NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
शिक्षा
भारत
राजनीति
उत्तराखंड में ऑनलाइन शिक्षा: डिजिटल डिवाइड की समस्या से जूझते गरीब बच्चे, कैसे कर पाएंगे बराबरी?
उत्तराखंड राज्य, जहां का अधिकांश हिस्सा पहाड़ी होने के कारण मोबाइल नेटवर्क की समस्या हमेशा बनी रहती है, क्या ऐसे पहाड़ी क्षेत्रों में रह रहे लाखों छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा एक बेहतर विकल्प हो सकता है?
सत्यम कुमार
10 Jan 2022
 Online education in Uttarakhand
लक्ष्मण भारती इंटर कॉलेज देहरादून में समान सुविधाओं के साथ क्लास लेते छात्र  फोटो -शैलेन्द्र परमार 

“हमारे गांव में अगर किसी को फ़ोन से बात करनी होती है तो उस को 4 से 5 किमी ऊपर पहाड़ पर जाना पड़ता है, लॉकडाउन के समय में भी बच्चों को या उनके माता पिता को, अध्ययन सामग्री डाउनलोड करने के लिए 4 से 5 किमी पैदल चलकर ऊपर पहाड़ पर जाना होता था ताकि नेटवर्क मिल पाए “

देश भर में कोरोना की संभावित तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है, यदि कोरोना की पहली और दूसरी लहर की तरह कोरोना की तीसरी लहर भी अपना भयावह रूप दिखाती है और प्रशासन जनता की सुरक्षा के लिए फिर से लॉकडाउन लगाता है तो राज्य में आम जनता के साथ- साथ छात्रों पर भी इसका असर साफ दिखाई देगा। मार्च 2020 में आयी कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गये लॉकडाउन में हमे पढाई के लिए ऑनलाइन क्लास के रूप में एक नया विकल्प दिया गया, जिस में छात्र घर पर ही पढ़ाई कर सकता है, जिसके लिए विद्यार्थी के पास एक स्मार्ट फोन या लैपटॉप होने के साथ-साथ एक अच्छे नेट कनेक्शन की सुविधा आवश्यक है। लेकिन यहाँ सवाल है कि क्या उत्तराखंड राज्य, जहां का अधिकांश हिस्सा पहाड़ी होने के कारण खराब मोबाइल नेटवर्क की समस्या हमेशा बनी रहती है, आज भी लोगो को फ़ोन से बात करने के लिए मोबाइल नेटवर्क की तलाश में कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है, क्या ऐसे में राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में रह रहे लाखों छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा एक बेहतर विकल्प हो सकता है? जबकि ऑनलाइन क्लास के लिए पहली शर्त ही अच्छी मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी है

उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में ऑनलाइन शिक्षा

उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में देवाल ब्लॉक के घेस्ट गांव के रहने वाले समाज सेवी राकेश बिष्ट बताते है कि हमारे गांव में मोबाइल नेटवर्क की समस्या लगातार बनी रहती है, जिसके चलते लॉकडाउन के समय में गांव में रहने वाले बच्चों को ऑनलाइन क्लास लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, हालात यह थे कि छात्रों को अध्ययन सामग्री डाउनलोड करने के लिए 4 से 5 किमी पैदल चलकर ऊपर पहाड़ पर जाना होता था क्योंकि हमारे गांव में यही एक स्थान है जहां मोबाइल नेटवर्क मिल जाता है, यहाँ मोबाइल नेटवर्क के मिलने की सम्भावना तो होती थी लेकिन साथ ही यहां पर जंगली जानवरों के हमले का ख़तरा लगातार बना रहता था। गांव में नेटवर्क की समस्या होने के साथ-साथ गांव में कुछ ऐसे छात्र भी हैं जिनके घर पर स्मार्ट फ़ोन नहीं है या यदि है तो उस का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं कुछ छात्र तो ऐसे भी थे जो मोबाइल में रिचार्ज ना होने के कारण भी इसका इस्तेमाल ऑनलाइन क्लास के लिए नहीं कर पाते थे।

चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लॉक में राजकीय इंटर कॉलेज भगवती में पढ़ने वाली कक्षा 12 की छात्रा दिया नेगी बताती हैं कि हमारे यहाँ नेटवर्क की समस्या होती है जिस कारण वीडियो कॉल के माध्यम से पढ़ाई तो नहीं हो पाती थी लेकिन हम को व्हाट्सएप पर टीचर द्वारा मैसेज करके बताया जाता था कि किस विषय से हम को क्या प्रश्न करना है और हम किताब के माध्यम से प्रश्नों के उत्तर लिख कर, सर को वापिस मैसेज कर देते थे।

दिया नेगी आगे बताती है हैं कि उनके साथ पढ़ने वाले उनके दोस्तों में ऐसे बहुत से छात्र हैं जिनके गांव में मोबाइल नेटवर्क ही नहीं है कुछ छात्र ऐसे भी हैं जिनके पास स्मार्ट फ़ोन न होने के कारण, इन छात्रो को हमारे गांव या पास के किसी दूसरे गांव में रह रहे उनके मित्रो के पास जाकर मदद लेनी पड़ती थी। दिया नेगी ऑनलाइन क्लास को लेकर अपना अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि स्कूल में अध्यापक की उपस्थिति में अपनी क्लास और अपने सहपाठियों के साथ बैठकर जो पढ़ाई की जाती है वह ऑनलाइन क्लास से कही ज़्यादा बेहतर होती है, सभी छात्र एक जैसी सुविधा के साथ पढ़ाई करते हैं जबकि ऑनलाइन क्लास में सुविधाओ के अभाव के चलते हमारे बहुत से साथी पीछे छूट जाते हैं।

उत्तराखंड के अल्मोड़ा से बाल प्रहरी के संपादक और भारत ज्ञान विज्ञान समिति के सदस्य उदय किरौला बताते हैं कि उत्तराखंड राज्य का अधिकांश हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र है, जिस कारण यहाँ मोबाइल नेटवर्क की समस्या मैदानी क्षेत्रों से कहीं ज्यादा है, हमारे द्वारा भी जब बाल प्रहरी के प्रसारण के लिये बच्चों को ऑनलाइन जोड़ा जाता है तो नेटवर्क को लेकर तमाम समस्याओ से जूझना पड़ता है, राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में तो यह समस्या और भी बढ़ जाती है। यदि आने वाले समय में राज्य में लॉकडाउन लगता है तो ऑनलाइन एजुकेशन स्कूली शिक्षा का उचित विकल्प नहीं होगी क्योकि एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की है जो किसी न किसी कारण से ऑनलाइन क्लास नहीं ले पाते हैं, सरकार द्वारा इन छात्रों को अनदेखा करना उचित नहीं होगा।

उत्तराखंड राज्य में ऑनलाइन क्लास की पहुँच को उजागर करते आँकड़े

एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तराखंड राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों में मात्र 26.7 प्रतिशत और गैर सरकारी स्कूलों में मात्र 44.2 प्रतिशत छात्र ऐसे थे जिन्होंने सर्वे सप्ताह के दौरान ऑनलाइन क्लास ली। आप को बता दें कि एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में संस्था ने सर्वे के लिए राज्य के 13 जिलों में से 383 गांव के 4064 परिवारों को चुना, जिसमें 1239 परिवारों का सर्वे फ़ोन के द्वारा सम्भव हो पाया। एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट ने अपने अध्ययन में पाया कि 2018 में उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के नामांकित बच्चों में 47.9 प्रतिशत बच्चें स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करते थे, यह संख्या 2021 में बढ़कर 75.6 प्रतिशत हो चुकि है, लेकिन सर्वे के दौरान देखा गया कि कुल 34.3 प्रतिशत बच्चें ही स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल ऑनलाइन क्लास के लिए कर पा रहे थे | यह रिपोर्ट बताती है कि जिन बच्चों के पास स्मार्ट फ़ोन हैं उनमें से भी केवल 31 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो हमेशा स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं, 57.6 प्रतिशत बच्चे कभी-कभी स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं और 11.4 प्रतिशत बच्चे स्मार्ट फ़ोन होने के बाबजूद कभी इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। यहाँ आप को बता दें कि यूनिफाईड डिस्टिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) 2019-20 के अनुसार उत्तराखंड राज्य के सरकारी और गैर सरकारी सभी स्कूलों में कक्षा 1 कक्षा 12 तक 23 लाख से अधिक छात्र नामांकित हैं। छात्रों द्वारा ऑनलाइन क्लास से वंचित रहने का कारण चाहे जो भी रहा हो लेकिन इन आँकड़ों से साफ हो जाता है कि कोरोना काल के दौरान बहुत बड़ी संख्या में छात्र ऑनलाइन क्लास से अछूते ही रह गये।

