NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अदालत का जीएनसीटीडी संशोधित कानून रद्द करने के लिये दायर जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस
जीएनसीटीडी संशोधित कानून को रद्द करने के लिये दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को केंद्र से जवाब मांगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट/भाषा
04 May 2021
अदालत

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ाने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) संशोधित कानून को रद्द करने के लिये दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को केंद्र से जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कानून और गृह मंत्रालयों को इस याचिका पर नोटिस जारी किये।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा और केंद्र सरकार के स्थायी वकील अजय दिग्पॉल ने मंत्रालयों की ओर से नोटिस को स्वीकार किये।

कानून के छात्र श्रीकांत प्रसाद द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि 27 अप्रैल को लागू हुए कानून में ‘‘दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल के तौर पर पुन: परिभाषित किया गया है’’ और दिल्ली विधानसभा की सदन चलाने की शक्तियों में कटौती की गई है।

याचिका में दावा किया गया है, ‘‘इस कानून में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के फैसलों पर कोई भी कार्यकारी कार्रवाई करने से पहले उपराज्यपाल की राय लेनी होगी।’’

प्रसाद ने दलील दी कि इस कानून के प्रावधान उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार की शक्तियों पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के विरोधाभासी हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि उपराज्यपाल भूमि, पुलिस और जन आदेश के मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में मंत्री परिषद की सलाह मानने को बाध्य होंगे।

प्रसाद ने अदालत में कहा कि इस कानून से दिल्ली के नागरिकों की परेशानियां बढ़ने जा रही है जो पहले ही कोविड-19 महामारी और ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं और बिस्तरों की कमी से संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि संशोधित कानून के प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 239एए और विभिन्न मौलिक अधिकारों के भी विरोधाभासी हैं।

पूर्व नौकरशाहों ने भी इस संसोधन का विरोध किया था ?
 
जीएनसीटीडी (संशोधन) कानून के प्रावधान न सिर्फ दिल्ली में शासन को पंगु बना देंगे बल्कि इसका देश में संघीय शासन चलाये जाने पर भी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। 76 पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने संयुक्त बयान जारी कर 9 अप्रैल शुक्रवार को यह बात कही थी ।

बयान में कहा गया कि यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण हैं और कानून के लिहाज से भी बुरा है। बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, योजना आयोग के पूर्व सचिव एन सी सक्सेना, पूर्व आईएएस अधिकारी अरुणा रॉय और कृषि विभाग के पूर्व सचिव सिराज हुसैन भी शामिल हैं।

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) कानून, 2021 निर्वाचित सरकार पर दिल्ली के उप राज्यपाल को सर्वोच्चता देते है। कानून के मुताबिक दिल्ली में “सरकार” का मतलब “उप राज्यपाल” है।

बयान में कहा गया, “कानून की धारा 44 अब कहती है कि कार्यपालिका संबंधी कोई भी कार्रवाई करने से पहले निर्वाचित सरकार को उप राज्यपाल की पूर्व अनुमति लेनी होगी। यह बात उन मामलों में भी लागू होगी, जहां विधानसभा को कानून बनाने का अधिकार है। यह उच्चतम न्यायालय के फैसलों के सीधे विरूद्ध है….।”

इसमें कहा गया कि दिल्ली विधानसभा की शक्तियों में कटौती कर और निर्वाचित सरकार की कार्यकारी शक्तियों को उप राज्यपाल में निहित कर, संसद ने संविधान में संशोधन के बिना ही, महज जीएनसीटीडी अधिनियम में संशोधन के जरिये, अनुच्छेद 239 एए के प्रावधानों को नकार दिया है।

संविधान के अनुच्छेद 239एए में कहा गया है कि उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख होंगे और जिन मामलों पर विधानसभा को कानून बनाने का अधिकार है, उन पर वह मंत्री परिषद की सलाह मानेंगे।  

Delhi High court
GNCTD
GNCTD 2021 bill
Modi Govt

Related Stories

दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

बग्गा मामला: उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से पंजाब पुलिस की याचिका पर जवाब मांगा

मोदी सरकार 'पंचतीर्थ' के बहाने अंबेडकर की विचारधारा पर हमला कर रही है

लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?
    31 May 2022
    बीते विधानसभा चुनाव में इन दोनों जगहों से सपा को जीत मिली थी, लेकिन लोकसभा उपचुनाव में ये आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है तो वहीं मुख्य…
  • Himachal
    टिकेंदर सिंह पंवार
    हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 
    31 May 2022
    केंद्र को यह समझना चाहिए कि हाती कोई सजातीय समूह नहीं है। इसमें कई जातिगत उपसमूह भी शामिल हैं। जनजातीय दर्जा, काग़जों पर इनके अंतर को खत्म करता नज़र आएगा, लेकिन वास्तविकता में यह जातिगत पदानुक्रम को…
  • रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान
    31 May 2022
    हाई-प्रोफाइल बिप्लब कुमार देब को पद से अपदस्थ कर, भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व ने नए सीएम के तौर पर पूर्व-कांग्रेसी, प्रोफेसर और दंत चिकित्सक माणिक साहा को चुना है। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा
    31 May 2022
    “राज्य की शिक्षा, संस्कृति तथा राजनीतिक परिदृ्श्य का दमन और हालिया असंवैधानिक हमलों ने हम लोगों को चिंता में डाल दिया है।"
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?
    31 May 2022
    न्यूज़चक्र के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं उमर खालिद के केस की। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि उमर खालिद का भाषण अनुचित था, लेकिन यह यह आतंकवादी कृत्य नहीं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License