NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
फिलिस्तीन
फ़िलिस्तीनियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से इज़रायल के नस्लभेद शासन की जांच करने को कहा
दुनिया भर के 450 से अधिक सिविल सोसाइटी समूहों ने यूएनजीए के चल रहे 75 वें सत्र के लिए एक पत्र लिखा और इसे फ़िलिस्तीन के इज़रायली क़ब्ज़े को रोकने के लिए कार्रवाई करने को कहा।
पीपल्स डिस्पैच
24 Sep 2020
Palestine

फिलिस्तीनी सिविल सोसायटी के साथ-साथ दुनिया भर के अन्य सिविल सोसायटी समूहों ने मंगलवार 22 सितंबर को एक अभियान शुरू किया जिसमें संयुक्त राष्ट्र से "दक्षिण अफ्रीका में इज़रायल के नस्लभेद की जांच करने और उसेसमाप्त करने के लिए जिम्मेदारी संभालने की मांग की गई"। यह अभियान संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली बैठक की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित होने के साथ साथ की गई है जो इस समय न्यूयॉर्क में चल रही है।

इस अभियान की शुरुआत दुनिया भर के 452 सिविल सोसाइटी संगठनों द्वारा हस्ताक्षर किए गए एक पत्र जारी करने के साथ हुई। इस पत्र में उल्लेख किया गया है, "नस्लभेद मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है" और अतीत में इसके ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है। यह पत्र दिसंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र के कमिटी ऑन द एलिमिनेशन एंड रेशियल डिस्क्रिमिनेशन (सीईआरडी) के निष्कर्षों का उल्लेख करता है, जिसके अनुसार इज़रायल ने ग्रीन लाइन के दोनों ओर फिलिस्तीनियों के ख़िलाफ़"अलगाव और नस्लभेद की नीति" अपनाई है। यह पत्र इस साल जून में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय वक्तव्य को उद्धृत करता है जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि एनेक्सेशन (इज़रायल द्वारा घोषित क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों) पूर्ण दंडमाफी का एक अन्य उदाहरण होगा जो इस काउंसिल का मखौल बनाता है और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का घोर उल्लंघन करेगा”।

यह पत्र फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार और इज़रायल के क़ब्ज़े के अंत के लिए लंबे समय कीमांगों को दोहराता है। यह संयुक्त राष्ट्र महासभा से गाजा के अवैध इज़रायली नाकाबंदी को समाप्त करने के लिए क़दम उठाने की भी मांग करता है।

ये पत्र यह भी मांग करता है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्य इज़रायल के नस्लभेद सरकार में एक जांच शुरू करे और इज़रायल के आपराधिक कृत्यों में सहायता के लिए व्यक्ति को और राज्यों को जिम्मेदार ठहराए। यह यूएन स्पेशल कमिटी अगेंस्ट आपर्थेड और यूएन सेंटर अगेंस्ट अपार्थेड के ख़िलाफ़ पुनर्गठन की मांग करता है, जिसे दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद शासन के अंत के बाद भंग कर दिया गया था।

इस पत्र के हस्ताक्षरकर्ता हथियारों के व्यापार और इज़रायल के साथ सभी प्रकार के सुरक्षा सहयोग और क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों के अंदर इज़रायल की बस्तियों के साथ सभी व्यापारों पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग करते हैं।

इन हस्ताक्षरकर्ताओं में दुनिया भर के सिविल सोसायटी समूह, राजनीतिक दल और यूनियन शामिल हैं।

फिलिस्तीनी और अन्य सिविल सोसायटी समूह अपनी ऑनलाइन मुहिमों के साथ अपनी मांगों के समर्थन में एक सप्ताह की कार्रवाई (22 सितंबर से 28 सितंबर) का सप्ताह मना रहे हैं।

 

United nations
75years of UN
Palestine
Israel
israeli occupation in israel

Related Stories

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं

अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात

इज़रायली सुरक्षाबलों ने अल-अक़्सा परिसर में प्रार्थना कर रहे लोगों पर किया हमला, 150 से ज़्यादा घायल

लैंड डे पर फ़िलिस्तीनियों ने रिफ़्यूजियों के वापसी के अधिकार के संघर्ष को तेज़ किया

अमेरिका ने ईरान पर फिर लगाम लगाई

क्या यूक्रेन मामले में CSTO की एंट्री कराएगा रूस? क्या हैं संभावनाएँ?

पुतिन को ‘दुष्ट' ठहराने के पश्चिमी दुराग्रह से किसी का भला नहीं होगा


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License