NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
लॉकडाउन का एक महीना: संक्रमण पर रोक और कृषि व कारोबार को रफ़्तार देना है चुनौती
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन का एक महीना पूरा हो गया है। इस एक महीने में हम संक्रमण को पूरी तरह से रोक नहीं पाए हैं, बस हालात को बेकाबू होने से बचा लिया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 Apr 2020
lockdown
Image courtesy: DW

कोरोना से लड़ाई में लॉकडाउन की बड़ी भूमिका है। देश में लॉकडाउन के लागू होने का एक महीना पूरा हो गया है। अगर इस एक महीने पर निगाह डालें तो कुछ बेहतर बातें भी हुई हैं तो वहीं बहुत सारी ऐसी भी घटनाएं हुई हैं जो निंदनीय हैं। हालांकि इससे इतर एक महीने में हम संक्रमण को रोक नहीं पाए हैं, बस उसकी रफ्तार को घटाने में सफल रहे हैं। इसके चलते हालात बेकाबू नहीं हुए हैं लेकिन इसी के साथ ही तमाम तरह की चुनौतियां लोगों और सरकार के सामने मुंह बाए खड़ी हैं।

सबसे पहले इस एक महीने के दौरान कई जगह बेवजह की अफरातफरी दिखी। प्रवासी मजदूरों का बड़ी संख्या में पलायन हुआ। कई जगहों पर अनुशासनहीनता भी दिखी। कुछ हिंसा की घटनाएं हुईं। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले हुए। सोशल मीडिया पर नफरती संदेशों की बाढ़ आ गई। कई जगहों पर पुलिसिया अत्याचार की घटनाएं सामने आईं। राज्य और केंद्र सरकारों के तंत्र की विफलता भी साफ साफ नजर आई।  

दूसरी ओर लॉकडाउन के लागू किए जाने का परिणाम यह सामने आया कि हमने कोरोना संक्रमण के दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ने की रफ्तार पर रोक लगा दी। ऐसे समय में जब यूरोप और अमेरिका के विकसित देश इस वायरस से बेहाल नजर आ रहे हैं तो उनके मुकाबले हमारे देश में हालात नियंत्रण में है।

लॉकडाउन का दूसरा दौर अब भी जारी है। अगले कुछ दिनों में यह भी समाप्त हो जाएगा। फिर शायद सरकार के लिए पूर्ण लॉकडाउन को पूरे देश में लागू किया जाना संभव भी न रहे। साथ ही यह खतरा टल जाएगा इसकी संभावना भी नजर नहीं आ रही है। ऐसे में सरकार के सामने अब ढेरों चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं।

यह बात अब बिल्कुल साफ हो गई है कि सिर्फ लॉकडाउन से इस वायरस पर जीत हासिल नहीं की जा सकती है। इसके लिए एकमात्र विकल्प है ज्यादा से ज्यादा लोगों का टेस्ट किया जाय। सरकार द्वारा टेस्ट करने की रफ्तार में इजाफा किया गया है लेकिन देश की जनसंख्या को देखते हुए यह बहुत कम लगता है। ऐसे में सरकार के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती ज्यादा से ज्यादा लोगों के टेस्ट की है।

इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोग लॉकडाउन के चलते फंसे हुए हैं। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, गैरसरकारी और धार्मिक संस्थाओं के मदद के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है। साथ ही बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर घर जाने को लेकर बेकरार है। ऐसे में सबको भोजन मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

इसके अलावा लॉकडाउन को अंतहीन समय तक लागू करके नहीं रखा जा सकता है। सरकार को इसमें छूट देनी पड़ेगी। सबसे पहले कारोबारी गतिविधियों को शुरू कराना होना। भले ही यह सीमित दायरे में हो। अर्थव्यवस्था को दोबारा रफ्तार देने के लिए यह बहुत ही जरूरी है। ऐसे में देश में आर्थिक गतिविधियां शुरू हों यह सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।

इसी तरह इस साल रबी फसल के रिकॉर्ड उत्पादन की संभावना है लेकिन भविष्य फिर भी अनिश्वित नजर आ रहा है। क्योंकि फसल कटाई और खेतों तथा बाजार में उनके प्रबंधन के लिए मशीन और श्रमिक अब भी कम है। सरकार ने कृषि क्षेत्र को लॉकडाउन के दौरान भी पर्याप्त ढील दी है लेकिन हालात अब भी सामान्य नहीं हो पाए हैं। ऐसे में अगले एक दो महीने में खरीफ की फसल की तैयारी भी किसानों को करनी है। देश की जनता को कम से कम भोजन की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए सरकार को इस क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

सरकार द्वारा इस साल बड़ी मात्रा में अनाज खरीद इसलिए भी आवश्यक है ताकि वह किसानों को बिचौलियों के उत्पीड़न से बचा पाए और उन्हें उपज के लिए कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पाए। साथ ही बड़ी संख्या में लॉकडाउन से प्रभावित हुए लोगों को पर्याप्त खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकारी गोदाम भरे रहें।

फिलहाल सरकार की अब भी पहली प्राथमिकता संक्रमण के प्रसार को रोकना है लेकिन उसके चलते बाकी चुनौतियां से मुंह मोड़ लेना फायदे का सौदा नहीं है। केंद्र और राज्यों की सरकारों को परस्पर समन्वय से इस लड़ाई में जीत हासिल करना होगा।

Coronavirus
Lockdown
India Lockdown
One Month of Lockdown
Narendra modi
economic crises
Hunger Crisis
poverty
migrants
migration

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़


बाकी खबरें

  • language
    न्यूज़क्लिक टीम
    बहुभाषी भारत में केवल एक राष्ट्र भाषा नहीं हो सकती
    05 May 2022
    क्या हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना चाहिए? भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष से लेकर अब तक हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की जद्दोजहद कैसी रही है? अगर हिंदी राष्ट्रभाषा के तौर पर नहीं बनेगी तो अंग्रेजी का…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    "राजनीतिक रोटी" सेकने के लिए लाउडस्पीकर को बनाया जा रहा मुद्दा?
    05 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार सवाल उठा रहे हैं कि देश में बढ़ते साम्प्रदायिकता से आखिर फ़ायदा किसका हो रहा है।
  • चमन लाल
    भगत सिंह पर लिखी नई पुस्तक औपनिवेशिक भारत में बर्तानवी कानून के शासन को झूठा करार देती है 
    05 May 2022
    द एग्ज़िक्युशन ऑफ़ भगत सिंह: लीगल हेरेसीज़ ऑफ़ द राज में महान स्वतंत्रता सेनानी के झूठे मुकदमे का पर्दाफ़ाश किया गया है। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    गर्भपात प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट के लीक हुए ड्राफ़्ट से अमेरिका में आया भूचाल
    05 May 2022
    राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अगर गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाला फ़ैसला आता है, तो एक ही जेंडर में शादी करने जैसे दूसरे अधिकार भी ख़तरे में पड़ सकते हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    अंकुश के बावजूद ओजोन-नष्ट करने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वायुमंडल में वृद्धि
    05 May 2022
    हाल के एक आकलन में कहा गया है कि 2017 और 2021 की अवधि के बीच हर साल एचसीएफसी-141बी का उत्सर्जन बढ़ा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License