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प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में लोगों को विरोध प्रदर्शन का अधिकार नहीं?
'गृहमंत्री और प्रधानमंत्री कहते हैं कि, मुसलमानों को डरने की ज़रूरत नहीं है। आख़िर क्यों मुसलमानों को डरने की ज़रूरत नहीं है! एक प्रदर्शन के लिए पुलिस वाले ने क्या-क्या बोल दिया, क्या मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है? हमें डराया नहीं जा रहा है तो और क्या किया जा रहा है?'
रिज़वाना तबस्सुम
14 Dec 2019
VNS Police

वाराणसी : नागरिकता संसोधन बिल (CAB) जो अब कानून बन चुका है, के विरोध में देश भर में लगातार धरना प्रदर्शन जारी हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में इसकी इजाज़त नहीं। पुलिस का कहना है कि "अपने घर में प्रोटेस्ट करो"।
 
दरअसल ज़िले के जैतपुरा थाना अंतर्गत सरैयां बाजार क्षेत्र में लोग शुक्रवार को नमाज़ के बाद नए नागरिकता कानून का विरोध करने सड़क की ओर जा रहे थे। जुमे की नमाज के मद्देनजर क्षेत्र में पुलिस भी जगह-जगह तैनात थी। इसी दौरान जुलूस की शक्ल में सड़क की ओर लोगों को बढ़ते देख दो दरोगा उनके पास पहुंचे। लोगों ने कहा कि वह कुछ दूर तक जाएंगे और शांतिपूर्वक विरोध जताकर ज्ञापन सौंपेंगे।

इसी बीच इंस्पेक्टर जैतपुरा आ गए और लोगों को विरोध के लिए जाता देख अपना आपा खो बैठे। इंस्पेक्टर शशिभूषण राय ने न सिर्फ लोगों के साथ गाली-गलौज की बल्कि उन्हें घर के अंदर प्रदर्शन करने की 'सलाह' दी। इतने के बाद भी इंस्पेक्टर शशिभूषण राय का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ तो उन्होने विरोध कर रहे अल्पसंख्यक समाज के लोगों को चीर कर खत्म करने की बात भी कह दी। गौरतलब है कि शशिभूषण राय का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

ख़ानदान ख़त्म करने की धमकी देते हुए इन दरोगा साहब की भाषा और अमर्यादित आचरण के विरुद्ध क्या पुलिस विभाग कोई कडी कार्यवाही करेगा ??@dgpup साहब https://t.co/SZ0fhYrQkd

— Imran Pratapgarhi (@ShayarImran) December 13, 2019

विरोध में शामिल सलमान अंसारी बताते हैं कि, हम मस्जिद में जुमे की नमाज़ पढ़ने के लिए गए थे, वहाँ से वापस लौटते समय एनआरसी और कैब को लेकर शांतिपूर्वक विरोध की तैयारी हो रही थी, इतने में दरोगा आए, और हम लोगों को गालियां देने लगे। सलमान बताते हैं कि, 'पुलिस की बात से तो ऐसा लग रहा था कि हम यहाँ के है ही नहीं, हम लोगों को इस तरह से डांट रहे थे जैसे लग रहा है हम चोरी करने के लिए आए हों। पूरे पिछले 32 साल से यहाँ रहे हैं, ज़िंदगी गुजार रहे हैं। काम कर रहे हैं खा रहे हैं, लेकिन अब हमारे ही वतन में हमें अपने ही बात कहने से मना किया जा रहा है।’

इसी क्षेत्र के युवा नसीम खान कहते हैं कि, 'हमारे देश में संविधान है, जिसने हमें कुछ हक़ दिया है। उसमें लिखा हुआ है कि, हम विरोध कर सकते हैं, लेकिन ये क्या हो रहा है हमारे देश में जहां लोग अपने संविधान की ही बातें नहीं मान रहे हैं। हमें तो समझ ही नहीं आ रहा है कि अब हम लोगों का क्या होगा? हमारी पढ़ाई का क्या होगा? हमारी दुनिया कैसी होगी?’

