NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
कृषि क़ानूनों का विरोध: 2 अक्टूबर से आंदोलन तेज़, 26-27 नवंबर को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान
नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ AIKSCC ने मंगलवार को प्रेसवार्ता के माध्यम से बताया कि किसान 2 अक्टूबर से शुरू करके देशभर में किसानों के बड़े विरोध करेंगे, जो 26-27 नवम्बर को ‘दिल्ली चलो’ कार्यक्रम के रूप में सम्पन्न होंगे।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
29 Sep 2020
कृषि क़ानूनों का विरोध

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समीति (AIKSCC) ने देशभर के किसानों, कृषि मजदूरों, व आमजनों को 25 सितम्बर के ऐतिहासिक भारत बंद व प्रतिरोध कार्यक्रमों की सफलता के लिए बधाई देते हुए आगे की लड़ाई का आह्वान किया।

एआईकेएससीसी ने दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता में कहा कि इतिहास में पहली बार देश भर के किसानों ने केन्द्रीय कानून पारित होने के 5 दिन के अन्दर ऐसा विरोध आयोजित किया है। यह तत्कालिक विरोध किसानों के जीवन व जीविका पर हो रहे आघात के विरूद्ध, किसानों के गुस्से की झलक 20 राज्यों में प्रदर्शित हुई।

एआईकेएससीसी से सम्बद्ध संगठनों ने ‘चक्का जाम’ धरना तथा कानून की प्रतियां जलाकर 10 हजार से ज्यादा स्थानों पर करीब 1.5 करोड़ किसानों की भागीदारी कराई। जहां केन्द्र सरकार एक गलत धारणा प्रस्तुत कर इस विरोध को केवल उत्तर भारत में केन्द्रित दर्शाने के प्रयास में है, इस बंद व विरोध के अखिल भारतीय चरित्र का असर दक्षिण के प्रांत तमिलनाडु में भी दिखा जिसमें 300 से अधिक स्थानों पर 35 हजार से ज्यादा किसान सड़कों पर उतरे और राज्य की भाजपा की मित्र सरकार ने 11,000 से ज्यादा को गिरफ्तार किया। अन्य कई संगठनों व असंगठित किसानों द्वारा भी बंद में भाग लेने की खबर है। इस बंद ने स्पष्ट रूप से दिखा दिया की देश के किसानों ने केन्द्र सरकार के इन तीन काले कानूनों को नकार दिया है।

आपको ज्ञात हो कि 9 अगस्त को एआईकेएससीसी ने इन विरोधों की शुरूआत की थी और घोषणा की थी कि जब तक ये तीनों कानून वापस नहीं लिये जाते तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। क्योंकि केन्द्र सरकार इन तीन किसान विरोधी कानूनों को आगे बढ़ा रही है और एमएसपी/सरकारी खरीद पर गलत जानकारियां दे रही है। एआईकेएससीसी किसानों के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए इन कानूनों को अमल नहीं होने देगी।

एआईकेएससीसी केन्द्र सरकार से अपील की है कि वह किसानों की मांगों का सम्मान करे और इन्हें अमल होने से रोक दे। उन्होंने राज्य सरकारों व उन विपक्षी दलों से, जिन्होंने किसानों के पक्ष का समर्थन किया है, अपील करती है कि वे राज्यों द्वारा इन कानूनों के अमल ना होने देने के कानूनी तरीके ढूंढ़ निकालें।

IMG-20200929-WA0010.jpg

इसके अतिरिक्त एआईकेएससीसी राज्य विधान सभाओं से अपील करती है कि वे प्रस्ताव पारित कर घोषित करें कि क्योंकि यह देश के संघीय ढांचे पर और किसानों के अधिकारों पर गम्भीर हमला हैं। इसलिए वे इसे अमल नहीं करेंगी।

एआईकेएससीसी ने ऐलान किया और कहा वो इन तीन किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ  अपने संघर्ष को और तेज करेगी। एआईकेएससीसी की बहुत सारी राज्य इकाईयों ने गांव से ब्लाक स्तर तथा मंडियों में विरोध सभाएं सम्मेलन आयोजित कर केन्द्र सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे हमले पर शिक्षित करने, सरकार के धोखे को उजागर करने, क्रमिक व नियमित भूख हड़तालें चलाने, आदि का निर्णय लिया है।

एआईकेएससीसी अपनी राज्य इकाइयों और विभिन्न संगठनों के साथ समन्वय करते हुए पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना के आन्दोलनों के साथ भी समन्वय करते हुए आन्दोलन के आगे के कदमों की घोषणा करेगी और इस बीच उसने सभी राज्य स्तर पर तय कार्यक्रमों व आन्दोलनों की जानकारी दी। जो इस प्रकार हैं-

  • पंजाब के किसान संगठनों द्वारा रेल रोको का आह्वान।
  • 6 अक्टूबर को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चैटाला के घर के सामने धरना व उनके इस्तीफे की मांग।
  • कर्नाटक के किसान संगठनों द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार के किसान विरोधी आन्दोलनों द्वारा रोक की अपील।

ये राज्य स्तरीय स्थानीय विरोध अन्य केन्द्रीय कार्यक्रमों के साथ आयोजित होंगे:

* 2 अक्टूबर, 2020 को देश के किसान उन पार्टियों व जनप्रतिनिधियों के बहिष्कार का संकल्प लेंगे, जिन्होंने इन किसान विरोधी कानूनों का विरोध नहीं किया है और केन्द्र सरकार के किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ गांव सभा के प्रस्ताव अपनाएंगे।
* 14 अक्टूबर, 2020 को देश के किसान एमएसपी अधिकार दिवस के रूप में मनाएंगे और सरकार के इस झूठ का खुलासा करेंगे कि किसानों को स्वामीनाथन आयोग के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है।

ये सभी विरोध एक राष्ट्रीय विरोध के रूप में 26 व 27 नवम्बर, 2020 को दिल्ली में संगठित होंगे।

एआईकेएससीसी ने इसके साथ भारत के सभी किसानों से ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया ताकि केन्द्र सरकार किसानों के भविष्य व जीविका पर किए जा रहे अमानवीय हमले को वापस लेने के लिए मजबूर हो सके। एआईकेएससीसी ने कहा कि जब तक देश के किसान नहीं जीत जाते तब तक संघर्ष जारी रहेगा – ‘हम लड़ेंगे, हम जीतेंगे’। 

Farm bills 2020
AIKSCC
Farmer protest
Farmers Protest on 2nd Oct
Farmer organizations
BJP
modi sarkar

Related Stories

पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित

उप्र चुनाव: उर्वरकों की कमी, एमएसपी पर 'खोखला' वादा घटा सकता है भाजपा का जनाधार

केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

यूपी चुनाव: आलू की कीमतों में भारी गिरावट ने उत्तर प्रदेश के किसानों की बढ़ाईं मुश्किलें

ग्राउंड  रिपोर्टः रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के गृह क्षेत्र के किसान यूरिया के लिए आधी रात से ही लगा रहे लाइन, योगी सरकार की इमेज तार-तार

मोदी सरकार ने मध्यप्रदेश के आदिवासी कोष में की 22% की कटौती, पीएम किसान सम्मान निधि योजना में कर दिया डाइवर्ट

क्या चोर रास्ते से फिर लाए जाएंगे कृषि क़ानून!


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License