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भारत
राजनीति
दिल्ली दंगे को उकसाने में नेताओं की भूमिका का कोई सबूत नहीं: दिल्ली पुलिस
उच्च न्यायालय में पुलिस का बयान उन याचिकाओं के जवाब में आया है जिनमें आरोप लगाये गये थे कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा समेत भाजपा नेताओं ने नफ़रत भरे भाषण दिये थे जिससे हिंसा भड़की।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
14 Jul 2020
दिल्ली दंगे

नयी दिल्ली: दिल्ली दंगों में एक तरफ़ जहां छात्र, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर जेल भेजा जा रहा है, वहीं बड़े राजनीतिक दलों ख़ासकर बीजेपी के नेताओं के ख़िलाफ़ पुलिस को कोई सुबूत नहीं मिले हैं।

समाचार एजेंसी भाषा की ख़बर के अनुसार दिल्ली पुलिस ने सोमवार को उच्च न्यायालय से कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच में अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे पता चलता हो कि राजनीतिक नेताओं ने हिंसा को उकसाया या उसमें हिस्सा लिया। इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की जान चली गयी थी।

उच्च न्यायालय में पुलिस का बयान उन याचिकाओं के जवाब में आया है जिनमें आरोप लगाये गये थे कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा समेत भाजपा नेताओं ने नफरत भरे भाषण दिये थे जिससे हिंसा भड़की।

एक अन्य अर्जी में आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कांग्रेस नेताओं तथा मनीष सिसोदिया, अमानतुल्ला खान जैसे आप नेताओं तथा एआईएमआईएम विधायक वारिस पठान ने भी घृणाभरे भाषण दिये थे।

इन अर्जियों पर जवाब में पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘ यह स्पष्ट किया जाता है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे से जुड़े उपरोक्त सभी मामलों में अब तक की जांच में ऐसा कोई कार्रवाई योग्य सबूत सामने नहीं आया है जो रिट याचिकाओं में उल्लेखित व्यक्तियों की दंगा भड़काने या उसमें हिस्सा लेने में उनकी भूमिका का संकेत करता है।’’

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के सामने यह हलफनामा दिया गया। इस पर आगे सुनवाई 21 जुलाई को होगी।

आपको बता दें कि दिल्ली दंगों के मामलों में अभी तक बड़ी संख्या में लोगों को दंगा भड़काने, साज़िश रचने, उकसावे की कार्रवाई इत्यादि के आरोप में जेल भेजा चुका है। इनमें जामिया मिल्लिया के छात्र, पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता, और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी शामिल हैं।

इसे पढ़ें : दिल्ली दंगे : चार्जशीट के मुताबिक़, सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने ‘प्रतिशोधी’ कार्रवाई को भड़काया

आपको मालूम है कि इन्हीं आरोपो में जामिया मिलिया इस्लामिया की शोध छात्रा और जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) की सदस्य गर्भवती सफ़ूरा ज़रगर को यूएपीए के तहत गिरफ़्तार कर जेल भेजा गया था। अब काफ़ी जद्दोजहद के बाद मानवीय आधार पर 23 जून को उनको दिल्ली हाईकोर्ट से ज़मानत मिली है।  

इसे भी पढ़ें : लंबे संघर्ष के बाद सफ़ूरा ज़रगर को मिली ज़मानत

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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