NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नीतीश बनाम भाजपा: बिहार के राजग सरकार के भीतर शक्ति संघर्ष से कैबिनेट विस्तार में देरी
सत्ता में आने के एक महीने बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अपनी बेबसी ज़ाहिर कर दी है। कई लोगों का कहना है कि यह देरी जद-यू की तरफ़ से बीजेपी के बराबर की हिस्सेदारी की मांग के चलते हो रही है।
मोहम्मद इमरान खान
17 Dec 2020
नीतीश बनाम भाजपा
प्रतीकात्मक फ़ोटो

पटना: बिहार में नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(NDA) सरकार के भीतर सब ठीक ठाक नहीं चल रहा है। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के एक महीने पूरे होने के बाद नीतीश की प्रमुख सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने कई बार ख़राब क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाये हैं।

कई भाजपा नेताओं ने सार्वजनिक रूप से यह साफ़-साफ़ कहा है कि बढ़ते अपराध को रोकने में नाकामी उस नीतीश की ही ज़िम्मेदारी है,जिन्होंने 16 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके अलावा, बिहार के राजस्व मंत्री और भाजपा नेता राम सूरत राय ने भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस के नीतीश के दावे पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त था।

भाजपा के एक अन्य मंत्री ने दावा किया कि चिराग़ पासवान की लोक जन शक्ति पार्टी (LJP) एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी। ये तमाम बयान पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाने को लेकर एलजेपी को बाहर करने की नीतीश की जनता दल-यूनाइटेड (JD-U) की मांग के साथ सीधे-सीधे संघर्ष को दिखाते हैं।

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री कार्यालय में अपने एक महीने पूरे होने की पूर्व संध्या पर नीतीश ने प्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार को लेकर अपनी पूरी बेबसी ज़ाहिर कर दी है। उन्होंने कहा है कि चूंकि मंत्रिमंडल के विस्तार का कोई भी प्रस्ताव भाजपा की ओर से नहीं आया है, इसलिए इस समय नये मंत्रियों को शामिल करने की कोई गुंज़ाइश नहीं है। कैबिनेट विस्तार में देरी को लेकर मीडियाकर्मियों की तरफ़ से पूछे जाने के सवाल पर नीतीश ने मंगलवार को कहा, “जब भाजपा को मंत्रिमंडल विस्तार की ज़रूरत महसूस होगी, तब हम इस पर एक संयुक्त रूप से चर्चा करेंगे। अब तक इस सिलसिले में भाजपा की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया है।”

राजनीतिक जानकारों ने कभी मुखर और ताक़तवर मुख्यमंत्री के तौर पर जाने जाते रहे नीतीश के इस तरह से खुले तौर पर अपनी कमजोरी के उजागर किये जाने पर हैरत जतायी है। वह आसानी से इस सवाल को टाल सकते थे, लेकिन कारण चाहे जो भी हो, उन्होंने इस सवाल पर बोलना मुनासिब समझा।

राजनीतिक पर नज़र रखने वाले सत्यनारायण मदान ने कहा,“नीतीश अब एक बेबस मुख्यमंत्री हैं। वह अपने दम पर कोई भी फ़ैसला उस तरह से लेने की हालत में नहीं रह गये है,जैसा कि वह पहले लिया करते थे। हालांकि बीजेपी तब भी उनका सत्तारूढ़ सहयोगी थी। लेकिन, इस बार हालात बदल गये हैं- नीतीश मुख्यमंत्री भले ही हों, लेकिन राजनीति और सरकार उनके नियंत्रण में नहीं रह गये हैं,क्योंकि भाजपा बड़े भाई की भूमिका में है। जहां तक सत्तारूढ़ भाजपा और जद-यू के रिश्ते की बात है, तो यह राज्य की राजनीति में दोनों की भूमिका के बदल जाने का एक क्लासिक मामला है।”

नीतीश के क़रीबी जद-यू के वरिष्ठ नेताओं की मंत्रिमंडल में गुंज़ाइश बनाने के ख़्याल से मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद नवंबर के आख़िरी सप्ताह में ही जतायी गयी थी और बाद में कहा गया था कि यह विस्तार 14 दिसंबर से पहले हो जायेगा, क्योंकि एक महीने तक चलने वाला खरमास (अशुभ हिंदू महीना) 15 दिसंबर से शुरू होता है। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

