NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
प्रभात हत्याकांड: बढ़ सकती हैं अजय मिश्र टेनी की मुश्किलें
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। अब 22 साल पुराने प्रभात गुप्ता हत्याकांड पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने आख़िरी तारीख़ दे दी है।
रवि शंकर दुबे
09 May 2022
teni
दिवंगत प्रभात गुप्ता (बाएं), गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी (दाएं)

लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुआ किसानों का हत्याकांड भला कौन भूल सकता है। जब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र की जीप ने कई किसानों को रौंद दिया था। इस मामले में वह फिलहाल जेल में है। हालांकि जिस शख्स के नाम पर वो जीप थी यानी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय टेनी, वे आज भी गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंच साझा करते हुए दिख जाते हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि अजय मिश्र टेनी का ऐसे कृत्यों से पुराना नाता रहा है। दरअसल हम बात कर रहे हैं साल 2000 में हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड के बारे में। जिसमें अजय मिश्र समेत चार लोगों को नामज़द किया गया था। तब इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब 22 साल के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच इस मामले में फैसला सुना सकती है। जिसके लिए कोर्ट ने 16 मई को आखिरी सुनवाई का फैसला किया है, यानी उम्मीद है कि इस मामले में अब जल्द से जल्द कोई फैसला आएगा।

क्या था लखीमपुर का प्रभात गुप्ता हत्याकांड?

पूरा मामला है साल 2000 का। लखीमपुर के तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुरा गांव में प्रभात गुप्ता नाम के शख्स की हत्या कर दी गई थी। मामले में मृतक प्रभात गुप्ता के पिता ने अजय मिश्र टेनी के साथ शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रभात गुप्ता को पहली गोली अजय मिश्र ने कनपटी पर मारी और दूसरी गोली सुभाष मामा ने सीने पर मारी थी। जिसके बाद प्रभात की मौके पर ही मौत हो गई थी।

imageसाल 2000 में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रभात गुप्ता

प्रभात गुप्ता के पिता के आरोपों के बाद तिकुनिया थाना क्षेत्र में एफआईआर दर्ज की गई थी, हालांकि कुछ दिनों बाद ये मामला सीबीसीआईडी को सौंप दिया गया था। जिसके बाद प्रभात गुप्ता के परिवार ने उस वक्त के मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता से भी न्याय की गुहार लगाई थी। जिसका नतीजा ये रहा कि तत्कालीन सचिव मुख्यमंत्री आलोक रंजन ने केस की जांच फिर से लखीमपुर पुलिस को सौंप दी। बाद में आईजी जोन लखनऊ ने एक विशेष टीम का गठन कर मामले की विवेचना करवाई और 13 दिसंबर 2000 को केस में चार्जशीट लगा दी गई। इस बीच अजय मिश्र समेत सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे ले लिया।

न्याय का इंतज़ार करते-करते हो गई पिता की मौत

आपको बता दें कि कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने के बाद 5 जनवरी 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्र को मिले अरेस्ट स्टे को खारिज कर दिया। इसी बीच न्याय की गुहार लगा रहे प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की मौत हो गई। जिसके बाद केस की पैरवी प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने की। हालांकि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी लखीमपुर पुलिस ने अजय मिश्र को गिरफ्तार नहीं किया।

अब केस की पैरवी कर रहे राजीव गुप्ता ने एक बार फिर अजय टेनी की गिरफ्तारी के लिए लखनऊ बेंच से गुहार लगाई। जिसके बाद 10 मई 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को अरेस्ट करने का ऑर्डर दिया। लेकिन 25 जून को सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर अजय मिश्र को बीमार करार दे दिया गया और उन्हें अस्पताल भेज दिया गया। अगले ही दिन सेशन कोर्ट से ज़मानत मिल गई।

सरेंडर, फिर बीमारी और फिर 24 घंटे के अंदर ज़मानत... ये अनोखा खेल सत्ता की हनक को साफ दर्शा रहा था। हालांकि इस कृत्य की शिकायत तत्कालीन डीजीसी ने ज़िलाधिकारी लखीमपुर को ख़त लिखकर की थी।

जब इस मामले में पुलिस की तरफ से चार्जशीट दाखिल हुई तब लखीमपुर कोर्ट में प्रभात गुप्ता हत्याकांड का ट्रायल शुरू हुआ और 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्र समेत सभी आरोपी निचली अदालत से बरी हो गए। इस हत्याकांड को जिस तरह से लीड किया जा रहा था, वो साफ संकेत थे कि मामले में सरकार पूरी तरह से ढीली पड़ चुकी है, यही कारण है कि निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने के लिए राज्यपाल को आदेश देना पड़ा। इसके बाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में इस पूरे मामले में दो अपील दाखिल हुईं। एक राज्यपाल के आदेश पर सरकार की ओर से, दूसरी अपील प्रभात के पिता संतोष गुप्ता की तरफ से छोटे भाई राजीव गुप्ता ने रिवीज़न की अपील दाखिल की।

साल 2004 से 12 मार्च 2018 तक यानी पूरे 14 साल तक इस मामले में सुनवाई हुई। 14 साल की लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस डीके सिंह की बेंच ने सुनवाई पूरी की तो आदेश सुरक्षित रख लिया। अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी भी सुरक्षित रखे गए मामले में 6 महीने के अंदर फैसला सुनाया जाए। अगर वो बेंच फैसला नहीं देती है तो ऑर्डर सुरक्षित रखने वाली बेंच पर फैसला सुनाने का अधिकार नहीं होगा।

मामला सुरक्षित रखे जाने के 6 महीने बाद भी फैसला नहीं आने के बाद राजीव गुप्ता ने 8 महीने बाद फिर अपील की। हालांकि इसके बाद भी अब लंबे वक्त बाद 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने 16 मई 2022 को इस मामले की अंतिम तारीख तय की है। माना जा रहा है कि 16 मई की तारीख इस हत्याकांड के लिए अहम हो सकती है और यहीं से अजय मिश्र टेनी का भविष्य भी तय हो सकता है।

हत्या के पीछे क्या हो सकता है कारण?