क्यों ऑनलाइन क्लास उत्तराखंड राज्य में एक बेहतर विकल्प नहीं 

“ऑनलाइन क्लास छात्रों के बीच एक खाई खोदने का काम करता है, एक ओर वह छात्र हैं जिनके पास ऑनलाइन क्लास लेने के लिए सभी साधन हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले छात्र हैं जो ऑनलाइन क्लास के लिए इस्तेमाल होने वाली तमाम सुविधाओं से कोसो दूर हैं, सभी को एक समान सुविधा नहीं मिल पाने के कारण इन छात्रों में डिजिटल डिवाइड की समस्या पैदा होती है” यह कहना है स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया उत्तराखंड के राज्य सचिव हिमांशु चौहान का। 

हिमांशु चौहान आगे कहते हैं कि ऑनलाइन क्लास के लिये सबसे जरुरी है कि छात्र के पास एक लैपटॉप या स्मार्ट फ़ोन के साथ अच्छा इंटरनेट भी हो, दूसरी बात ऑनलाइन क्लास में पढ़ना क्लास रूम में पढ़ाने से अलग होता है, ऑनलाइन क्लास में वीडियो कॉलिंग और स्मार्ट व्हाइट बोर्ड का इस्तेमाल किया जाता जिसके लिए अध्यापक और छात्र दोनों को एक विशेष प्रकार की ट्रेनिंग की जरूरत होती है ताकि छात्र और अध्यापक दोनों सही प्रकार से भागीदारी कर पाये और तीसरा यह भी सुनिश्चित करना होता है कि क्या सभी छात्र इस विषय को सही प्रकार से समझ पाये हैं,, यदि इन तीनो में से कोई एक भी छूट जाता है तो इसी को हम डिजिटल डिवाइड कहते हैं, लेकिन उत्तराखंड के परिपेक्ष में देखे तो सबसे बड़ी समस्या इंटरनेट कनेक्टिविटी की है इसके अलावा पहाड़ में रहने बाले परिवारों के पास स्मार्टफ़ोन कम होते हैं और यदि होते भी हैं तो बच्चे इनका इस्तेमाल पढाई के लिये बहुत ही कम कर पाते हैं, ऐसी तमाम समस्याओं के चलते पहाड़ में रहने बाले बच्चे ऑनलाइन क्लास नहीं ले पाते और इस डिजिटल क्लास के चलते कहीं पीछे छूट जाते हैं, अंत में हिमांशु चौहान कहते हैं कि इसबार तो रिचार्ज भी मंहगा हो गया है, यदि इस बार लॉकडाउन होता है तो ऑनलाइन क्लास से वंचित रहने वाले छात्रों की संख्या में यक़ीनन बढ़ोतरी होगी, इसी कारण हम ऑनलाइन क्लास का विरोध करते हुए सरकार से कहना चाहते हैं कि छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लास के स्थान पर कोई बेहतर विकल्प तलाश किया जाये।