पटना में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक़, भाजपा के 73 विधायकों के मुक़ाबले महज़ 43 विधायक होने के बावजूद जेडी-यू के लिए नीतीश मंत्रिमंडल में अपनी 50% की भागीदारी पर अड़े हए हैं। उस नेता ने बताया,  “पार्टी (बीजेपी) कैबिनेट में जद-यू को बराबर की हिस्सेदारी देने के लिए तैयार नहीं है। भाजपा अपने विधायक संख्या के मुताबिक़ ज़्यादा हिस्सेदारी चाहती है। अतीत के उलट, बीजेपी नीतीश के लिए छोटे भाई की भूमिका निभाने के मूड में नहीं है। इसी बात को लेकर चल रहा विवाद मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की वजह है।”

हमेशा मुखर रहने वाले एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि भगवा पार्टी अब दूसरी पंक्ति या जूनियर पार्टनर नहीं है, वास्तव में यह बिहार में चार-दलीय एनडीए में सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है। उन्होंने कहा,“हम राज्य में सबसे सीनियर साझेदार हैं और नीतीश को कोई खुला हाथ नहीं देंगे। उन्हें हमारे फ़ैसले के साथ होना होगा,क्योंकि अतीत में बीजेपी उनके फ़ैसले के साथ चलती थी। लेकिन,अब समय बदल गया है।"

बिहार के सत्तारूढ़ एनडीए में भाजपा, जेडी-यू, विकासशील इन्सान पार्टी (VIP) और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) शामिल हैं। वीआईपी और एचएएम,दोनों के पास चार-चार विधायक हैं।

इस समय,राज्य मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के दो उप-मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, जद (यू) के कुल पांच मंत्री हैं और भाजपा के सात,वीआईपी और एचएएम के एक-एक मंत्री हैं।

अब जेडी-यू नेताओं ने कहा है कि 14 जनवरी को खरमास समाप्त होने के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और एनडीए के भीतर ज़्यादा आंतरिक संघर्ष की आशंका जतायी जा रही है।

राजनीतिक पर्यवेक्षक,सोरूर अहमद ने कहा, “सीनियर और जूनियर(भाजपा और जेडी-यू) दोनों ही साझेदार आने वाले दिनों में एक-दूसरे पर वर्चस्व हासिल करने को लेकर खेले जाने वाले खेल में एक-दूसरे के साथ सौदेबाजी करेंगे। आने वाले दिनों में एनडीए के भीतर कई नये मोड़ देखे सकते हैं।”

हर दिन की रिपोर्ट में हत्या,बलात्कार, फ़िरौती के लिए अपहरण, लूट, डकैती और शराबबंदी वाले इस बिहार में शराब माफ़िया के बढ़ते दबदबे जैसे अपराध में तेज़ी को देखते हुए नीतीश ने पिछले सप्ताह क़ानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की थी।
यह समीक्षा एक पखवाड़े में तीसरी बार की गयी थी। कुमार ने ज़ोर देकर कहा कि क़ानून और व्यवस्था को बनाये रखना राज्य सरकार की मुख्य प्राथमिकता है और उन्होंने पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को इन बढ़ते अपराधों पर नकेल कसने और अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

हालांकि विपक्षी दल नीतीश के इस आश्वासन से सहमत नहीं थे और अपराधों की ख़बरें लगातार सामने आती रही हैं, सांसदों और विधायकों सहित भाजपा के नेताओं ने ख़राब क़ानून व्यवस्था को लेकर अपनी ही सरकार पर प्रहार किया है। यह उस नीतीश के लिए बहुत शर्मनाक है,जो इससे पहले यह दावा करने से शायद ही चूकते रहे थे कि उन्होंने राज्य में क़ानून का शासन स्थापित किया है।

बिहार के विपक्षी नेता,तेजस्वी यादव ने बुधवार को नीतीश को याद दिलाया कि उनके सहयोगी भाजपा नेता ही राज्य सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रहे हैं,जिसमें कहा जा रहा है कि क़ानून और व्यवस्था के मोर्चे पर यह सरकार नाकाम है।