प्रभात की हत्या के पीछे एक कारण राजनीति में उनकी तेज़ी से बढ़ती ख्याति भी बताई गई। दरअसल प्रभात अपनी मृत्यु के वक्त लखनऊ विश्वविद्यालय में 29 वर्षीय छात्र नेता थे। लखनऊ विश्वविद्यालय में मशहूर छात्र नेता होने के अलावा प्रभात समाजवादी युवाजन सभा के राज्य सचिव भी थे। प्रभात ने साल 2000 में ज़िला पंचायत चुनावों के लिए नामांकन भी किया था, जबकि अजय मिश्र टेनी उस वक्त ज़िला सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष थे और भाजपा के साथ जुड़े हुए थे। अजय मिश्र का राजनीतिक दबदबा भी इलाके में तेज़ी से बढ़ रहा था। हालांकि प्रभात के आगे वो हमेशा उन्नीस ही साबित हो रहे थे। प्रभात के परिवार वालों का आरोप है कि बढ़ती राजनीतिक छवि को देखते हुए टेनी ने कई बार प्रभात को जान से मारने की धमकी भी दी थी।

अजय मिश्र टेनी को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कई बातें कही थीं, जब वे किसानों की मौत के बाद लखीमपुर खीरी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। राकेश टिकैत ने गांव वालों के हवाले से कहा था कि टेनी एक चंदन तस्कर था। इतना ही नहीं टिकैत ने कहा था कि टेनी काली मिर्च, लौंग और इलाइची जैसी वस्तुओं को नेपाल से तस्करी करता था। टिकैत ने टेनी के लिए गुंडा जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया था।

सिर्फ राकेश टिकैत ही नहीं किसानों की हत्या के बाद आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश बालयान ने भी ट्वीट कर अजय मिश्र टेनी को आईना दिखाया था, जिसमें हैरानी की बात ये रही कि नरेश के ट्वीट को खुद अजय टेनी ने रिट्वीट कर दिया जिसके बाद उनकी बहुत किरकिरी हुई थी। इस ट्वीट को नरेश बालयान ने बकायदा स्क्रीन शॉट के साथ फिर से ट्वीट किया।

मैंने ट्वीट किया कि @ajaymishrteni आपका आतंकी बेटा नेपाल भाग गया, जहाँ आप तस्करी किया करते थे डीजल और चंदन की लड़की का, मेरे बात से और अपने बेटे के कुकर्म से सहमत हो कर अजय मिश्रा ने रिट्वीट कर दिया। वो भी अपने कुकर्म और बेटे के कुकर्म से खुद ही सहमत है। रिट्वीट देखिये इनका। pic.twitter.com/6gQ6JuH6HK

— MLA Naresh Balyan (@AAPNareshBalyan) October 8, 2021

एक के बाद एक ऐसी घटनाएं पुराने कृत्य ये बताने के लिए काफी हैं कि अजय मिश्र टेनी किस तरह राजनीति में इतने वर्चस्ववान हो गए। हालांकि इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता है कि भाजपा सरकार ब्राह्मण वोटों को साधने के लिए टेनी जैसे आरोपी को लगातार शह दे रही है। हालांकि अब देखने वाली बात होगी कि जब 16 मई को सुनवाई होगी और अदालत फैसला सुनाएगी तब सत्ता की हनक भारी पड़ती है या फिर प्रभात को न्याय मिलेगा।

Ajay Mishra Teni
Lakhimpur
Lakhimpur incident
PRABHAT GUPTA MURDER CASE

Related Stories

लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी

लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी के आत्मसमर्पण पर पीड़ित परिवार ने खुशी जताई

लखीमपुर मामला : आशीष मिश्रा को ज़मानत देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले को उच्चतम न्यायालय ने किया खारिज

लखीमपुर खीरी कांड में एक और अहम गवाह पर हमले की खबर  

लखीमपुर खीरी कांड: मंत्री पुत्र आशीष की ज़मानत को चुनौती देने वाली याचिका पर हुई सुनवाई, अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा

लखीमपुर हिंसा:आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए एसआईटी की रिपोर्ट पर न्यायालय ने उप्र सरकार से मांगा जवाब

यूपी चुनाव चौथा चरण: लखीमपुर हिंसा और गोवंश से फ़सलों की तबाही जैसे मुद्दे प्रमुख

लखीमपुर घटना में मारे गए किसान के बेटे ने टेनी के ख़िलाफ़ लोकसभा चुनाव लड़ने का इरादा जताया

कार्टून क्लिक: विपक्ष कहे 'टेनी' हटाओ, मोदी जी कहें तुम शाह के साथ रैली में आओ

गृह राज्यमंत्री टेनी की बर्ख़ास्तगी की मांग : विपक्ष ने निकाला मार्च 


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License