NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पेगासस पीड़ित एक पत्रकार की आपबीती
पेगासस स्पाइवेयर जासूसी मामले में पत्रकारों व अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इन्हीं में से एक वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता की ज़ुबानी सुनिए उनकी कहानी कि आख़िर क्यों और कैसे वे अपने फोन के डेटा की फोरेंसिक जांच के लिए तैयार हुए।
परंजॉय गुहा ठाकुरता
04 Aug 2021
pegasus and Pranajoy Guha Thakurta
पेगासस जासूसी के शिकार हुए वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, एसएनएम अबदी, प्रेम शंकर झा, रुपेश कुमार सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। फ़ोटो साभार: Bar and Bench

पेगासस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी के आरोपों की जांच की पहल सरकार की तरफ से नहीं होने के बाद पहले चार प्रमुख लोगों ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और इस मामले की जांच कराने की मांग की। इनमें हिंदू के वरिष्ठ पत्रकार रहे नरसिम्हन राम, वरिष्ठ पत्रकार शशि कुमार, वकील मनोहर लाल शर्मा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास शामिल हैं। इन लोगों ने यह पहल जनहित में की। लेकिन अब पेगासस स्पाइवेयर के शिकार हुए चार पत्रकारों परंजॉय गुहा ठाकुरता यानी मैं, सैयद निसार मेहदी अबदी, प्रेमशंकर झा और रूपेश कुमार सिंह और एक सामाजिक कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी ने देश की सबसे बड़ी अदालत के सामने न्याय की गुहार लगाई है। इन पांचों याचिकाओं और पहले दायर की गई जनहित याचिकाओं पर 5 अगस्त को सुनवाई की उम्मीद है। इन याचिकाओं के जरिए यह मांग की गई है कि इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हो। ऐसी उम्मीद है कि इन याचिकाओं पर सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश नुथलपति वेंकट रमन्ना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत करेंगे।

भले ही भारत में इस मामले की जांच के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा हो लेकन इजरायल सरकार के अधिकारी पेगासस स्पाइवेयर बनाने वाले एनएसओ समूह के कार्यालयों में गए। ताकि उन आरोपों की जांच कर सकें जिनमें यह कहा जा रहा है कि सैन्य स्तर के इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके नेताओं, मंत्रियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सरकारी अधिकारियों और कारोबारियों के मोबाइल को कब्जे में लेकर जासूसी की गई। इजरायल की राजधानी तेल अबीब में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने खुद इस बात को बताया। उस देश की मीडिया में इस बाबत रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं जिनमें यह कहा गया है कि पूरी दुनिया में कुछ महत्वपूर्ण लोगों के मोबाइल फोन हैक करके उनकी जासूसी करने के लिए कुख्यात हुए इस स्पाइवेयर पर विदेश मंत्रालय, न्याय मंत्रालय और खुफिया एजेंसी मोसाद की नजर थी।

फ्रांस ने भी एक जज को इस मामले की जांच का काम सौंपा है। यह खबर आई थी कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां का फोन भी हैक किया गया था। पेगासस स्पाइवेयर के जरिए छह राष्ट्राध्यक्षों के मोबाइल फोन में सेंध लगाई गई थी। फ्रांस सरकार ने कहा कि वह इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज से पूछताछ करना चाहेगी। मोरक्को में भी इस मामले की जांच चल रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बारे में भी यह बात सामने आई कि उनके फोन में भी पेगासस स्पाइवेयर के जरिए घुसपैठ की गई।

भारत में भी कई महत्वपूर्ण लोगों के फोन में पेगासस स्पाइवेयर होने की बात सामने आई है। देश के जाने—माने उद्योगपति अनिल अंबानी का नाम भी इस सूची में है। राहुल गांधी और उनके सहयोगियों के साथ—साथ चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी से संबंधित लोगों के फोन में भी पेगासस स्पाइवेयर के जरिए घुसपैठ की गई। इनके अलावा विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं और यहां तक कि चिकित्सा क्षेत्र से संबद्ध गगनदीप कंग जैसी शख्सियतों के फोन भी पेगासस जासूसी के दायरे में आए।

