेते कारपोरेट घरानों और वित्तीय महाप्रभुओं के मोहपाश से निकलना होगा !

क्या वे इसका साहस जुटा पाएंगे?

वरना हालात 74 के छात्र-युवा आंदोलन जैसे बनते दिख रहे हैं जिसने अंततः इंदिरा गांधी की तानाशाही का अंत किया था।

यह तय है कि मोदी जी के कार्यकाल के बचे अगले साढ़े तीन साल नौजवान अब उनको चैन से नहीं बैठने देंगे और सबके लिए रोजगार का नारा संसद से सड़क तक गूंजता रहेगा।

(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Narendra modi
Modi's Birthday
#NationalUnemploymentDay
National Unemployment Day
Indian Youth
Student movements
unemployment
UNEMPLOYMENT IN INDIA

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License