NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
ज्ञानवापी विवाद में नया मोड़, वादी राखी सिंह वापस लेने जा रही हैं केस, जानिए क्यों?  
राखी सिंह विश्व वैदिक सनातन संघ से जुड़ी हैं। वह अपनी याचिका वापस लेने की तैयारी में है। इसको लेकर उन्होंने अर्जी डाल दी है, जिसे लेकर हड़कंप है। इसके अलावा कमिश्नर बदलने की याचिका पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में आज सुनवाई हो रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
09 May 2022
Gyanvapi

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में जिस सर्वे को लेकर पिछले तीन दिनों से गहमागमी है उस मामले में अब नया मोड़ आ गया है। हिन्दुओं की ओर जिन पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दायर की थी उनमें से एक राखी सिंह ने 9 मई 2022 को अपना केस वापस लेने की अर्जी डाल दी है। जिसपर आज बहस है। राखी सिंह विश्व वैदिक सनातन संघ से जुड़ी हैं। वह अपनी याचिका वापस लेने की तैयारी में है, जिसे लेकर हड़कंप है। राखी सिंह के अलावा बाकी चार अन्य महिलाएं अभी तटस्थ हैं, लेकिन भविष्य में उनका फैसला क्या होगा, इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।

वाराणसी के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने श्रृंगार गौरी और अन्य विग्रहों की स्थिति को जानने के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की थी। शुक्रवार से से सर्वे का काम चल रहा था। हिन्दू समुदाय की राखी सिंह के अलावा सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक की याचिका पर वाराणसी के सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे का आदेश दिया है। ये सभी महिलाएं दिल्ली की हैं।

18 अगस्त 2021 को संयुक्त रूप से सिविल जज की अदालत में याचिका दायर की थी और मांग की थी कि काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी परिसर में स्थित गौरी और विग्रहों को 1991 की स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए। साथ ही आदि विश्वेश्वर परिवार के विग्रहों की यथास्थिति रखी जाए। राखी सिंह के केस वापस लेने के फैसले की वजह क्या है, इस बारे में स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है।

तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच में 8 मई को विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन ने ऐलान किया कि मंदिर पक्ष की ओर से मामले पर दी गई याचिका वापस लेंगे। 7 मई को जब सर्वे का काम हो रहा था, तभी वैदिक सनातन संघ ने अपनी लीगल टीम को भंग करने का ऐलान कर दिया था। खबर है कि इस मामले में वैदिक सनातन संघ को कोई तवज्जो नहीं दे रहा है, जिसके चलते उन्होंने याचिका को वापस लेने का मन बनाया है। हालांकि चर्चा यह भी है कि वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारियों पर केंद्र का दबाव है। ज्ञानवापी को लेकर वितंडा खड़ा किए जाने से विश्व में मोदी सरकार की साख पर बट्टा लग रहा है।

विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन ने शनिवार दोपहर को अचानक एक पत्र जारी करके अपनी लीगल टीम को भंग कर दिया था। सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करने वाली सीता साहू कहती हैं कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि वैदिक सनातन संघ मुकदमा वापस लेने जा रहा है। अगर कोई ऐसा निर्णय लिया जाता है तो वह उस फैसले को नहीं मानेंगी और मुकदमा लड़ती रहेंगी।

ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में वाराणसी के सिविल जज की अदालत के अलावा हाईकोर्ट में भी मामला विचाराधीन है। प्रतिवादी पक्ष इस दावे पर अड़ा हुआ है कि विवादित जगह पर हमेशा से मस्जिद ही थी, जबकि वादी पक्ष का दावा है कि करीब चार सौ साल पहले मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद का निर्माण कराया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट को यह तय करना है कि वाराणसी की अदालत उस मुकदमे की सुनवाई कर सकती है या नहीं, जिसमें 31 साल पहले यह मांग की गई थी कि विवादित जगह हिन्दुओं को सौंपकर उन्हें वहां पूजा-पाठ की इजाजत दी जाए।

छह मई से ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान राखी सिंह को छोड़कर सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी सभी महिलाएं मौजूद थी। तभी से कयास लगाया जा रहा था कि वादी टीम के सदस्यों के बीच गंभीर मतभेद उभरे हैं। राखी सिंह जितेंद्र सिंह बिसेन की रिश्तेदार हैं। राखी सिंह के नेतृत्व में ही इन सभी महिलाओ ने याचिका दी थी। राखी सिंह ही इस मामले में मुख्य वादी हैं। मामला राखी सिंह बनाम राज्य सरकार दाखिल किया गया था जिसके साथ अन्य महिलाएं थी। मुकदमा संख्या सिविल जज सीनियर डिवीजन के अदालत में दाखिल किया गया था। मुकदमा संख्या 693 है जिसमे प्रमुख प्रतिवादी राज्य सरकार को बनाया गया था। कानूनी पेचीदगियों के चलते यह मामला बुरी तरह उलझता जा रहा है।

ज्ञानवापी विवाद में हाईकोर्ट में मुकदमों की अगली सुनवाई दस मई को होनी है। हाईकोर्ट को यह फैसला सुनाना है कि इकतीस बरस पहले साल 1991 में दाखिल किए गए मुकदमें की सुनवाई बनारस में हो सकती है अथवा नहीं? 

उधर कमिश्नर बदलने की याचिका पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में आज सुनवाई होनी है।

इसे पढ़ें: ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: कमिश्नर बदलने की याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित, अगली सुनवाई 9 को

दरअसल, एक बीघा नौ बिस्वा और छह धुर जमीन के इस विवाद में जहां हिन्दू पक्षकार विवादित जगह हिन्दुओं को देकर वहां पूजा करने की इजाजत दिए जाने की मांग कर रहे हैं तो वहीं मुस्लिम पक्ष 1991 के वर्शिप एक्ट का हवाला देकर मुकदमे के दाखिले को ही गलत बता रहा हैं। हिन्दू पक्ष सर्वेक्षण के जरिए अपनी दलीलों का आधार खोजने की बात कर रहा है तो मुस्लिम पक्ष का दावा है कि अगर 15 अगस्त 1947 को यहां मस्जिद मानी गई है तो अब भी उसे मस्जिद ही रहने दिया जाए। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच में चल रही है।

इसे भी पढ़ें—अब विवाद और तनाव का नया केंद्र ज्ञानवापी: कोर्ट कमिश्नर के नेतृत्व में मस्जिद का सर्वे और वीडियोग्राफी शुरू, आरएएफ तैनात

UttarPradesh
banaras
Gyanvapi mosque
Gyanvapi Masjid
Gyanvapi mosque complex
kashi vishwnath corridor
Gyanvapi controversy
Rakhi Singh

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया

ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार

ज्ञानवापी विवाद पर मस्जिद कमेटी के वकील अभय नाथ यादव से खास बातचीत

ज्ञानवापी केसः वाराणसी ज़िला अदालत में शोर-शराबे के बीच हुई बहस, सुनवाई 4 जुलाई तक टली

ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License