हैरानी की बात तो यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रियों और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के फोन में पेगासस स्पाइवेयर प्लांट किया गया। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और उनके सहयोगियों के साथ—साथ स्मृति ईरानी के सहयोगियों के फोन में भी पेगासस स्पाइवेयर डाले जाने की बात उजागर हुई है। साथ ही राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सहयोगियों के फोन की जासूसी भी पेगासस स्वाइवेयर के जरिए की गई। हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री एवं सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री बनाए गए अश्विनी वैष्णव, उनके परिजनों और उनके सहयोगियों के फोन भी पेगासस जासूसी कांड के दायरे में रहे। इन सबके बावजूद मोदी सरकार इस मामले की जांच कराने को तैयार नहीं है।

पेगासस जासूसी कांड को लेकर पूरी दुनिया में हंगामा मचा हुआ है। भारत सरकार इस बात को स्वीकार करने से क्यों मना कर रही है कि उसने करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल करके इस सॉफ्टवेयर को खरीदा था? विपक्ष की ओर से इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग की जा रही है। इसी मुद्दे को लेकर 19 जुलाई से शुरू हुआ संसद सत्र पूरी तरह से बाधित है। इसके बावजूद आखिर क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जांच के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं?

इस कांड में मैं भी एक पीड़ित हूं। एक पीड़ित के नाते मैं अपनी कहानी बता रहा हूं और ये भी बता रहा हूं कि आखिर क्यों मैं अपने फोन के डेटा की फोरेंसिक जांच के लिए तैयार हुआ।

17 मार्च को मुझे चेन्नई में रहने वाली खोजी पत्रकार संध्या रविशंकर का फोन आया। मैं इस कॉल की उम्मीद नहीं कर रहा था। उन्होंने मुझे बताया कि वे उसी दिन दिल्ली आ रही हैं और तत्काल तौर पर वे कल मुझसे मिलना चाहती हैं। मैंने उन्हें बताया कि अगले दिन मुझे कहीं यात्रा पर जाना है और अगर मिलना ही हो तो सुबह 6 बजे के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। मैंने पूछा आखिर इतनी जल्दी क्यों है? फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की एक बैठक के बाद हम दोनों लंबे समय से संपर्क में नहीं थे। उन्होंने कहा, 'जब हम लोग मिलेंगे तो मैं आपको बताती हूं।'

अगली सुबह जगकर जब मैं आंखें मल रहा था, उसी वक्त संध्या मेरे दरवाजे पर थीं। उन्होंने कहा कि वे फ्रांस की गैरलाभकारी मीडिया संगठन 'फॉरबिडेन स्टोरीज' का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन पत्रकारों के बारे में जांच कर रही है जिनके बारे में ये संदेह है कि उनका फोन टैप किया गया है। संध्या ने मुझे बताया कि मेरा नाम भी उन पत्रकारों की सूची में है जिनके फोन में जासूसी किए जाने का संदेह है। उन्होंने कहा कि वे मेरे मोबाइल फोन का पूरा डेटा डाउनलोड करके क्लाउड पर रखना चाहती हैं ताकि एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा नियुक्त की गई एक प्रयोगशाला में इसकी फोरेंसिक जांच हो सके।