इसी क्षेत्र के 26 साल के एक युवक ने (नाम न लिखने की गुजारिश करते हुए) कहा कि, हम लोग ज्यादा पढ़े लिखे लोग नहीं है। हम लोगों की बात मनाने वाले लोग हैं। हम नमाज़ पढ़ने के बाद बस विरोध करने चले गए। लेकिन पुलिस वालों ने तो हमें इतनी गालियां दी कि, हम लगने लगा कि हम लोग कितना बड़ा गुनाह कर दिए है।

वो (पुलिस वाला) कहा रहा था कि, 'ज्यादा मत बोलो वरना चीर के रख दूंगा, मुझे नहीं जानते तुम अभी। तुम लोग सड़क पर आ कैसे गए, सड़क तुम्हारे बाप का है क्या?' क्या अब हम सड़क पर नहीं जा सकते? अब हमें सड़क पर निकलने की भी मनाही होगी?’

करीब 45 साल के मुईनूद्दीन बताते हैं कि, 'आज के समय में मुसलमान बहुत डरकर जी रहा है। इतना बड़ा अयोध्या का फैसला आया, हम सब चुप थे कि हमारे देश में अमन-चैन रहे। गृहमंत्री और प्रधानमंत्री कहते हैं कि, मुसलमानों को डरने की ज़रूरत नहीं है। आख़िर क्यों मुसलमानों को डरने की ज़रूरत नहीं है! एक प्रदर्शन के लिए पुलिस वाले ने क्या-क्या बोल दिया, क्या मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है? हमें डराया नहीं जा रहा है तो और क्या किया जा रहा है!'

आपको बता दें कि यह प्रोटेस्ट एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन) की तरफ से किया जा रहा था इसके एक सदस्य ने बताया कि, 'नमाज़ पढ़ने के बाद हम लोग सड़क पर आए, और अपना बैनर खोलने लगे। इतने में पुलिस वाले आए और गाली गलौज करने लगे, जब हमने विरोध किया तो उन्होंने हम लोगों को और पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी।'

उन्होंने कहा, 'पुलिस वालों को हमसे दिक्कत थी तो वो कह देते कि हमारे सामने विरोध करो और जाओ। या हमे पोलाइटली कह देते, इस तरह से गाली देने और जान से मारने की धमकी देने लगे। आखिर पुलिस वालों को ऐसा करने का हक़ किसने दिया है?'

इस पूरे मामले को लेकर एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया कि सोशल मीडिया में वायरल वीडियो की जानकारी मिली है। प्रकरण की जांच एसपी सिटी को सौंपी गई है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

प्रकरण की जांच एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु सी0ओ0 चेतगंज को प्रेषित किया गया

— Varanasi Police (@varanasipolice) December 13, 2019

सामाजिक कार्यकर्ता धनंजय कहते हैं कि 'सबसे पहले तो ये (कैब) कानून गलत है। डेमोक्रेसी में लोगों को विरोध करने का अधिकार है। जो लोग भी पुलिस या प्रशासन विरोध करने से मना कर रहे हैं वो लोग डेमोक्रेसी को नहीं जान रहे हैं। वो लोग डेमोक्रेसी को नहीं समझ रहे हैं, इसलिए ऐसा कर रहे हैं और वो लोग गलत कर रहे हैं। डेमोक्रेसी का बेस ही है कि हमारी असहमति होनी चाहिए, अगर डेमोक्रेसी में असहमति नहीं है डायलॉग नहीं है तो बात नहीं है। डेमोक्रेसी में इस तरह की बात नहीं हो सकती। पुलिस या एडमिनिस्ट्रेशन या जो लोग भी ये कह रहे हैं कि, 'विरोध नहीं होना चाहिए वो गलत लोग हैं, वो लोग सही लोग नहीं है वो इंडिया की डेमोक्रेसी को नहीं समझते हैं।

मानवाधिकार कार्यकर्ता लेनिन रघुवंशी बताते हैं कि, 'इस तरह विरोध करने से लोगों को नहीं रोक सकते हैं, लोगों को अपनी बात कहने का हक़ है। यह बहुत घटिया है, जो बताता है कि पुलिस ऑफिसर प्रदर्शन करने वाले लोगों के प्रति कितने बायस्ड है।' सबसे बड़ी बात यही है कि नौकरी करने का अधिकार संविधान इनको (पुलिस वालों को) देता है, और ये संविधान के विरोधी लोग....! मुझे लगता है कि ऐसे लोगों पर (पुलिस वाले) कार्रवाई होनी चाहिए। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए लेनिन रघुवंशी कहते हैं कि, अगर लोकतंत्र में लोगों को विरोध करने से भी रोका जाएगा तो वो लोकतंत्र नहीं रह जाएगा।'

 

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