NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
कृषि
भारत
राजनीति
संसद अपडेट: राज्यसभा में विपक्ष ने किसान आंदोलन पर सरकार को घेरा, लोकसभा हुई स्थगित
मनोज झा ने कहा कि सरकार के ख़िलाफ़ हर बात देशद्रोह नहीं हो सकती और लोकतंत्र में आंदोलन की अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों को रोकने के लिए बाड़बंदी, घेराबंदी, कंटीले तार लगाए गए और खाई आदि बनाई जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के लिए पानी और शौचालय जैसी सुविधाएं तक बंद कर दी गयी हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 Feb 2021
संसद अपडेट: राज्यसभा में विपक्ष ने किसान आंदोलन पर सरकार को घेरा, लोकसभा हुई स्थगित

नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र चल रहा है। जिसमें कृषि विधेयक के खिलाफ देशभर में चल रहे किसानों के आंदोलन का मुद्दा गरमाया हुआ है। बृहस्पतिवार को दोनों सदनों में विपक्ष ने सरकार को आंदोलन के प्रति उसके रैवेये को लेकर उसकी निंदा की और उसे घेरा। एक तरफ राज्यसभा में विपक्ष ने सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए और उसे किसानों की मांगों को पूरा करने को कहा, जबकि दूसरी तरफ विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कांग्रेस, द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी विरोध के कारण बृहस्पतिवार को लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद शाम छह बजे तक के लिये स्थगित कर दी गई।

राज्यसभा: विपक्ष ने किसान आंदोलन पर सरकार को घेरा, सत्ता पक्ष ने नए क़ानूनों का किया बचाव

राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न विपक्षी दलों ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए मौजूदा आंदोलन से निपटने के तरीके पर सवाल उठाया। वहीं सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने दावा किया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी प्रगति के लिए ही नए कानून लाए गए हैं।

विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया कि किसानों को आंदोलन करने की नौबत क्यों आयी। इसके साथ ही विपक्षी दलों ने सरकार से अनुरोध किया कि वह किसानों के दर्द को समझे और उन्हें दूर करने की कोशिश करे। हालांकि भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे सुधारों का जिक्र किया था लेकिन अब उसके सुर बदल गए हैं। हालाँकि सदन में सत्ताधारी दल के नेताओं ने इसे किसान हितैषी होने के अपने पुराने दावों को दोहराती रही।

उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए राजद सदस्य मनोज झा ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि किसानों के मुद्दे पर दलगत भावना से ऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण में 19 विपक्षी दलों के भाग नहीं लेने का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें शामिल नहीं होने का हमें भी दुख है, लेकिन जब चीजें वास्तविकता से दूर हों तो उसमें कैसे भाग लिया जा सकता है।

मनोज झा ने कहा, "सरकार के खिलाफ हर बात देशद्रोह नहीं हो सकती और लोकतंत्र में आंदोलन की अहम भूमिका होती है। दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों को रोकने के लिए बाड़बंदी, घेराबंदी, कंटीले तार लगाए गए और खाई आदि बनाई जा रही हैं। किसानों के लिए पानी और शौचालय जैसी सुविधाएं तक बंद कर दी गयी हैं।"

राजद सदस्य ने कहा कि किसान अपना हक मांग रहे हैं और वे अपनी बेहतरी दूसरे लोगों की अपेक्षा बेहतर तरीके से समझते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने विमर्श को ही कमजोर बना दिया है। उन्होंने आंदोलन से निपटने के सरकार के तरीके को लेकर सवाल किया और कहा कि सरकार एकालाप को ही वार्तालाप का रूप दे रही है।

पूरा भाषण यहाँ सुना जा सकता है।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार पर हर मोर्च पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ, उसके लिए सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार है।

उन्होंने दावा किया कि तीनों कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी की सीमाओं में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान जा चुकी है।

तृणमूल सदस्यों ने आंदोलन के दौरान कथित तौर पर जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान में डेरेक ओ ब्रायन की अगुवाई में कुछ पलों का मौन रखा। इस दौरान अन्य दलों के सदस्यों ने भी अपने स्थानों पर खड़े हो कर कुछ पलों का मौन रखा।

पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद (एस) नेता एच डी देवेगौड़ा ने किसानों को राष्ट्र की रीढ़ बताते हुए कहा कि उनकी समस्याओं को सुना जाना चाहिए और एक स्वीकार्य समाधान निकाला जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकारें आती जाती रहीं, किसानों की हालत सुधारने के प्रयास किए गए लेकिन वह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका जो करना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘किसान अन्नदाता हैं। उनकी तमाम परेशानियां हैं जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है। इसमें विलंब नहीं होना चाहिए।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से जितने भी वादे किए गए, आज तक उनसे से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया, चाहे वह काले धन को वापस लाने का वादा हो या भ्रष्टाचार खत्म करने का या फिर दो करोड़ रोजगार सृजन का वादा हो।

उन्होंने कहा, "नोटबंदी से लेकर संशोधित नागरिकता कानून तक जो कुछ किया गया, उससे आम आदमी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की बात करने वाली इस सरकार ने ऐेसे कदम उठाने से पहले किसको विश्वास में लिया? यह सरकार सबका विश्वास खो रही है।’’

सिंह ने कहा कि संसद के पिछले सत्र में तीनों कृषि कानूनों को मंजूरी दी गई। उन्होंने कहा ‘‘हमें कहा जाता है कि हमने अपने घोषणापत्र में इन कृषि सुधारों का वादा किया था। लेकिन सच यह है कि हमने इन विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग की थी।’’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सदस्य बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने गुरुवार को सरकार से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने और आंदोलनकारी किसानों के साथ बातचीत करने को कहा।

बजट सत्र की शुरुआत में संसद के संयुक्त बैठक में अपने संबोधन के लिए राष्ट्रपति को धन्यवाद देने के प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए, भट्टाचार्य ने दिल्ली की सीमा पर किसान विरोध स्थलों पर बैरिकेड्स, सीमेंट ब्लॉक, कॉन्सर्टिना वायर और स्पाइक्स लगाने के कदम की आलोचना की।

उन्होंने कहा, "अपने कृषि कानूनों को वापस लें और उनके साथ बैठें (किसानों के साथ) .... आप उन्हें शहर की ओर जाने से रोककर, कंक्रीट की दीवारें लगाकर बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं कर सकते। यह वह तरीका नहीं है जिस तरह से एक लोकतांत्रिक सरकार बातचीत करती है।"

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने नए कृषि कानूनों को ‘‘काला कानून’’ करार दिया। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 76 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और उन्हें ‘‘आतंकवादी, गद्दार, खालिस्तानी’’ कह कर अपमानित किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के कुछ नेता किसानों को अपमानित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन वह असफल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि वह एक फोन कॉल पर बातचीत के लिए तैयार है, ऐसे में खुद सरकार को ही फोन कर पहल करनी चाहिए।

सिंह ने कहा कि आंदोलन के दौरान 165 किसानों की मौत हो चुकी है और कई वयोवृद्ध किसान भी आंदोलन में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को नए कानून समझ में आ गया है जिसमें असीमित भंडारण की छूट दी गयी है। उन्होंने दावा किया कि असीमित भंडारण की सुविधा देने से जमाखोरी और काला बाजारी को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार 130 करोड़ लोगों के लिए नहीं बल्कि चार पूंजीपतियों के लिए है जिनसे चंदा लेकर वे चुनाव लड़ते हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी किसानों के इस आंदोलन का समर्थन करती रहेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि वे किसानों के लिए पानी और शौचालय आदि का इंतजाम कर रहे हैं लेकिन सरकार उन्हें रोक रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले में हुई घटना के लिए भाजपा के कार्यकर्ता दोषी हैं।

सिंह ने सवाल किया कि सरकार को किसानों के साथ क्या दुश्मनी है जो उसने प्रदर्शन स्थलों पर लंबी कीलें लगा दी हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार के ‘जुल्म’ के कारण एक किसान नेता रो पड़े।

सिंह ने एक वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमे का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि सरकार पत्रकारिता को दबाने का प्रयास कर रही है।