शुरुआत में मैं अपने मोबाइल फोन का हर नाम, पता, फोटो और वीडियो शेयर करने को लेकर अनिच्छुक था। हालांकि, मुझे संध्या पर पूरा यकीन था। क्योंकि उन्होंने अपने राज्य में रेत माफिया को एक्सपोज करके नाम कमाया था। मैं तैयार हो गया और पूरे डेटा ट्रांसफर में तकरीबन एक घंटे लगा। उन्होंने मेरे साथ नाश्ता किया और फिर जल्दबाजी में यह कहते हुए निकलीं कि आज उन्हें दिल्ली में ही कुछ और पत्रकारों से मिलना है। कुछ हफ्तों के बाद पेरिस के दो पत्रकारों ने मुझसे जित्सी वीडियो कांफ्रेंसिंग सिस्टम पर संपर्क किया। इसे बाहरी दबावों से अपेक्षाकृत अधिक मुक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग सिस्टम माना जाता है। इनमें एक फिनिस रियूकर्ट और दूसरी उनकी संपादक सैंडरिन रिगॉड हैं। इन दोनों ने पहले तो मुझे 'फॉरबिडेन स्टोरीज' और एमनेस्टी इंटरनैशनल की जांच के बारे में बताया कि कैसे यह जनहित में है। इन दोनों ने मुझे यह भी भरोसा दिलाया कि मेरे फोन का डेटा किसी के साथ और किसी भी परिस्थिति में शेयर नहीं किया जाएगा।

फोरेंसिक विश्लेषण के लिए एक बार फिर से मेरे आईफोन के सारे डेटा को डाउनलोड किया गया। इस बार यह काम ऑनलाइन किया गया। उस वक्त मुझे कुछ बातें बताई गईं। मुझे लग गया कि जिस स्टोरी पर काम किया जा रहा है, वह न सिर्फ बहुत बड़ी है बल्कि इसका असर भारत और कई दूसरे देशों की राजनीति पर पड़ेगा। मुझे यह बताया कि फोरेंसिक विश्लेषण के परिणाम के लिए कुछ हफ्तों का इंतजार मुझे करना होगा।

फिनिस ने मुझसे दोबारा संपर्क किया और मुझे बताया कि मेरे फोन से मार्च, अप्रैल और मई, 2018 के महीनों में 'छेड़छाड़' की गई थी। मुझे इस बात पर हैरानी नहीं हुई कि मेरे फोन की जासूसी की गई। अन्वेषण ब्यूरो के मेरे दोस्त मुझे दशकों से बताते आए हैं कि उन्हें समय—समय पर पत्रकारों की बातचीत टैप और रिकॉर्ड करने का 'निर्देश' दिया जाता है। पहले भी भारत में प्रमुख लोगों के फोन टैपिंग कांड सामने आए हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े का ऐसे ही एक मामले के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। पिछले कई दशकों से बहुत से महत्वपूर्ण नेताओं के द्वारा/ के खिलाफ फोन टैपिंग के मामले सामने आये है जैसे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह, पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले, एनजी रंगा, अशोक गहलोत व अन्य। 2009 में कॉरपोरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया के फोन टैपिंग का मामला आया था। इसमें कई नेताओं, कारोबारियों और पत्रकारों की बातचीत सामने आई थी। इसे लेकर बहुत दिनों तक हंगामा मचा था।

मैं एक बार फिर से कहना चाहता हूं कि मुझे यह जानकार हैरानी नहीं हुई कि मेरे फोन की जासूसी की जा रही है। मैंने फिनिस से पूछा कि मेरे फोन में किसने घुसपैठ की है? इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता। फिर उन्होंने कहा कि जिन तीन महीनों में आपके फोन की जासूसी की गई, उन दिनों में आप जिन स्टोरीज पर काम कर रहे थे, उन्हें याद कीजिए। मैंने उन्हें बताया कि मैं एक किताब को लेकर शोध कर रहा था जो 2019 के अप्रैल में 'फेसबुक का असली चेहरा' के नाम से प्रकाशित हुई और इसमें यह बताया गया है कि कैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वॉटसऐप का इस्तेमाल दक्षिणपंथी ताकतों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों द्वारा प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए किया गया।

