NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कोरोना से ज़्यादा डर लोगों को अपनी नौकरी जाने और कारोबार ठप होने का है!
भागती-दौड़ती ज़िंदगी में लॉकडाउन के कारण अचानक लगे ब्रेक ने लोगों की ज़िंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। लोगों के अंदर डर, चिंता, अकेलापन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है, लोग दिन-रात मानसिक और शारीरिक तनाव से गुज़र रहे हैं।
सोनिया यादव
20 Apr 2020
कोरोना वायरस
प्रतीकात्मक तस्वीर

एक मज़दूर ने पहले 2500 में अपना मोबाइल फोन बेचकर परिवार के लिए राशन खरीदा और फिर घर आकर फांसी लगा ली। ये हाल की घटना साइबर हब के नाम से प्रसिद्ध गुरुग्राम (गुड़गांव) की है। मृतक मज़दूर मुकेश अपनी पत्नी और 4 बच्चों के साथ सरस्वती कुंज इलाके की झुग्गी में रहते थे। लॉकडाउन के कारण रोजगार छिन गया और पिछले तकरीबन एक महीने से उनके पास काम नहीं था, घर पर पैसे भी ख़त्म हो गए थे। उन्हें उम्मीद थी कि 14 अप्रैल से लॉकडाउन खुल जाएगा, लेकिन ये आस भी टूट गई। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार मुकेश के एक रिश्तेदार ने बताया कि वह कई दिनों से दिमाग़ी रूप से परेशान चल रहे थे।

कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू है। ऐसे में गरीब, मज़दूर, किसान, रोज़ कमाकर खाने वालों के साथ ही अर्थव्यवस्था की स्थिती भी चरमरा गई है। लोगों के अंदर डर, चिंता, अकेलापन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है, लोग दिन-रात मानसिक और शारिरिक तनाव से गुजर रहे हैं। ऐसे में कई लोगों को आगे कोई रास्ता नहीं सुझ रहा और वो धीरे-धीरे अवसाद का शिकार हो रहे हैं।

दिल्ली की रहने वाली राधा एक टैक्सी डाइवर हैं। अपने दो बच्चों को अकेले ही बड़ा कर रही हैं। राधा रोज कोरोना वायरस और लॉकडाउन की खबरें इस उम्मीद से देखती हैं कि शायद अब कोई अच्छी ख़बर आ जाए और उनकी टैक्सी दोबारा चल पड़े, जिससे उनके घर के खर्चें भी चलने लगे। लेकिन रोज़ राधा को निराशा ही हाथ लगती है।

राधा कहती हैं, “लॉकडाउन में मेरी टैक्सी बंद है, लेकिन मेरे खर्चे पहले की तरह ही चालू हैं। घर के राशन-पानी के साथ ही टैक्सी जो लोन पर ली है उसकी भी किस्त देनी होती है। अब तो करीब एक महीना होने को आया है, आगे गुजारा कैसे होगा, किसी को पता नहीं, कोई उम्मीद नहीं दिखती। ये सब सोचकर कई बार डर भी लगता है और चिंता भी होती है।”

आदित्य सिंह एक निजी आईटी कंपनी में काम करते हैं, उनका कहना है कि ‘वर्क फ्रॉर्म होम’ ‘वर्क एट ऑफिस’ से ज्यादा प्रेशर वाला है। काम करने की समय सीमा न के बराबर है, ऊपर से आपके बॉस को लगता है कि आप काम ही नहीं कर रहे, आपका आउटपुट जीरो है।

आदित्य बताते हैं, “सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक आप ऑफिस के काम से फ्री नहीं हो पाते। ऊपर से दिनभर कंपनी के कॉल सुनते रहो, आप मिस नहीं कर सकते। सोशल लाइफ तो पहले ही खत्म हो गई है, अब पर्सनल लाइफ भी नहीं रही। ऊपर से नौकरी जाने का डर हर समय बना रहता है। पहले सिर्फ काम से मतलब होता था, अब ऑफिस के लोगों को आपके पूरे दिनभर का शेड्यूल चाहिए, आप क्या करते हैं और क्या नहीं, ये सब उन्हें जानना होता है। ऐसा लगता है मानो जिंदगी में कंप्यूटर स्क्रीन के आगे कुछ बचा ही नहीं है।

क्या कहना है जानकारों का?

मानसिक स्वास्थ्य पर काम करने वालीं मनोवैज्ञानिक मनिला मानती हैं कि हमारा नाकारात्मक रवैया हमारे अंदर मानसिक और शारिरिक तनाव के साथ ही डर और अकेलेपन को भी बढ़ावा देता है। ऐसे में भागती-दौड़ती ज़िंदगी में लॉकडाउन के कारण अचानक लगे ब्रेक ने लोगों की जिंदगी पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। लोग अधिक समय अनिश्चितता के माहौल में अपने-आप से जूझ रहे हैं।

मनिला कहती हैं,“ये सच है कि स्थितियां सामान्य नहीं है। हम सब अपने घरों में कैद हैं, काम का प्रेशर है, बीमारी का डर भी है लेकिन ऐसे समय में हमें जो बात सबसे ज्यादा परेशान कर रही हैं वो है हमारा नकारात्मक रवैया।”

