NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
नए कृषि कानूनः फिर नहीं बनी बात, फिर नई तारीख़
सरकार फिर नहीं मानी है और किसान भी अपनी मांग पर कायम हैं। जिसके चलते आज सांतवें दौर की बैठक में भी कोई हल नहीं निकल सका। अब अगली बैठक 8 जनवरी को होगी
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 Jan 2021
नए कृषि कानूनः फिर नहीं बनी बात, फिर नई तारीख़
Image Courtesy: NDTV

दिल्ली: नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच आज, सोमवार को हुई सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधि प्रारंभ से ही इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर डटे रहे, वहीं सरकार यही बात दोहराती रही कि इन कानूनों से किसानों को फायदा है।

कुल मिलाकर सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। अब एक बार फिर अगली तारीख़ का ऐलान कर दिया गया है। किसान संगठनों के नेताओं ने बताया कि अगली बैठक 8 जनवरी को होगी।

बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी बताया, ‘‘ आज की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया, सरकार और किसान संगठनों के बीच आठ जनवरी को फिर से वार्ता होगी। ’’

उन्होंने बताया कि बातचीत बेनतीजा रही क्योंकि यूनियन के नेता तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे।

दोनों पक्षों ने करीब एक घंटे की बातचीत के बाद लम्बा भोजनावकाश लिया। किसान संगठनों के प्रतिनिधि अपना भोजन लेकर आये थे। ‘लंगर’ से आए इस भोजन को उन्होंने खाया। हालांकि 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे जो करीब दो घंटे तक चली।

दोनों पक्षों ने दोबारा सवा पांच बजे फिर से चर्चा शुरू की, लेकिन सरकार के अपने ज़िद पर अड़े रहने और किसानों के कानूनों को निरस्त करने की मांग पर कायम रहने के कारण इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी ।

किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार को आंतरिक रूप से और विचार विमर्श करने की जरूरत है और इसके बाद वे (सरकार) किसान संघों के पास आयेंगे।

किसान नेताओं ने कहा कि वे आगे के कदम के बारे में चर्चा के लिये मंगलवार को अपनी बैठक करेंगे।

बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच अनाज खरीद से जुड़ी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की प्रणाली को कानूनी गारंटी देने की किसानों की महत्वपूर्ण मांग के बारे में चर्चा नहीं हुई।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन में 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की।

मौजूदा प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ इस बैठक की शुरुआत हुई।

इससे पहले, सरकार और किसान संगठनों के बीच छठे दौर की वार्ता 30 दिसंबर को हुई थी। उस दौरान पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने और बिजली पर रियायत जारी रखने की दो मांगों पर सहमति बनी थी।

हालांकि, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसल की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को लेकर कानूनी गारंटी पर अब तक कोई सहमति नहीं बन पायी है।

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कम से कम 12 राज्यों के हजारों की संख्या में किसान कृषि संबंधी तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास प्रदर्शन स्थल पर भारी बारिश और जलजमाव एवं जबर्दस्त ठंड के बावजूद किसान डटे हुए हैं।

गौरतलब है कि ये कानून जून में अध्यादेश के तौर पर लाए गए और सिंतबर 2020 में संसद में आनन-फानन में बिना पर्याप्त बहस या मतदान के पास कराके लागू कर दिए गए।

बैठक के दौरान सरकार लगातार तीनों कृषि कानूनों के फायदे गिनाती रहती है जबकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लेने पर जोर देते रहे हैं। सरकार इन्हें महत्वपूर्ण कृषि सुधार के रूप में पेश कर रही है, जबकि किसानों का साफ़ कहना है कि ये कानून खेती-किसानी को बर्बाद करेंगे और किसान कॉरपोरेट के चंगुल में फंस जाएगा। किसान इन कानूनों को गुलामी की और धकेलने वाला कदम बताते हैं।

सूत्रों ने बताया कि तोमर ने रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और मौजूदा संकट के जल्द समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की, लेकिन इसकी कोई झलक आज की बैठक में नहीं दिखाई दी।

इस बीच किसान नेताओं ने साफ़ कर दिया है कि उनका पूर्व का कार्यक्रम जस का तस है और पूर्व निर्धारित तरीके से चलेगा।

पढ़िए: मांगें नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को दिल्ली में ‘किसान परेड’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

farmers protest
Farm Bills
Farmer Government Meeting
centre vs farmers
Narendra Singh Tomar
BJP
MSP

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License