NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार में 64 लाख बाढ़ पीड़ितों के लिए सिर्फ़ 17 राहत शिविर, कोरोना काल में दोहरा संकट
इस वक्त जब सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की वजह से बिहार नेशनल मीडिया में छाया हुआ है। बिहार और महाराष्ट्र की सरकारों में राजनीतिक टकराव की ख़बरें हैं। राज्य के लोग अपने दौर की दो सबसे भीषण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एक तरफ कोरोना का अनियंत्रित आवेग है तो दूसरी तरफ़ बाढ़ का क़हर।
पुष्यमित्र
06 Aug 2020
बिहार बाढ़

उत्तर बिहार के 16 जिले इस साल फिर से भीषण बाढ़ का सामना कर रहे हैं। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 64 लाख लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, इनमें से 4.4 लाख लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह शरण लेना पड़ रहा है। यह सब उस दौर में हो रहा है, जब राज्य कोरोना के भीषण संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। इस भीषण बाढ़ की वजह से बेघर हुए 4.4 लाख लोगों को जहां ऐसे ठिकानों की जरूरत थी, जहां उनके भोजन, आवास की न्यूनतम व्यवस्था तो हो ही, कोरोना के संक्रमण से भी उनका बचाव हो सके। मगर राज्य सरकार ने उन्हें इस दोहरे संकट का मुकाबला करने के लिए अकेला छोड़ दिया है।

पूरे राज्य में इस वक्त सिर्फ 17 राहत शिविर संचालित हो रहे हैं, जहां सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 17,916 लोगों को जगह मिली है, शेष चार लाख से अधिक लोग किस हाल में हैं, इसकी सरकार को कोई फिक्र नहीं।   

20200805_163458_0.jpg

इस वक्त जब सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की वजह से बिहार नेशनल मीडिया में छाया हुआ है। इस मसले को लेकर बिहार औऱ महाराष्ट्र की सरकारों में राजनीतिक टकराव की खबरें हैं। राज्य के लोग अपने दौर की दो सबसे भीषण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एक तरफ कोरोना का अनियंत्रित आवेग है। संक्रमितों की संख्या 62 हजार के अधिक हो गयी है, रोज दो से तीन हजार नये मरीज मिल रहे हैं। राज्य के अस्पतालों में जगह कम पड़ रही है, 92 फीसदी संक्रमितों को होम आइसोलेशन में रखा गया है। तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर बिहार की बड़ी आबादी अतिवृष्टि और भीषण बाढ़ का सामना कर रही है। मगर इन दोनों मामलों में सरकार की तरफ से सिर्फ योजनाओं की जानकारी देने के अलावा कोई काम नहीं किया जा रहा है।

20200805_163517_0.jpg

जहां तक बाढ़ का मामला है, मंगलवार 4 अगस्त को राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक इससे अब तक 16 जिले के 1152 पंचायतों के 63,60,424 लोग प्रभावित हुए हैं। इनमें से 4,40,507 लोग बेघर हो चुके हैं। मगर हैरत की बात है कि इसी रिपोर्ट के मुताबिक इन 4.4 लाख बेघरों के लिए विभाग सिर्फ 17 राहत शिविरों का संचालन कर रहा है, जिसमें सिर्फ 17,916 लोग रह रहे हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि शेष 4,22,591 लोग कहां और किस हाल में रह रहे होंगे। वह भी उस स्थिति में जब कोरोना की वजह से राज्य में छठी बार लॉकडाउन लगा है। दुकानों के खुलने पर पाबंदी है। कहीं आने जाने पर रोक है। आपस में घुलने मिलने में संक्रमण का खतरा है।