उन दिनों मैं अपने सहयोगी आबीर दासगुप्ता के साथ मिलकर एक और विषय की जांच—पड़ताल में लगा हुआ था। इसमें हम यह पता लगाना चाह रहे थे कि दिवंगत धीरूभाई अंबानी की विदेशी संपत्तियां पूरी दुनिया के किन—किन कर पनाहगाहों में हैं। इस बारे में हमने उनके दोनों बेटों, भारत और एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी और कथित तौर पर दिवालिया हो गए दूसरे बेटे अनिल अंबानी, को सवाल भेजे लेकिन दोनों में से किसी का जवाब नहीं मिला। इसके बाद हमने एक विस्तृत रिपोर्ट 'कार्विंग अप ए बिजनेस इंपायर थ्रू टैक्स हैवेन्स: दि अंबानी वे' शीर्षक के साथ 'न्यूजक्लिक' में मई, 2018 में प्रकाशित की। इस रिपोर्ट को अब भी इस वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।

मैं अब भी पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि न पहले, न बाद में बल्कि सिर्फ उन्हीं तीन महीनों में आखिर क्यों मेरे फोन में घुसपैठ की गई। इस बारे में सिर्फ अटकलें ही लगाई जा सकती हैं। जिन लोगों ने मेरे फोन का फोरेसिंक विश्लेषण किया, उन्होंने बताया कि मेरा फोन अब 'साफ' यानी स्पाइवेयर मुक्त कर दिया गया है लेकिन मैं पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि मेरा फोन अब भी टैप हो रहा है या नहीं।

मुझे बड़ा अजीब और संदेहास्पद यह लग रहा है कि आखिर क्यों भारत सरकार के प्रतिनिधि न तो ये स्वीकार कर रहे हैं कि उनके विभाग और एजेंसियों ने इजरायल के एनएसओ समूह से पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा था और न ही इस बात से इनकार कर रहे हैं। अगर हमारी सरकार करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल मेरे समेत कई नागरिकों की जासूसी कराने के लिए कर रही है तो क्या यह हक हमारे पास नहीं है कि हम ये सवाल पूछ सकें कि पैसे कैसे खर्च किए गए। क्या हर नागरिक को इस संदर्भ में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करने का अधिकार नहीं है।

 हमारे माननीय गृह मंत्री अमित शाह यह दावा कर रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र के तहत इन बातों को सामने लाया गया है। लेकिन उन्हें पक्के तौर पर पता होगा कि इस काम में पूरी दुनिया के 17 मीडिया संस्थान लगे थे और इन सबने 45 देशों के सैकड़ों फोन की पड़ताल की है, जिनके बारे में यह संदेह था कि उन्हें टैप किया गया है। माफ कीजिएगा माननीय गृह मंत्री जी, लीक से संबंधित घटनाक्रम समझने वाले तर्क को मैं स्वीकार नहीं कर सकता। बाकी जो होगा, वह इतिहास होगा।

(परंजॉय गुहा ठाकुरता वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Pegasus
Israeli spyware
Survellaince Democracy
Israel
Paranjoy Guha Thakurta

Related Stories

सर्विलांस राज्य ही विश्व का 'न्यू नॉर्मल'

मध्य प्रदेश में दलित बच्चों की हत्या, रेहड़ी-पटरी वालों का विरोध प्रदर्शन और अन्य


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    विश्व आर्थिक मंच पर पेश की गई ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौर में फूड फ़ार्मा ऑयल और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने जमकर कमाई की।
  • परमजीत सिंह जज
    ‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप
    26 May 2022
    पंजाब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब की गिरती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना है, और भ्रष्टाचार की बड़ी मछलियों को पकड़ना अभी बाक़ी है, लेकिन पार्टी के ताज़ा क़दम ने सनसनी मचा दी है।
  • virus
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या मंकी पॉक्स का इलाज संभव है?
    25 May 2022
    अफ्रीका के बाद यूरोपीय देशों में इन दिनों मंकी पॉक्स का फैलना जारी है, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मामले मिलने के बाद कई देशों की सरकार अलर्ट हो गई है। वहीं भारत की सरकार ने भी सख्ती बरतनी शुरु कर दी है…
  • भाषा
    आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद
    25 May 2022
    विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    "हसदेव अरण्य स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल"
    25 May 2022
    हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने जंगल, जीवन, आजीविका और पहचान को बचाने के लिए एक दशक से कर रहे हैं सघंर्ष, दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License