हरिद्वार जिले से जिला शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल बताते हैं कि यदि कोरोना की तीसरी लहर के कारण एक बार फिर से लॉकडाउन लगता है तो प्रशासन के पास अभी ऑनलाइन शिक्षा के अतिरिक्त दूसरा विकल्प नहीं है। यह भी सच है कि उत्तराखंड राज्य में संसाधनों के अभाव के कारण बड़ी संख्या में छात्र ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रहे, लेकिन इस बार कक्षा 11 और 12 में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार की ओर से टेबलेट दिये जा रहे हैं ताकि जरुरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल ऑनलाइन शिक्षा के लिए किया जा सके। नेटवर्क कनेक्टिविटी के सवाल पर एसपी सेमवाल बताते है कि पहाड़ी जिलों में नेटवर्क कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है, इस समस्या के कारण भी बहुत से छात्र स्मार्ट फ़ोन होने के बाद भी ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रह जाते हैं लेकिन सरकार के पास अभी इस समस्या का कोई उपाय नहीं है।

स्थानीय व्यक्तियों, छात्रों से बातचीत और आंकड़ों से साफ हो जाता है कि उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में रह रहे छात्रों की एक बड़ी संख्या है जो मूलभूत सुविधाओ के अभाव के चलते ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रहे, यहाँ सवाल यह भी है कि ये छात्र अपने उन साथियों से कैसे बराबरी कर पाएँगे जिनके पास ऑनलाइन क्लास के लिए सभी सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं, यदि आने वाले समय में राज्य के अंदर लॉकडाउन लगता है तो सरकार को ऑनलाइन क्लास के चलते पैदा हुई इस डिजिटल डिवाइड की समस्या को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए। 

(लेखक देहरादून स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

ये भी पढ़ें: अपने वर्चस्व को बनाए रखने के उद्देश्य से ‘उत्तराखंड’ की सवर्ण जातियां भाजपा के समर्थन में हैंः सीपीआई नेता समर भंडारी

UTTARAKHAND
Online Education
Online education in Uttarakhand
Digital Education
COVID-19
online class
education crisis
poverty

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • Economic Survey
    वी श्रीधर
    आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22: क्या महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के संकटों पर नज़र डालता है  
    01 Feb 2022
    हाल के वर्षों में यदि आर्थिक सर्वेक्षण की प्रवृत्ति को ध्यान में रखा जाए तो यह अर्थव्यवस्था की एक उज्ज्वल तस्वीर पेश करता है, जबकि उन अधिकांश भारतीयों की चिंता को दरकिनार कर देता है जो अभी भी महामारी…
  • muslim
    रवि शंकर दुबे
    यूपी चुनाव: मुसलमानों के नाम पर राजनीति फुल, टिकट और प्रतिनिधित्व- नाममात्र का
    01 Feb 2022
    देश की आज़ादी के लिए जितना योगदान हिंदुओं ने दिया उतना ही मुसलमानों ने भी, इसके बावजूद आज राजनीति में मुसलमान प्रतिनिधियों की संख्या न के बराबर है।
  • farmers
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान
    31 Jan 2022
    एक साल से अधिक तक 3 विवादित कृषि कानूनों की वापसी के लिए आंदोलन करने के बाद, किसान एक बार फिर सड़को पर उतरे और 'विश्वासघात दिवस' मनाया। 
  • Qurban Ali
    भाषा सिंह
    प्रयागराज सम्मेलन: ये लोग देश के ख़िलाफ़ हैं और संविधान के ख़ात्मे के लिए काम कर रहे हैं
    31 Jan 2022
    जिस तरह से ये तमाम लोग खुलेआम देश के संविधान के खिलाफ जंग छेड़ रहे हैं और कहीं से भी कोई कार्ऱवाई इनके खिलाफ नहीं हो रही, उससे इस बात की आशंका बलवती होती है कि देश को मुसलमानों के कत्लेआम, गृह युद्ध…
  • Rakesh Tikait
    न्यूज़क्लिक टीम
    ख़ास इंटरव्यू : लोगों में बहुत गुस्सा है, नहीं फंसेंगे हिंदू-मुसलमान के नफ़रती एजेंडे में
    31 Jan 2022
    ख़ास इंटरव्यू में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे को ज़मीनी चुनौती देने वाले बेबाक किसान नेता राकेश टिकैत से लंबी बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि इन चुनावों में किसान…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License