ध्यान देने वाली बात है कि राज्य के मुख्यमंत्री ने काफी पहले से कह रखा है कि इस कोरोना काल में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए विशेष तैयारी की जरूरत है। उन्होंने सभी पीड़ितों की स्क्रीनिंग, उन्हें रहने की ऐसी व्यवस्था करना कि संक्रमण फैलने का खतरा न हो, मुमकिन हो तो सभी पीड़ितों का कोरोना टेस्ट कराना, उन्हें मास्क औऱ सेनिटाइजर देना, उन्हें लाने-ले जाने वाले नावों, बोटों का नियमित सेनिटाइज कराना आदि के निर्देश दिये हैं। खुद आपदा प्रबंधन विभाग दो माह पहले से इसकी तैयारी कर रहा है और इस काम से जुड़े कर्मियों की ट्रेनिंग करायी जा रही है। मगर खुद विभाग के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि सरकार की तैयारियां नगण्य हैं।

IMG-20200805-WA0020_0.jpg

दरभंगा का राहत शिविर जहां मुख्यमंत्री के दौरे की वजह से सब चाक-चौबंद नज़र आया।

इसी सिलसिले में 5 अगस्त, बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा जाकर बाढ़ पीड़ितों का हाल लेने की कोशिश की है। सीएम जिस राहत शिविर में पहुंचे, वहां प्रशासन ने सजावटी व्यवस्था कर ली, मगर दरभंगा जिले के ही दूसरे शिविरों में बच्चे जमीन पर बैठकर एक दूसरे से सटकर खाते नजर आ रहे हैं।

IMG-20200805-WA0018.jpg

राहत शिविरों का वास्तविक हाल। दरभंगा की एक सामुदायिक रसोई।

जमीनी हालात बता रहे हैं कि बाढ़ को लेकर मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर आदि जिले में स्थिति काफी विस्फोटक है। बाढ़ का पानी घुस जाने की वजह से मुजफ्फरपुर के कांटी थर्मल पावर की दो यूनिट और बरौनी थर्मल की एक यूनिट मैं बिजली उत्पादन सोमवार से ठप है। इसके अलावा पावर ग्रिडों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। इस कारण तिरहुत और चंपारण के इलाकों में भीषण बिजली संकट की स्थिति है। ज्यादातर जगहों पर सिर्फ चार से आठ घंटे बिजली की आपूर्ति हो पा रही है।

इस अव्यवस्था से बाढ़ पीड़ित इतने नाराज हैं कि उन्होंने मंगलवार को मुजफ्फरपुर के पास एनएच 77 और एनएच 57 को सुबह से लेकर दोपहर तक जाम कर दिया और नारेबाजी करते है। उसी तरह पारू प्रखंड के चांदकेवरी पंचायत के सैकड़ों लोगों ने भी प्रखंड मुख्यालय पहुंच कर बीडीओ के खिलाफ नारेबाजी की। राज्य के दूसरे इलाकों से भी ऐसी छिट-पुट घटनाओं की खबरें हैं। राज्य के स्थानीय अखबारों के अंदर के पन्ने बाढ़ की खबरों से भरे पड़े हैं। मगर राज्य सरकार इस मसले पर सिर्फ बयान जारी कर रही है।

इस बीच उत्तर बिहार अतिवृष्टि का भी सामना कर रहा है। उत्तर बिहार के आठ जिलों में अभी भी एक हजार मिमि. से अधिक बारिश हो गयी है, जबकि अभी भादो और आश्विन का महीना बाकी है। ऐसे में जहां बाढ़ का पानी नहीं भी फैला है, वहां लोग जलजमाव से परेशान हैं। खेत लबालब डूबे हैं।

ध्यान देने वाली बात यह है कि इस समय राज्य के स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन दोनों महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा एक ही प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को दे दिया गया है। उन्होंने दावा किया है कि बाढ़ पीड़ितों का कोरोना को लेकर रैपिड टेस्ट कराया जायेगा। मगर राज्य में राहत शिविरों की संख्या को देखकर समझा जा सकता है कि उनकी बातों में कितना दम है।

Bihar
Bihar floods
Corona Crisis
Nitish Kumar
Nitish Kumar Government
jdu
Bihar Relief camps
बिहार बाढ़

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License