सिंह ने सत्ता पक्ष पर गलतबयानी करने का आरोप लगाते हुए दावा किया ‘‘आप कहते हैं कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में जिन कृषि सुधारों का वादा किया था, उन्हें अब कानून की शक्ल देने के बाद वह इनका विरोध कर रही है। लेकिन असलियत कुछ और है। कांग्रेस (सरकार के कार्यकाल में प्रस्तावित) के कृषि सुधारों का उस समय भाजपा नेता अरुण जेटली और सुषमा स्वराज ने विरोध किया था।’’

पूरा भाषण यहां देखें

नए भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि किसान देश के लिए रीढ़ की हड्डी और अन्नदाता हैं तथा वे अपना ही नहीं पूरे विश्व का पेट भरते हैं। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून इसलिए लाए गए ताकि उनकी प्रगति हो सके। उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक आजादी करीब 70 साल पहले मिल गयी थी लेकिन किसानों को उनकी वास्तविक आजादी नहीं मिल पायी।

सिंधिया ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जुबान बदलने की आदत बदलनी होगी... जो कहें, उस पर अडिग रहें।’’   

लोकसभा :कृषि कानूनों के मुद्दे पर विपक्ष का भारी विरोध 

विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कांग्रेस, द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी विरोध के कारण बृहस्पतिवार को लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद शाम छह बजे तक के लिये स्थगित कर दी गई।

विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण निचले सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल बाधित रहा।

एक बार के स्थगन के बाद शाम पांच बजे कार्यवाही शुरू होने पर पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने आवश्यक कागजात सभापटल पर रखवाये ।

लेखी ने सदन को बताया कि केरल के मलप्पुरम से सांसद पी के कुन्हालीकुट्टी ने सदन की सदस्यता से इस्तीफा दिया है और उनका त्यागपत्र लोकसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है।

विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में मध्यस्थता एवं सुलह संशोधन विधेयक 2021 पेश किया।

इस दौरान विपक्षी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा। विपक्षी सदस्य हाथों में तख्तियां लिये हुए थे और ‘किसान विरोधी कानून वापस लो’ के नारे लगा रहे थे। वे ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे भी लगा रहे थे।

इस बीच लेखी ने हंगामा कर रहे सदस्यों से सीट पर जाने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है और ऐसा करके हम जनता के बीच उपहास का पात्र बन रहे हैं।’’

लेकिन विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहे। हंगामा थमता नहीं देख पीठासीन सभपति लेखी ने सदन की कार्यवाही शाम छह बजे तक स्थगित कर दी।

इससे पहले, निचले सदन की कार्यवाही शाम चार बजे शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू करने को कहा। हालांकि कांग्रेस, द्रमुक, वामदलों के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गये। सपा, बसपा और तृणमूल कांग्रेस सदस्यों को अपने स्थान से विरोध करते देखा गया।

हंगामे के बीच ही लोकसभा अध्यक्ष ने कुछ प्रश्न लिये और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इनके उत्तर दिये।

इस बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से अपनी सीट पर जाने की अपील की।

बिरला ने कहा, ‘‘आपके कई नेताओं के महत्वपूर्ण प्रश्न है। मैं चाहता हूं कि प्रश्नकाल चले। जनता ने आपको जिस लिए चुनकर भेजा उसको देखते हुए आपका यह व्यवहार उचित नहीं है।’’

उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे अपनी सीट पर जाएं ताकि सदन सुचारू रूप से चले। उन्होंने कहा कार्यवाही के दौरान नारेबाजी करना और तख्तियां उछालना उचित नहीं है।

हालांकि सदन में सामान्य व्यवस्था बनती नहीं देख बिरला ने सदन की कार्यवाही शाम चार बजकर करीब 16 मिनट पर शाम पांच बजे तक के लिये स्थगित कर दी।

कृषि विधेयक आने के बाद यह पहला संसद सत्र है, जिसके हंगमेदार होने की आशंका थी। अभी तक की सदन की कार्रवाई में विपक्ष सरकार को लगातार नए विवादित कृषि कानूनों पर घेर रहा है। विपक्ष ने संयुक्त रूप से अपना विरोध जताने के लिए राष्ट्रपति के अभिभाषण का भी बहिष्कार किया था।  
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

Parliament update
farmers movement
Rajya Sabha
lok sabha
RJD
CPIM
BJP
AAP
manoj jha

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License