पेगासस का मामला केंद्र सरकार के गले की फांस बनती नजर आ रही है, इस फंदे से बाहर निकलने के लिए केंद्र ने अब नया दाव खेला है, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसके पास पेगासस के बारे में बताने के लिए अधिक कुछ नहीं है, जो कुछ था जो पहले हलफनामें में बता ही दिया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो अदालत में विस्तृत हलफनामा पेश नहीं करना चाहती। सरकार ने किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है। दूसरी तरफ अदालत ने भी कह दिया है कि वो अंतरिम आदेश पारित करेगी।
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की बेंच ने केंद्र की तरफ से आए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं। अंतरिम आदेश दिया जाएगा जिसमें दो से तीन दिन का वक्त लगेगा। यदि आप इस बारे में पुन: विचार करते हैं तो मामले का उल्लेख हमारे समक्ष कर सकते हैं।’’
कोर्ट ने कहा ‘‘आप बार-बार कह रहे हैं कि सरकार हलफनामा दायर नहीं करना चाहती। हम भी नहीं चाहते कि सुरक्षा संबंधी कोई मुद्दे हमारे समक्ष रखे जाएं। आपने कहा कि एक समिति बनाई जाएगी और रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। हमें तो पूरे मुद्दे को देखना है और अंतरिम आदेश देना है।’’
दूसरी तरफ केंद्र ने अदालत से कहा कि वह विस्तृत हलफनामा दायर नहीं करना चाहता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा ''सरकार ने किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है। ये राष्ट्रहित में नहीं होगा। विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी।''
तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और यही वजह है कि उसने अपनी ओर से कहा है कि आरोपों की जांच के लिए वह क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति का गठन करेगा। इस पर, पीठ ने दोबारा से स्पष्ट किया कि वे भी नहीं चाहते कि सरकार ऐसी कोई भी जानकारी का खुलासा करे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ती हो।
आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सात सितंबर को पेगासस मामले की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय प्रदान किया था और कहा था कि इस मामले में न्यायालय अब 13 सितंबर को सुनवाई करेगा। उस समय सरकार की तरफ से आए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा था कि कुछ वजहों से वे दूसरा हलफनामा दायर करने के संबंध में संबंधित अधिकारियों से नहीं मिल सके थे इसलिए मामले को बृहस्पतिवार या सोमवार को सूचीबद्ध कर दिया जाए।
इससे पहले केंद्र ने, कोर्ट में एक संक्षिप्त हलफनामा दायर किया था और कहा था कि पेगासस जासूसी अरोपों में स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाएं ‘‘अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों या अधूरी या अपुष्ट सामग्री’’ पर आधारित हैं। केंद्र ने कहा था कि इस संबंध में संसद में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। केंद्र ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थों के तहत फैलाई गई किसी भी गलत धारणा को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के लिए सरकार विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में 17 अगस्त को केन्द्र को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह नही चाहती कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित किसी जानकारी का खुलासा करे। न्यायालय ने केन्द्र से सवाल किया था कि इस मुद्दे पर अगर सक्षम प्राधिकारी उसके समक्ष हलफनामा दाखिल करते हैं तो इसमें क्या समस्या है।
समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