NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
कृषि
भारत
राजनीति
किसान अंदोलन : ‘निरंकुश सत्ता’ के ख़िलाफ़ एक जुनूनी संघर्ष!
किसान आंदोलन में शामिल हो रहे किसानों ने कई बार दिखाया कि उनके हौसले कितने मज़बूत हैं और वो इस 'मज़बूत' सत्ता के हर वार का मुकाबला अपने जुनून से करने आए हैं। ऐसा ही उदहारण है फरीदकोट से आए किसान जो ‘पाश’ की कविताओं के साथ 400 किमी की साइकिल यात्रा करते हुए टिकरी बॉर्डर पहुंचे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Dec 2020
किसान अंदोलन

दिल्ली: पंजाब के विख्यात कवि अवतार सिंह संधू ‘पाश’ की क्रांतिकारी कविताओं और उम्मीदों के सहारे फरीदकोट का एक किसान साइकिल से करीब 400 किलोमीटर की यात्रा करके नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को समर्थन देने के लिए दिल्ली की सीमा टिकरी बॉर्डर पर पहुंच गया।

किसान पाल संधू पंजाब के फरीदकोट जिले के रामीना गांव के रहने वाले हैं। वह सोमवार को दिल्ली-हरियाणा सीमा के निकट प्रदर्शन स्थल पर किसान नेताओं का भाषण सुन रहे थे। उनकी साइकिल पर कई तख्तियां टंगी हुई थीं, जिन पर पाश की कविता ‘सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना...’ की पंक्तियां पंजाबी में लिखी थीं। उनकी सजी हुई साइकिल वहां से गुजर रहे प्रदर्शनकारियों को आकर्षित कर रही थी और कई लोग उसके साथ तस्वीरें खिंचवा रहे थे।

पाल संधू ने कहा, ‘‘ मैं घर पर बेचैन था और खुद को साथी किसानों की हालत का पता करने से रोक नहीं सका। ये किसान साझा लक्ष्य के लिए कड़ाके की ठंड में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मेरा भाई भी कुछ दिन पहले एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में आया था जो कि टिकरी बॉर्डर पर ही है। मैंने भी यहां आने का निर्णय लिया और साइकिल से आया।’’

फरीदकोट के किसान ने बताया कि वह 19 दिसंबर की सुबह आठ बजे अपने घर से निकले थे।

इसी तरह आंदोलन को समर्थन देने के लिए बिहार के एक 60 वर्षीय किसान सत्यदेव मांझी बिहार के सीवान से दिल्ली बॉर्डर के टिकरी तक साइकिल चलाकर पहुंचे। उन्होंने 11 दिन में एक हजार किलोमीटर की यात्रा तय की। भीषण ठंड के बावजूद सत्यदेव मांझी लगातार साइकिल चलाते रहे और किसान आंदोलन में शामिल हुए। समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए मांझी ने केंद्र सरकार से अपील की कि वो किसान हितों को देखते हुए तीनें नए कृषि कानून वापस ले ले।

ये इस आंदोलन में शामिल किसानों के हौसले और मज़बूत इरादों की झलकी है। ये किसान जो दिल्ली पहुंचे इन्होंने यहां तक पहुँचने के लिए सरकारी बाधाओं को हँसते हुए पार किया है। सोचिए इस भीषण ठंड में इन्होंने वाटर कैनन और आंसू गैसे के गोलों के हमलों को सहा है, उसके बाद भी इनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखी थी। परन्तु सरकार शायद अभी भी किसानों के आत्मबल का परीक्षण ले रही है जबकि किसान ने साफ किया कि वो यहां से तभी वापस जाएंगे जब ये सरकार उनके 'मौत का फ़रमान' यानी नए कृषि क़ानून वापस लेगी। किसानों का कहना है कि ये निरंकुश सत्ता है, लेकिन हमारा जुनून भी कुछ कम नहीं।

ये किसान सिर्फ़ अपने हक़ों के लिए लड़ ही नहीं रहे हैं, बल्कि अपने आस-पास दिख रहे कमज़ोरों की मदद भी कर रहे हैं। दिल्ली का सिंघु बॉर्डर जो इस आंदोलन के केंद्र के रूप में उभरा है। वहां आसपास गरीब मज़दूरों की बस्ती है जिनके लिए कई बार दो वक्त का भोजन भी मुश्किल है परन्तु इस आंदोलन में चल रहे लंगर ने उनके भोजन की चिंता को तो दूर किया ही है। बल्कि उनके बच्चों के भविष्य को भी बेहतर करने का प्रयास कर रहे है।

पंजाब के किसान समूह ने स्थानीय झुग्गियों के बच्चों के लिए ‘अनौपचारिक स्कूल’ की शुरूआत की

पंजाब के आनंदपुर साहिब के किसानों के एक समूह ने सिंघु सीमा पर स्थानीय झुग्गियों के बच्चों के लिए एक अस्थायी टेंट में ‘अनौपचारिक स्कूल’ शुरू किया है।

विरोध स्थल पर की जाने वाली कई ‘सेवा’ के रूप में लेखक बीर सिंह और अधिवक्ता दिनेश चड्ढा की ओर से सोमवार को यह अस्थायी स्कूल शुरू किया गया है।

एक स्वयंसेवी सतनाम सिंह ने कहा, ‘‘यहां सब कुछ ‘सेवा’ है। हमने पड़ोसी झुग्गी-झोपड़ियों के कई बच्चों को भोजन के लिए घूमते देखा और सोचा कि क्यों न उन्हें भी रचनात्मक तरीके से काम करने में मदद की जाए।’’

उनके अनुसार, किसानों के बीच शिक्षित व्यक्ति, जिनके पास स्नातक या पीएचडी की डिग्री है, वे बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लगभग 60-70 बच्चे रोज़ पढ़ने, लिखने, और कहानियों को सुनने के लिए उनके पास आ रहे हैं।

सतनाम सिंह ने कहा, ‘‘पहले दिन हमने उन्हें फलों के रस और स्नैक्स देकर यहां आने और पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया था लेकिन पिछले दो दिनों से वे खुद ही आ रहे हैं और अपने दोस्तों को भी लेकर आए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षक उनसे पूछते हैं कि वे किस कक्षा में पढ़ रहे हैं और अपेक्षित पाठ्यक्रम के अनुसार उन्हें पढ़ाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने टिकरी बॉर्डर पर भी इसी तरह की व्यवस्था की है।

उन्होंने कहा कि जैसा कि स्थानीय बच्चे हिंदी बोलते हैं, कहानी की किताबें उन्हें इसी भाषा में उपलब्ध कराई गई हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

farmers protest
Farm bills 2020
Protest Against Farm Laws
kisan andolan
Protest on Delhi Border
Nationwide Protest

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों को आंदोलन और राजनीति दोनों को साधना होगा

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License