सासाराम लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद छेदी पासवान ने दो दिन पहले अपराधियों द्वारा एक पेट्रोल पंप के मालिक की दिनदहाड़े हत्या के बाद रोहतास पुलिस अधीक्षक की सीधे-सीधे आलोचना की थी। पासवान ने कहा था कि रोहतास ज़िले में पूरी तरह अराजकता है,अपराधी खुलेआम अपराध को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस उन्हें रोकने में असमर्थ है।

पिछले हफ़्ते भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल,जो पार्टी के सांसद भी हैं, और भाजपा के दरभंगा से विधायक संजय सरावगी,दोनों ही ने अपराधों में बढ़ोत्तरी और पुलिस की नाकामी पर सवाल उठाये थे।

दिलचस्प बात तो यह है कि गृह विभाग नीतीश के ही पास है,जिसके तहत पुलिस आती है। ये सभी बातें इसलिए भी अहम हैं,क्योंकि "क़ानून का शासन" नीतीश के शासन के दावे का मुख्य बिन्दु रहा है,क्योंकि नीतीश अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख,लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ इसी हथियार का इस्तेमाल करते हुए नवंबर 2005 में सत्ता में आये थे। जेडी-यू प्रमुख बिहार में 1990 से 2005 तक के लालू के शासन काल के दौरान "जंगल राज" के लिए राजद प्रमुख को बार-बार दोषी ठहराते रहे हैं।

राजग के भीतर चल रहे तमाम अंतर्विरोधों पर कटाक्ष करते हुए राजद नेता,भाई वीरेंद्र ने नीतीश को तेजस्वी यादव के लिए अपनी कुर्सी ख़ाली कर देने की सलाह दी है, क्योंकि जद-यू प्रमुख भाजपा की गंदी चालबाज़ी के चलते परेशानी में हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश जी को तेजस्वी के हक़ में कुर्सी छोड़कर बीजेपी से छुटकारा पाने के लिए आगे आना चाहिए,क्योंकि जनादेश उनके(तेजस्वी के) ही लिए था।

राजद के वरिष्ठ नेता वीरेंद्र को पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद का क़रीबी माना जाता है। उन्होंने इस बात का संकेत दिया है कि विपक्ष सत्तारूढ़ एनडीए के किसी भी मतभेद का फ़ायदा उठाने पर नज़र रखे हुए है। तेजस्वी उस महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे,जिसमें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल थे।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Nitish Vs BJP: Conflict Within Bihar’s NDA Govt; Power Struggle Delays Cabinet Expansion

BIHAR POLITICS
Nitish Kumar
Ram Surat Rai
Tejashwi Yadav
JDU BJP Fight
RJD
Crime in Bihar
Bihar Cabinet Expansion

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : सरकारी प्राइमरी स्कूलों के 1.10 करोड़ बच्चों के पास किताबें नहीं

सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी

बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर

तेजप्रताप यादव की “स्टाइल ऑफ पॉलिटिक्स” महज मज़ाक नहीं...

बिहारः मुज़फ़्फ़रपुर में अब डायरिया से 300 से अधिक बच्चे बीमार, शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती

कहीं 'खुल' तो नहीं गया बिहार का डबल इंजन...


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    विश्व आर्थिक मंच पर पेश की गई ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौर में फूड फ़ार्मा ऑयल और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने जमकर कमाई की।
  • परमजीत सिंह जज
    ‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप
    26 May 2022
    पंजाब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब की गिरती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना है, और भ्रष्टाचार की बड़ी मछलियों को पकड़ना अभी बाक़ी है, लेकिन पार्टी के ताज़ा क़दम ने सनसनी मचा दी है।
  • virus
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या मंकी पॉक्स का इलाज संभव है?
    25 May 2022
    अफ्रीका के बाद यूरोपीय देशों में इन दिनों मंकी पॉक्स का फैलना जारी है, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मामले मिलने के बाद कई देशों की सरकार अलर्ट हो गई है। वहीं भारत की सरकार ने भी सख्ती बरतनी शुरु कर दी है…
  • भाषा
    आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद
    25 May 2022
    विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    "हसदेव अरण्य स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल"
    25 May 2022
    हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने जंगल, जीवन, आजीविका और पहचान को बचाने के लिए एक दशक से कर रहे हैं सघंर्ष, दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License