मनिला के अनुसार लोगों के अंदर कोरोना वायरस का डर तो है लेकिन उससे कहीं ज्यादा डर उन्हें अपनी नौकरी जाने और कारोबार ठप होने का भी है। अचानक से सब कुछ बंद हो जाना और दिनभर कोरोना वायरस की ख़बरें टीवी पर देखना, इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ना स्वाभाविक है।

इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज के आकाश सिंह कहते हैं, “वर्क प्रेशर से स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना लाज़मी है। अगर आप काम और सिर्फ काम ही करेंगे तो निश्चित तौर पर आप मानसिक और शारिरिक दोनों तनाव महसूस करेंगे। इस तनाव का असर शरीर, दिमाग़, भावनाओं और व्यवहार पर पड़ता है। हर किसी पर इसका अलग-अलग असर होता है। इसके लिए जरूरी है कि आप काम के साथ आराम भी करें, अपना रूटीन सेट करें।”

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस की आस्था बताती हैं, “लॉकडाउन का ये दौर मुश्किल है लेकिन ऐसे समय में ख़ुद को संभालना बहुत ज़रूरी है। दिमाग़ को नियंत्रित रखने के साथ सकारात्मक सोचें। आपको धैर्य के साथ इस बात को समझना ज़रूरी है कि सबकुछ फिर से ठीक हो जाएगा।

भारत सरकार की तैयारी

स्वास्थ्य मंत्रालय ने मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में कुछ टिप्स दिए हैं, इन टिप्स के जरिए आप लॉकडाउन में अपने आप को स्वस्थ्य रख सकते हैं। मंत्रालय की वेबसाइट पर वीडियो के ज़रिए स्टूडेंट्स और माता-पिता को बताया गया है कैसे तनाव से बचा जा सकता है।

मंत्रालय के अनुसार, इस समय बच्चों के स्कूल बंद हैं और वो बाहर खेलने भी नहीं जा सकते। ऐसे में उनके दिमाग़ में बहुत सारी बातें हैं। इसलिए उन्हें उनके बायलॉजिकल शेड्यूल के अनुसार चलने दें। ज़बरदस्ती उनके लिए नया शेड्यूल और काम तय न करें।

-अपनी दिनचर्या को बनाए रखें। सही समय पर सोना, जागना, खाना-पीना और व्यायाम करें। घर से बाहर न सही छत पर, बालकनी या घर के बगीचे में सुबह-शाम निकलें और ताजी हवा और सूरज की रोशनी महसूस करें।

-अगर आपके अंदर डर या उदासी है तो उसे अपने परिवार या दोस्तों के बीच  शेयर करें। अपनी परेशानियों और भावनाओं को ज़ाहिर करें।

-साकारात्मक ख़बरों पर गौर करें। उतनी ही ख़बरें देखें और पढ़ें जितना ज़रूरी है। ख़बरों की ओवरडोज़ न लें। एक ही चीज़ बार-बार देखने से आपके दिमाग़ में वही चलता रहेगा। इसलिए दिनभर का एक समय तय करें और उसी वक़्त न्यूज़ चैनल देखें।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कहर से दुनिया त्रस्त है। लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दी जा रही है, पब्लिक गैदरिंग की मनाही है, मॉल, कॉलेज, स्कूल लगभग सभी प्राइवेट और सर्वजनिक संस्थान बंद हैं। आम जनता के लिए सब कुछ जैसे थम सा गया है, ऐसे में सरकार के सामने इतनी बड़ी आबादी को मानसिक अवसाद से बचाना भी एक बड़ी चुनौती है।

Coronavirus
COVID-19
Lockdown
Lockdown crisis
unemployment
Coronavirus Epidemic
poverty

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • भाषा
    कांग्रेस की ‘‘महंगाई मैराथन’’ : विजेताओं को पेट्रोल, सोयाबीन तेल और नींबू दिए गए
    30 Apr 2022
    “दौड़ के विजेताओं को ये अनूठे पुरस्कार इसलिए दिए गए ताकि कमरतोड़ महंगाई को लेकर जनता की पीड़ा सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं तक पहुंच सके”।
  • भाषा
    मप्र : बोर्ड परीक्षा में असफल होने के बाद दो छात्राओं ने ख़ुदकुशी की
    30 Apr 2022
    मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को घोषित किया गया था।
  • भाषा
    पटियाला में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं, तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का तबादला
    30 Apr 2022
    पटियाला में काली माता मंदिर के बाहर शुक्रवार को दो समूहों के बीच झड़प के दौरान एक-दूसरे पर पथराव किया गया और स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ी।
  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बर्बादी बेहाली मे भी दंगा दमन का हथकंडा!
    30 Apr 2022
    महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक विभाजन जैसे मसले अपने मुल्क की स्थायी समस्या हो गये हैं. ऐसे गहन संकट में अयोध्या जैसी नगरी को दंगा-फसाद में झोकने की साजिश खतरे का बड़ा संकेत है. बहुसंख्यक समुदाय के ऐसे…
  • राजा मुज़फ़्फ़र भट
    जम्मू-कश्मीर: बढ़ रहे हैं जबरन भूमि अधिग्रहण के मामले, नहीं मिल रहा उचित मुआवज़ा
    30 Apr 2022
    जम्मू कश्मीर में आम लोग नौकरशाहों के रहमोकरम पर जी रहे हैं। ग्राम स्तर तक के पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर जिला विकास परिषद सदस्य अपने अधिकारों का निर्वहन कर पाने में असमर्थ हैं क्योंकि उन्हें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License