NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
‘केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन दिशा-निर्देश-2022’ : स्वतंत्र मीडिया पर लगाम की एक और कोशिश?
यह सरकारी दिशा-निर्देश ऊपर से जितने अच्छे या ज़रूरी दिखते हैं, क्या वास्तव में भी ऐसा है? ‘‘सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता’’ या ‘जन व्यवस्था’ जितने आवश्यक शब्द हैं, इन्हें लागू करने की नीति या प्रक्रिया उतनी ही ख़तरनाक भी हो सकती है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
08 Feb 2022
Media

नयी दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) ने अपने नए दिशानिर्देशों में कहा है कि देश की ‘‘सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता’’ के साथ-साथ ‘‘सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता’’ के लिए प्रतिकूल तरीके से काम करने वाले पत्रकार अपनी सरकारी मान्यता खो देंगे।

‘केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन दिशा-निर्देश-2022’ की सोमवार को घोषणा की गई। इसके तहत ऑनलाइन समाचार मंचों के लिए काम कर रहे पत्रकारों की मान्यता के लिए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने कहा कि समाचार एग्रीगेटर को मान्यता देने पर विचार नहीं किया जा रहा है।

इस नीति में कहा गया है कि यदि कोई पत्रकार ‘‘देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अन्य देशों के साथ मित्रवत संबंधों, जन व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के लिए प्रतिकूल काम करता है या अदालत की अवमानना करने, मानहानि या किसी अपराध के लिए उकसाने वाले तरीकों से काम करता है’’, तो उसकी मान्यता वापस ले ली जाएगी या निलंबित कर दी जाएगी।

यदि किसी पत्रकार या उसके मीडिया संस्थान को फर्जी दस्तावेज या गलत सूचना देते पाया जाता है, तो भी उसकी मान्यता कम से कम दो वर्ष और अधिकतम पांच साल के लिए निलंबित कर दी जाएगी।

इसके अलावा, मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों को सार्वजनिक / सोशल मीडिया प्रोफाइल, विजिटिंग कार्ड, पत्रों या किसी प्रपत्र या किसी भी प्रकाशित सामग्री पर ‘‘भारत सरकार से मान्यता प्राप्त’’ शब्दों का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

मंत्रालय प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के प्रधान महानिदेशक की अध्यक्षता में केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन समिति (सीएमएसी) का गठन कर रहा है और इसमें सरकार द्वारा नामित 25 सदस्य शामिल हैं। यह समिति अपनी पहली बैठक की तारीख से दो साल के लिए काम करेगी और पत्रकारों की मान्यता निलंबित करने की जिम्मेदारी संभालेगी।

सीएमएसी द्वारा नामित पांच सदस्यों वाली सीएमएसी की एक उप-समिति मान्यता देने संबंधी मामलों पर निर्णय करेगी। उप-समिति की अध्यक्षता भी पीआईबी के प्रधान महानिदेशक करेंगे।

ऑनलाइन समाचार मंचों के लिए नई नीति के तहत, मान्यता के लिए आवेदन करने वाले डिजिटल समाचार प्रकाशकों को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता), 2021 के नियम 18 के तहत सूचना और प्रसारण मंत्रालय को आवश्यक जानकारी प्रस्तुत करनी होगी और नियमों का उल्लंघन नहीं करना होगा। नीति के अनुसार, ऑनलाइन मंच एक साल से अधिक पुराना होना चाहिए और वेबसाइट का भारत में एक पंजीकृत कार्यालय होना चाहिए और दिल्ली या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उनके पत्रकार होने चाहिए।

यदि आवेदक द्वारा मुहैया कराई गई सूचना गलत पाई जाती है, तो वह मान्यता के लिए आगामी तीन साल तक आवेदन नहीं कर सकेगा।

यह सरकारी दिशा-निर्देश ऊपर से जितने अच्छे या ज़रूरी दिखते हैं, क्या वास्तव में भी ऐसा है? क्या यह मीडिया पर लगाम लगाने की एक और कोशिश नहीं है!

‘‘सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता’’ या ‘जन व्यवस्था’ जितने आवश्यक शब्द हैं, इन्हें लागू करने की नीति या प्रक्रिया उतनी ही ख़तरनाक भी हो सकती है। हाल के कई उदाहरण हमारे सामने हैं। जब यूएपीए और रासुका जैसे कानूनों का भी खुलेआम दुरुपयोग किया गया और अदालत की टिप्पणी के बाद भी ज़िम्मेदार व्यक्तियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा ‘ग्लोबल विलेज’ बनती इस दुनिया में किसी पत्रकार को एक देश-व्यवस्था के दायरे में बांधा जा सकता है? बांधा जाना चाहिए?

इसके अलावा इसी सब कवायद के बीच हम देख रहे हैं कि खुलेआम नफ़रत परोस रहे, फेक न्यूज़ चला रहे अख़बार-चैनलों या पत्रकारों पर कार्रवाई तो दूर उन्हें विज्ञापन या अन्य किसी माध्यम से लगातार प्रमोट किया जा रहा है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Media
Press freedom
Ministry of Information and Broadcasting
Ministry Press Information Bureau

Related Stories

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

आर्यन खान मामले में मीडिया ट्रायल का ज़िम्मेदार कौन?

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

धनकुबेरों के हाथों में अख़बार और टीवी चैनल, वैकल्पिक मीडिया का गला घोंटती सरकार! 

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन

भारत को मध्ययुग में ले जाने का राष्ट्रीय अभियान चल रहा है!

भारत में ‘वेंटिलेटर पर रखी प्रेस स्वतंत्रता’, क्या कहते हैं वैकल्पिक मीडिया के पत्रकार?

प्रेस स्वतंत्रता पर अंकुश को लेकर पश्चिम में भारत की छवि बिगड़ी

Press Freedom Index में 150वें नंबर पर भारत,अब तक का सबसे निचला स्तर


बाकी खबरें

  • अनिल अंशुमन
    झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 
    12 May 2022
    दो दिवसीय सम्मलेन के विभिन्न सत्रों में आयोजित हुए विमर्शों के माध्यम से कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध जन संस्कृति के हस्तक्षेप को कारगर व धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति व “अखड़ा-…
  • विजय विनीत
    अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद की शक्ल अख़्तियार करेगा बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा?
    12 May 2022
    वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने लगातार दो दिनों की बहस के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर नहीं बदले जाएंगे। उत्तर प्रदेश के…
  • राज वाल्मीकि
    #Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान
    12 May 2022
    सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन पिछले 35 सालों से मैला प्रथा उन्मूलन और सफ़ाई कर्मचारियों की सीवर-सेप्टिक टैंको में हो रही मौतों को रोकने और सफ़ाई कर्मचारियों की मुक्ति तथा पुनर्वास के मुहिम में लगा है। एक्शन-…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की
    12 May 2022
    अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी, जब वे क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक स्थित जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सेना द्वारा की जा रही छापेमारी की…
  • बी. सिवरामन
    श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?
    12 May 2022
    श्रीलंका में सेना की तैनाती के बावजूद 10 मई को कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 11 मई की सुबह भी संसद के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License